आप जब होटल या रेस्त्रां में खाना खाते हैं तो क्या आपने इस बात पर ध्यान दिया है कि पराठे की कीमत रोटी से ज्यादा होती है। आमतौर पर रोटी और पराठे को एक ही प्रकार का खाना माना जाता है, लेकिन अथॉरिटी ऑफ एडवांस रूलिंग (एएआर) की कर्नाटक पीठ ने इसे अलग-अलग भोज्य पदार्थ मानते हुए जीएसटी की अलग दर लगाई हैं।
एएआई ने एक फैसले में कहा कि पराठे पर 18 फीसदी जीएसटी देना होगा। इस पर रोटी पर लगने वाली पांच फीसदी जीएसटी दर नहीं मान्य होगी। एएआर ने तर्क दिया कि रोटी (1905) शीर्षक के अंतर्गत आने वाले उत्पाद पहले से तैयार और पकाए होते हैं लेकिन पराठे को खास खाने से पहले दोबारा तैयार करना या गर्म करना पड़ता है।
लिहाजा यह जीएसटी के 99ए नियम में नहीं आएगा, जिसके तहत रोटी पर पांच फीसदी कर लगता है। अथॉरिटी ने यह फैसला कर्नाटक निजी खाद्य पदार्थ भी निर्माता कंपनी की उस पर अपील पर दिया जिसमें पराठे को रोटी खाकरा या प्लेन चपाती की श्रेणी में रखने को कहा गया था।
क्या है मामला
बेंगलुरू में स्थित आईडी फ्रेश फूड्स एक फू़ड प्रोडक्ट कंपनी है जो रेडी टू कुक वाले खाने को तैयार करती है और इसकी सप्लाई भी करती है। इसमें इडली, डोसे का घोल, पराठा, रोटी जैसे खाने के सामान शामिल हैं। आईडी फ्रेश फूड ने अथॉरिटी ऑफ एडवांस रूलिंग से इस संबंध में बात की।
फूड कंपनी ने तर्क दिया कि क्या गेहूं का पराठा और मालाबार पराठा को एक ही श्रेणी यानि कि 1905 शीर्षक के तहत पांच फीसदी की दर में रखा जा सकता है।
कर्नाटक बेंच के नजरिए के मुताबिक पराठा एचएसएन सिस्टम (हारमोनाइज्ड सिस्टम ऑफ नॉमनक्लेचर) के किसी शीर्षक के तहत कवर नहीं होता है और इसे खाने योग्य बनाने के लिए और परिवर्तित किया जाता है। इसलिए पराठे पर 2106 शीर्षक के तहत जीएसटी लगाने की जरूरत है।
1905 शीर्षक के तहत केक, पेस्ट्री और ऐसे खाद्य पदार्थ शामिल किए जाते हैं जो पहले से लगभग तैयार होते हैं और जो खाने के लिए एकदम तैयार होते हैं। खाखरा, सामान्य रोटी और प्लेन चपाती पूरी तरह से तैयार और सिकी हुई होती हैं। इंसान के लिए खाने योग्य बनाने के लिए ज्यादा तैयारी नहीं करनी होती हैं।
अथॉरिटी ऑफ एडवांस रूलिंग का कहना है कि गेहूं पराठा और मालाबार पराठा जैसे खाद्य पदार्थ खाखरा, प्लेन चपाती और रोटी से अलग ही नहीं है बल्कि सामान्य बोलचाल की भाषा में इस्तेमाल नहीं किए जाते और इन खाद्य पदार्थों को खाने योग्य बनाने के लिए अलग से तैयार करना पड़ता है।
खाने के ज्यादातर पदार्थ जो कि प्रोसेस्ड नहीं होते और आवश्यक हैं, उनपर जीएसटी की कोई दर नहीं लगती है। प्रोसेस्ड फूड पर पांच फीसद, 12 फीसदी और 18 फीसदी तक का टैक्स लगता है। उदाहरण के लिए समझें कि पापड़, ब्रेड पर कोई जीएसटी नहीं लगता लेकिन पिज्जा ब्रेड पर पांच फीसदी जीएसटी लगता है।
1905 शीर्षक के तहत हारमोनाइज्ड कमोडिटी डिस्क्रिप्शन और कोडिंग सिस्टम ने पिज्जा ब्रेड, खाखरा, प्लेन चपाती, रोटी, रस्क, टोस्टेड ब्रेड को पांच फीसदी जीएसटी वाली श्रेणी में रखा है। इसी की तरह खाने के लिए तैयार श्रेणी के तहत बिना ब्रांड वाली नमकीन, भुजिया, मिक्सर पर पांच फीसदी टैक्स लगता है। जबकि ब्रांडेड नमकीन, भुजिया, मिक्सर पर 12 फीसदी जीएसटी लगता है।
हालांकि टैक्स विशेषज्ञों का कहना है कि टैक्स स्लैब के कम नंबर और एक समान दर से खाद्य सामानों को वर्गों में बांटने की परेशानी थोड़ी कम हो जाएगी। सरकारी अधिकारी ने कहा कि खाद्य सामान को अलग-अलग वर्गीकृत करने का ये माननीय तरीका है और दूसरे देशों में भी ऐसे तरीकों को अपनाया जाता है।
