अगर सबकुछ ठीक रहा तो दिल्ली मुंबई ग्रीन हाईवे पर निकट भविष्य में ट्रक बिजली पर दौ़ड़ते नजर आएंगे। सड़क परिवहन और भारी उद्योग मंत्रालय इस सपने को हकीकत में बदलने के लिए पायलट प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि सरकार की योजना तेल आयात पर निर्भरता कम कर इसके विकल्प के तौर पर एथनॉल, मीथेन, आयोफ्यूल का उत्पादन बढ़ाना है।
अमर उजाला के विभिन्न संस्करणों के संपादकों के साथ ऑनलाइन चर्चा में गडकरी ने कहा कि हमारी योजना मुंबई-दिल्ली ग्रीन हाईवे पर बिजली से चलने वाले ट्रकों के लिए अलग से कॉरिडोर बनाने की है। इस हाईवे पर दस किलोमीटर का एक ऐसा कॉरिडोर बनाया जाएगा जिसमें बिजली के तार लगे होंगे।
इन तारों से 80 टन क्षमता वाले इलेक्ट्रिक ट्रक को पैंटोग्राफ से जोड़ दिया जाएगा। इस पैंटोग्राफ की मदद से पांच किलोमीटर चलने के बाद ट्रक की बैटरी चार्ज हो जाएगी और आगे 20 किमी तक चलेगी। बैटरी के डिस्चार्ज होते ही ये ट्रक फिर से बिजली से चलने लगेंगे। गडकरी ने कहा कि अमेरिका, जर्मनी और स्वीडन में यह प्रवेश सफल रहा है।
तेल आयात पर निर्भरता कम करेंगे
गडकरी ने कहा कि देश को तेल आयात पर करीब सात लाख करोड़ विदेशी मुद्रा खर्च करना होता है। इसी प्रकार हम खाद्य तेल पर प्रतिवर्ष 90 हजार करोड़ रुपये खर्च करते हैं। जरूरत आयात पर निर्भरता कम करने के लिए इसके विकल्प पर ध्यान देने की है। ऐसा तब होगा जब हमारे देश में बाहन बैटरी, इलेक्ट्रिसिटी, बायोफ्यूल, एथनॉल, मीथेन आदि से चलेंगे।
इलेक्ट्रिक वाहन और बायोफ्यूल से चलने वाले वाहन की शुरुआत हो चुकी है। जब जरूरत गन्ना से सिर्फ चीनी बनाने की जगह बड़े पैमाने पर एथनॉल बनाने की है। देश में सरप्लस अनाज का इस्तेमाल इसके लिेए ही करने की है। गडकरी ने कहा यहा तक कि पराली, जिससे पर्यावरण की विकट समस्या खड़ी होती है, उससे भी वैकल्पिक ईधन तैयार किया जा सकता है।
गडकरी ने एमएसएमई सहित कई क्षेत्रों में नई सोच और नए आइडिया की कमी पर निराशा जाहिर की। उन्होंने कहा कि नई सोच और नए आइडिया से हम एमएसएमई, पर्यटन सहित कई क्षेत्रों में बड़ा बदलाव ला सकते हैं। मुश्किल यह है कि हम वैश्विक मानकों को ध्यान में रखकर तैयारी नहीं कर पाते। यही कारण है कि हम बड़ी संभावनाओं को बड़े अवसर में बदलने में चूकते रहते हैं।
पर्यावरण के साथ विकास भी जरूरी
देश में की सड़क परियोजनाओं का काम तय समय में पूरा न होने को लेकर गडकरी ने निराशा जाहिर की। उत्तराखंड की चार धाम परियोजना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि पर्यावरण संबंधी आपत्तियों, स्थानिय लोगों के विरोध और एनजीओ की नाकारात्मक मानसिकता के कारण यह परियोजना कई बार बंद हुई।
ऐसे मामले में एक पक्ष अदालत से स्टे ले लेता है। पर्यावरण और विकास दोनों में सामंजस्य जरूरी है। हम एक पेड़ काटने की कीमत पर 10 पेड़ लगाने के लिए तैयार हैं। इसके बावजूद बार-बार आने वाली अड़चनों से परियोजनाएं समय से पूरी नहीं हो पा रहीं।
यमुना के रास्ते जलमार्ग से हो ताज का दीदार
अपने पहले कार्यकाल में वाराणसी से हल्दिया तक गंगा पर पानी का जहाज चलाने वाले नितिन गडकरी की इच्छा यमुना के रास्ते पर्यटकों को ताजमहल का दीदार कराने की है। गडकरी ने कहा कि देश में जल परिवहन के लिए असीम संभावनाएं हैं।
हम गंगा नदी के जरिए बांगलादेश तक व्यापार कर सकते हैं। ब्रह्मपुत्र के जरिए पूर्वोत्तर से चीन-म्यांमार तक ऐसा ही कर सकते हैं। जब मैंने गंगा में पानी का जहाज चलाने की बात कही थी तब भी लोगों ने व्यंग्य किया था। यही यमुना में भी हो सकता है।
लोग दिल्ली में पानी के जहाज पर बैठें और आगरा के ताजमहल के साथ इलाहाबाद के संगम तट तक आनंद लें, यह भी संभव है।
