एसएन मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. संजय काला
– फोटो : अमर उजाला
कोरोना की जांच कराने में आगरा के लोग देरी न करें, जैसे ही पहला लक्षण दिखाई दे वैसे ही टेस्ट करा लें। जांच में देरी से मरीज की स्थिति बिगड़ जाती है, इससे उपचार में परेशानी आती है। यह नसीहत है एसएन मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. संजय काला की। वो गुरुवार को अमर उजाला वेबिनार ‘एक मुलाकात एक्सपर्ट के साथ’ में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि गंध और स्वाद की पहचान बंद हो जाना, तेज बुखार के साथ सांस चलना कोरोना के लक्षण हैं। एसएन मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल में जांच कराई जा सकती है। एसएन में ट्रूनेट मशीन लग गई है जिससे गर्भवती महिलाओं और गंभीर मरीजों की जांच की जा रही है। इसमें एक से दो घंटे में ही रिपोर्ट मिल जाती है।
दो गज की दूरी, मास्क से टूटेगी कोरोना की चेन
उन्होंने कहा कि जुलाई तक संक्रमण अपने चरम पर होगा, इसके बाद प्रभाव कम होने लगेगा। कोरोना वायरस की चेन जुड़ती गई तो स्थिति हाहाकारी हो सकती है। ऐसे में जब तक वायरस की कारगर दवा या वैक्सीन आती है, तब तक बेहद सावधानी बरतने की जरूरत है। लोग भीड़ से बचें, मास्क लगाएं और डेढ़ से दो मीटर की दूरी बनाए रखें। इससे ही वायरस की चेन टूटेगी।
उन्होंने स्पष्ट कहा कि लॉकडाउन खत्म होने के बाद संक्रमण का खतरा ज्यादा बढ़ गया है। लोगों को समझना चाहिए कि लॉकडाउन खत्म हुआ है, कोरोना वायरस नहीं। लोगों की अपनी समझदारी ही इस संक्रमण को कम कर सकती है।
सावधानी से ही सुरक्षा है
- मास्क सबके लिए जरूरी : एन-95 मास्क केवल संक्रमित मरीज के इलाज के वक्त के लिए पहनना जरूरी है। सामान्य लोग कपड़े के तीन लेयर के मास्क का उपयोग कर सकते हैं।
- घर से बाहर न निकलें : जरूरी हो तो ही बाजार जाएं, कम भीड़ हो तब बाजार जाएं। 70 फीसदी एल्कोहल की मात्रा वाला सैनिटाइजर का उपयोग करें या साबुन से हाथों को अच्छी तरह धोएं।
- हाथों को मुंह से न लगाएं : घर से बाहर जाते वक्त किसी के वाहन, रेलिंग, दीवार समेत किसी सामान को छूने से बचें। छू भी लिया तो हाथों को आंख, नाक और मुंह से न लगाएं।
- रुमाल का इस्तेमाल करें : छींकते-खांसते वक्त नाक-मुंह से निकलने वाली अति सूक्ष्म बूंदों से संक्रमण का खतरा रहता है, ऐसे में जब भी खांसें-छींके तो मुंह पर रुमाल लगाएं।
डॉ. संजय काला ने पाठकों के सवालों के जवाब भी दिए।
सवाल: क्या सामान्य लक्षण वाले संक्रमित मरीजों का घर पर ही इलाज कर सकते हैं? अगर किसी को डायबिटीज भी हो तो? – साक्षी गुप्ता, आवास विकास कॉलोनी
जवाब: ऐसा कतई न करें, अगर वायरस के संक्रमित हैं तो इसकी जानकारी तत्काल स्वास्थ्य विभाग या फिर एसएन को दें, संक्रमित मरीज का अस्पताल में ही इलाज होगा। डायबिटीज, मधुमेह या कोई गंभीर बीमारी पहले से है तो होम आइसोलेशन से खतरा है।
सवाल: मधुमेह रोगी वायरस से बचाव के लिए क्या सावधानी बरतें? – चीना जैन, कमला नगर
जवाब: मास्क लगाएं, हाथों की सफाई करें और दो मीटर की दूरी बरतें। मधुमेह रोगी शुगर लेवल नियंत्रित रखें और चिकित्सकीय परामर्श पर दवाएं लेते रहें।
पाठकों के लिए अमर उजाला ने भी डॉ. संजय काला से संक्रमण के बचाव और उपचार से संबंधी सवाल किए।
सवाल: एसएन मेडिकल कॉलेज में इलाज की क्या व्यवस्था है ?
