पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी के जमीनी हालात के बारे में अभी स्थिति साफ नहीं है। मगर इसमें कोई शक नहीं है कि चीनी सैनिकों ने मई के शुरुआती दिनों से ही पैंगोग सो के करीब 8 किलोमीटर इलाके पर कब्जा कर रखा है। चीनी सैनिकों ने यहां किलेबंदी और बंकर तक बना लिए हैं। झील के उत्तरी किनारे पर किनारे पर फिंगर चार और आठ के बीच ऊंचाई वाले इलाकों में चीनी सैनिक मौजूद हैं। बता दें कि जब अन्य इलाकों जैसे गलवान घाटी और हॉट स्प्रिंग्स को लेकर दोनों देशों के बीच बातचीत हो रही थी, तब चीन ने यहां अपनी मौजूदगी बढ़ा दी है।
टीओआई ने आधिकारिक सूत्रों के हवाले से बताया कि भारतीय सेना गलवान घाटी में पेट्रोल प्वाइंट 14 के पास वाले इलाके में जमी हुई है। इसी जगह पर 15 जून को दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी। इस झड़प में भारतीय सेना के बीस जवान शहीद हो गए और 76 घायल हो गए थे। झड़प के बाद भारतीय सेना ने कहा कि था कि दोनों देशों के सैनिक पीछे हट गए हैं। सूत्रों के मुताबिक गलवान घाटी में दोनों सेनाएं बहुत हद तक अपनी-अपनी एलएसी के भीतर हैं। मगर दोनों तरफ सैन्य इंतजाम किए गए हैं और सेना पूरी तरह से पीछे नहीं हटी है।
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उल्लेखनीय है कि पैंगोंग सो के उत्तरी किनारे पर भारत-चीन के बीच जो झड़प हुई वो खासी गंभीर है। दरअसल करीब 14 हजार फीट की ऊंचाई पर चांगला के नजदीक 5-6 मई को दोनों देशों के जवान टकरा गए थे। इसके बाद से ही चीनी सैनिक भारतीय जवानों को फिंगर 4 पूर्व की तरफ नहीं जाने दे रहे।
मामले में सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि भारतीय सेना के सभी नक्शे दिखाते हैं कि एलएसी फिंगर-8 पर उत्तर से दक्षिण की ओर जाती है। फिंगर-3 और फिंगर-4 के बीच सालों से आईटीबीपी की पोस्ट है। मगर पछले महीने से फिंगर-4 और आठ के बीच चीन ने कब्जा कर रखा है और चीनी सेना इसपर बात नहीं करना चाहती। बता दें कि जब साल 1999 में भारत का ध्यान कारगिल में पाकिस्तान की घुसपैठ पर था तब चीन ने अपने बेस से लेकर फिंगर-4 तक एक कच्ची सड़क बना ली थी। बाद में सड़क पक्की कर दी गई।
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