अगर सबकुछ ठीक रहा तो दिल्ली मुंबई ग्रीन हाईवे पर निकट भविष्य में ट्रक बिजली पर दौ़ड़ते नजर आएंगे। सड़क परिवहन और भारी उद्योग मंत्रालय इस सपने को हकीकत में बदलने के लिए पायलट प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि सरकार की योजना तेल आयात पर निर्भरता कम कर इसके विकल्प के तौर पर एथनॉल, मीथेन, आयोफ्यूल का उत्पादन बढ़ाना है।
अमर उजाला के विभिन्न संस्करणों के संपादकों के साथ ऑनलाइन चर्चा में गडकरी ने कहा कि हमारी योजना मुंबई-दिल्ली ग्रीन हाईवे पर बिजली से चलने वाले ट्रकों के लिए अलग से कॉरिडोर बनाने की है। इस हाईवे पर दस किलोमीटर का एक ऐसा कॉरिडोर बनाया जाएगा जिसमें बिजली के तार लगे होंगे।
इन तारों से 80 टन क्षमता वाले इलेक्ट्रिक ट्रक को पैंटोग्राफ से जोड़ दिया जाएगा। इस पैंटोग्राफ की मदद से पांच किलोमीटर चलने के बाद ट्रक की बैटरी चार्ज हो जाएगी और आगे 20 किमी तक चलेगी। बैटरी के डिस्चार्ज होते ही ये ट्रक फिर से बिजली से चलने लगेंगे। गडकरी ने कहा कि अमेरिका, जर्मनी और स्वीडन में यह प्रवेश सफल रहा है।
तेल आयात पर निर्भरता कम करेंगे
गडकरी ने कहा कि देश को तेल आयात पर करीब सात लाख करोड़ विदेशी मुद्रा खर्च करना होता है। इसी प्रकार हम खाद्य तेल पर प्रतिवर्ष 90 हजार करोड़ रुपये खर्च करते हैं। जरूरत आयात पर निर्भरता कम करने के लिए इसके विकल्प पर ध्यान देने की है। ऐसा तब होगा जब हमारे देश में बाहन बैटरी, इलेक्ट्रिसिटी, बायोफ्यूल, एथनॉल, मीथेन आदि से चलेंगे।
इलेक्ट्रिक वाहन और बायोफ्यूल से चलने वाले वाहन की शुरुआत हो चुकी है। जब जरूरत गन्ना से सिर्फ चीनी बनाने की जगह बड़े पैमाने पर एथनॉल बनाने की है। देश में सरप्लस अनाज का इस्तेमाल इसके लिेए ही करने की है। गडकरी ने कहा यहा तक कि पराली, जिससे पर्यावरण की विकट समस्या खड़ी होती है, उससे भी वैकल्पिक ईधन तैयार किया जा सकता है।
नई सोच और नए आइडिया की जरूरत… तभी बदलाव
गडकरी ने एमएसएमई सहित कई क्षेत्रों में नई सोच और नए आइडिया की कमी पर निराशा जाहिर की। उन्होंने कहा कि नई सोच और नए आइडिया से हम एमएसएमई, पर्यटन सहित कई क्षेत्रों में बड़ा बदलाव ला सकते हैं। मुश्किल यह है कि हम वैश्विक मानकों को ध्यान में रखकर तैयारी नहीं कर पाते। यही कारण है कि हम बड़ी संभावनाओं को बड़े अवसर में बदलने में चूकते रहते हैं।
पर्यावरण के साथ विकास भी जरूरी
देश में की सड़क परियोजनाओं का काम तय समय में पूरा न होने को लेकर गडकरी ने निराशा जाहिर की। उत्तराखंड की चार धाम परियोजना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि पर्यावरण संबंधी आपत्तियों, स्थानिय लोगों के विरोध और एनजीओ की नाकारात्मक मानसिकता के कारण यह परियोजना कई बार बंद हुई।
ऐसे मामले में एक पक्ष अदालत से स्टे ले लेता है। पर्यावरण और विकास दोनों में सामंजस्य जरूरी है। हम एक पेड़ काटने की कीमत पर 10 पेड़ लगाने के लिए तैयार हैं। इसके बावजूद बार-बार आने वाली अड़चनों से परियोजनाएं समय से पूरी नहीं हो पा रहीं।
यमुना के रास्ते जलमार्ग से हो ताज का दीदार
अपने पहले कार्यकाल में वाराणसी से हल्दिया तक गंगा पर पानी का जहाज चलाने वाले नितिन गडकरी की इच्छा यमुना के रास्ते पर्यटकों को ताजमहल का दीदार कराने की है। गडकरी ने कहा कि देश में जल परिवहन के लिए असीम संभावनाएं हैं।
हम गंगा नदी के जरिए बांगलादेश तक व्यापार कर सकते हैं। ब्रह्मपुत्र के जरिए पूर्वोत्तर से चीन-म्यांमार तक ऐसा ही कर सकते हैं। जब मैंने गंगा में पानी का जहाज चलाने की बात कही थी तब भी लोगों ने व्यंग्य किया था। यही यमुना में भी हो सकता है।
लोग दिल्ली में पानी के जहाज पर बैठें और आगरा के ताजमहल के साथ इलाहाबाद के संगम तट तक आनंद लें, यह भी संभव है।
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नई सोच और नए आइडिया की जरूरत… तभी बदलाव
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