जवाब: एसएन के माइक्रोबायोलॉजी विभाग में 800 नमूने की जांच की क्षमता है। कोविड अस्पताल में 100 बेड के आइसोलेशन वार्ड में डायलिसिस, आईसीयू, प्रसव कक्ष समेत इमरजेंसी सेवाओं की सुविधा है। ऐसा ही 100बेड का एक और नया आइसोलेशन वार्ड 10 दिन में तैयार हो जाएगा।
सवाल: आगरा एक वक्त प्रदेश का वुहान कहा जाने लगा था, एकाएक क्या हुआ जिससे स्थिति नियंत्रण में आ गई?
जवाब: इसका बड़ा श्रेय लोगों की जागरूकता को जाता है। शुरुआत में लोग इसकी गंभीरता नहीं समझ रहे थे, लेकिन लोग अब एहतियात बरत रहे हैं। जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग हॉटस्पॉट एरिया में सख्ती, हेल्थ सर्वे और शिविर लगाकर लोगों की जांच कर रहे हैं। इससे भी स्थिति नियंत्रित हुई है।
प्राचार्य डॉ. संजय काला ने कहा कि वायरस नया है और इसकी कोई दवा नहीं है। चिकित्सक और जिला प्रशासन अपनी ओर से पूरे प्रयास कर रहे हैं, लेकिन लोगों को जागरूक किए बिना यह जंग नहीं जीती जा सकती है।
ऐसे माहौल में अमर उजाला अपनी पूरी जिम्मेदारी निभाते हुए तथ्यात्मक, बचाव के लिए जागरूक करने वाली खबरें लोगों तक पहुंचा रहा है। असल मायने में अमर उजाला कोरोना फाइटर्स है। महामारी में जिम्मेदारी भरी रिपोर्टिंग से चिकित्सकों का कार्य आसान हो गया है। अमर उजाला फाउंडेशन की प्रेरणा से एसएन को बायोपैप मशीनें भी मिली हैं।
सार
- अमर उजाला वेबिनार ने एसएन मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. संजय काला ने कहा- जांच में देरी से उपचार में मुश्किल आ रही है।
विस्तार
कोरोना की जांच कराने में आगरा के लोग देरी न करें, जैसे ही पहला लक्षण दिखाई दे वैसे ही टेस्ट करा लें। जांच में देरी से मरीज की स्थिति बिगड़ जाती है, इससे उपचार में परेशानी आती है। यह नसीहत है एसएन मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. संजय काला की। वो गुरुवार को अमर उजाला वेबिनार ‘एक मुलाकात एक्सपर्ट के साथ’ में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि गंध और स्वाद की पहचान बंद हो जाना, तेज बुखार के साथ सांस चलना कोरोना के लक्षण हैं। एसएन मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल में जांच कराई जा सकती है। एसएन में ट्रूनेट मशीन लग गई है जिससे गर्भवती महिलाओं और गंभीर मरीजों की जांच की जा रही है। इसमें एक से दो घंटे में ही रिपोर्ट मिल जाती है।
दो गज की दूरी, मास्क से टूटेगी कोरोना की चेन
उन्होंने कहा कि जुलाई तक संक्रमण अपने चरम पर होगा, इसके बाद प्रभाव कम होने लगेगा। कोरोना वायरस की चेन जुड़ती गई तो स्थिति हाहाकारी हो सकती है। ऐसे में जब तक वायरस की कारगर दवा या वैक्सीन आती है, तब तक बेहद सावधानी बरतने की जरूरत है। लोग भीड़ से बचें, मास्क लगाएं और डेढ़ से दो मीटर की दूरी बनाए रखें। इससे ही वायरस की चेन टूटेगी।
लॉकडाउन खत्म हुआ है, वायरस नहीं
उन्होंने स्पष्ट कहा कि लॉकडाउन खत्म होने के बाद संक्रमण का खतरा ज्यादा बढ़ गया है। लोगों को समझना चाहिए कि लॉकडाउन खत्म हुआ है, कोरोना वायरस नहीं। लोगों की अपनी समझदारी ही इस संक्रमण को कम कर सकती है।
सावधानी से ही सुरक्षा है
- मास्क सबके लिए जरूरी : एन-95 मास्क केवल संक्रमित मरीज के इलाज के वक्त के लिए पहनना जरूरी है। सामान्य लोग कपड़े के तीन लेयर के मास्क का उपयोग कर सकते हैं।
- घर से बाहर न निकलें : जरूरी हो तो ही बाजार जाएं, कम भीड़ हो तब बाजार जाएं। 70 फीसदी एल्कोहल की मात्रा वाला सैनिटाइजर का उपयोग करें या साबुन से हाथों को अच्छी तरह धोएं।
- हाथों को मुंह से न लगाएं : घर से बाहर जाते वक्त किसी के वाहन, रेलिंग, दीवार समेत किसी सामान को छूने से बचें। छू भी लिया तो हाथों को आंख, नाक और मुंह से न लगाएं।
- रुमाल का इस्तेमाल करें : छींकते-खांसते वक्त नाक-मुंह से निकलने वाली अति सूक्ष्म बूंदों से संक्रमण का खतरा रहता है, ऐसे में जब भी खांसें-छींके तो मुंह पर रुमाल लगाएं।
पहले से बीमार हैं तो होम आइसोलेशन कतई न करें
डॉ. संजय काला ने पाठकों के सवालों के जवाब भी दिए।
सवाल: क्या सामान्य लक्षण वाले संक्रमित मरीजों का घर पर ही इलाज कर सकते हैं? अगर किसी को डायबिटीज भी हो तो? – साक्षी गुप्ता, आवास विकास कॉलोनी
जवाब: ऐसा कतई न करें, अगर वायरस के संक्रमित हैं तो इसकी जानकारी तत्काल स्वास्थ्य विभाग या फिर एसएन को दें, संक्रमित मरीज का अस्पताल में ही इलाज होगा। डायबिटीज, मधुमेह या कोई गंभीर बीमारी पहले से है तो होम आइसोलेशन से खतरा है।
सवाल: मधुमेह रोगी वायरस से बचाव के लिए क्या सावधानी बरतें? – चीना जैन, कमला नगर
जवाब: मास्क लगाएं, हाथों की सफाई करें और दो मीटर की दूरी बरतें। मधुमेह रोगी शुगर लेवल नियंत्रित रखें और चिकित्सकीय परामर्श पर दवाएं लेते रहें।
‘एसएन में 100 बेड का कोविड अस्पताल तैयार हो रहा है’
पाठकों के लिए अमर उजाला ने भी डॉ. संजय काला से संक्रमण के बचाव और उपचार से संबंधी सवाल किए।
सवाल: एसएन मेडिकल कॉलेज में इलाज की क्या व्यवस्था है ?
जवाब: एसएन के माइक्रोबायोलॉजी विभाग में 800 नमूने की जांच की क्षमता है। कोविड अस्पताल में 100 बेड के आइसोलेशन वार्ड में डायलिसिस, आईसीयू, प्रसव कक्ष समेत इमरजेंसी सेवाओं की सुविधा है। ऐसा ही 100बेड का एक और नया आइसोलेशन वार्ड 10 दिन में तैयार हो जाएगा।
सवाल: आगरा एक वक्त प्रदेश का वुहान कहा जाने लगा था, एकाएक क्या हुआ जिससे स्थिति नियंत्रण में आ गई?
जवाब: इसका बड़ा श्रेय लोगों की जागरूकता को जाता है। शुरुआत में लोग इसकी गंभीरता नहीं समझ रहे थे, लेकिन लोग अब एहतियात बरत रहे हैं। जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग हॉटस्पॉट एरिया में सख्ती, हेल्थ सर्वे और शिविर लगाकर लोगों की जांच कर रहे हैं। इससे भी स्थिति नियंत्रित हुई है।
असल मायने में अमर उजाला भी कोरोना योद्धा है : डॉ. संजय काला
प्राचार्य डॉ. संजय काला ने कहा कि वायरस नया है और इसकी कोई दवा नहीं है। चिकित्सक और जिला प्रशासन अपनी ओर से पूरे प्रयास कर रहे हैं, लेकिन लोगों को जागरूक किए बिना यह जंग नहीं जीती जा सकती है।
ऐसे माहौल में अमर उजाला अपनी पूरी जिम्मेदारी निभाते हुए तथ्यात्मक, बचाव के लिए जागरूक करने वाली खबरें लोगों तक पहुंचा रहा है। असल मायने में अमर उजाला कोरोना फाइटर्स है। महामारी में जिम्मेदारी भरी रिपोर्टिंग से चिकित्सकों का कार्य आसान हो गया है। अमर उजाला फाउंडेशन की प्रेरणा से एसएन को बायोपैप मशीनें भी मिली हैं।
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लॉकडाउन खत्म हुआ है, वायरस नहीं
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