अधिकारियों ने बताया कि फ्रीज में रखा हुआ पराठा संरक्षित, सील, पैकड और ब्रांडेड होता है, इसलिए यह ज्यादा ऊंची कीमतों पर बेचा जाता है। उन्होंने कहा कि यह ऐसा मुख्य खाद्य पदार्थ भी नहीं है जिसे सिर्फ टैक्स भरने वाले लोग का समूह ही ग्रहण करता है।
हालांकि दूध जैसे खाने के पदार्थ टैक्स फ्री हैं लेकिन टेट्रापैक में मिलने वाला दूध जीएसटी के दायरे में आता है, इस पर पांच फीसदी टैक्स लगता है और घनीभूत किए हुए दूध पर 12 फीसदी टैक्स लगता है। एफएमसीजी कंपनियों ने प्रोसेस्ड फूड इंडस्ट्री के संगठित क्षेत्र का शामिल कर लिया है और पैकेज्ड फूड की ज्यादा बिक्री कर उचित लाभ कमा रही हैं।
सार
- पराठे पर रोटी से ज्यादा लगेगा जीएसटी
- पराठे पर 18 फीसदी तो रोटी पर पांच फीसद जीएसटी
- अथॉरिटी ऑफ एडवांस रूलिंग की कर्नाटक पीठ का फैसला
विस्तार
आप जब होटल या रेस्त्रां में खाना खाते हैं तो क्या आपने इस बात पर ध्यान दिया है कि पराठे की कीमत रोटी से ज्यादा होती है। आमतौर पर रोटी और पराठे को एक ही प्रकार का खाना माना जाता है, लेकिन अथॉरिटी ऑफ एडवांस रूलिंग (एएआर) की कर्नाटक पीठ ने इसे अलग-अलग भोज्य पदार्थ मानते हुए जीएसटी की अलग दर लगाई हैं।
एएआई ने एक फैसले में कहा कि पराठे पर 18 फीसदी जीएसटी देना होगा। इस पर रोटी पर लगने वाली पांच फीसदी जीएसटी दर नहीं मान्य होगी। एएआर ने तर्क दिया कि रोटी (1905) शीर्षक के अंतर्गत आने वाले उत्पाद पहले से तैयार और पकाए होते हैं लेकिन पराठे को खास खाने से पहले दोबारा तैयार करना या गर्म करना पड़ता है।
लिहाजा यह जीएसटी के 99ए नियम में नहीं आएगा, जिसके तहत रोटी पर पांच फीसदी कर लगता है। अथॉरिटी ने यह फैसला कर्नाटक निजी खाद्य पदार्थ भी निर्माता कंपनी की उस पर अपील पर दिया जिसमें पराठे को रोटी खाकरा या प्लेन चपाती की श्रेणी में रखने को कहा गया था।
क्या है मामला
बेंगलुरू में स्थित आईडी फ्रेश फूड्स एक फू़ड प्रोडक्ट कंपनी है जो रेडी टू कुक वाले खाने को तैयार करती है और इसकी सप्लाई भी करती है। इसमें इडली, डोसे का घोल, पराठा, रोटी जैसे खाने के सामान शामिल हैं। आईडी फ्रेश फूड ने अथॉरिटी ऑफ एडवांस रूलिंग से इस संबंध में बात की।
फूड कंपनी ने तर्क दिया कि क्या गेहूं का पराठा और मालाबार पराठा को एक ही श्रेणी यानि कि 1905 शीर्षक के तहत पांच फीसदी की दर में रखा जा सकता है।
कर्नाटक बेंच का फैसला
कर्नाटक बेंच के नजरिए के मुताबिक पराठा एचएसएन सिस्टम (हारमोनाइज्ड सिस्टम ऑफ नॉमनक्लेचर) के किसी शीर्षक के तहत कवर नहीं होता है और इसे खाने योग्य बनाने के लिए और परिवर्तित किया जाता है। इसलिए पराठे पर 2106 शीर्षक के तहत जीएसटी लगाने की जरूरत है।
1905 शीर्षक के तहत केक, पेस्ट्री और ऐसे खाद्य पदार्थ शामिल किए जाते हैं जो पहले से लगभग तैयार होते हैं और जो खाने के लिए एकदम तैयार होते हैं। खाखरा, सामान्य रोटी और प्लेन चपाती पूरी तरह से तैयार और सिकी हुई होती हैं। इंसान के लिए खाने योग्य बनाने के लिए ज्यादा तैयारी नहीं करनी होती हैं।
अथॉरिटी ऑफ एडवांस रूलिंग का कहना है कि गेहूं पराठा और मालाबार पराठा जैसे खाद्य पदार्थ खाखरा, प्लेन चपाती और रोटी से अलग ही नहीं है बल्कि सामान्य बोलचाल की भाषा में इस्तेमाल नहीं किए जाते और इन खाद्य पदार्थों को खाने योग्य बनाने के लिए अलग से तैयार करना पड़ता है।
खाद्य पदार्थों का वर्गीकरण
खाने के ज्यादातर पदार्थ जो कि प्रोसेस्ड नहीं होते और आवश्यक हैं, उनपर जीएसटी की कोई दर नहीं लगती है। प्रोसेस्ड फूड पर पांच फीसद, 12 फीसदी और 18 फीसदी तक का टैक्स लगता है। उदाहरण के लिए समझें कि पापड़, ब्रेड पर कोई जीएसटी नहीं लगता लेकिन पिज्जा ब्रेड पर पांच फीसदी जीएसटी लगता है।
1905 शीर्षक के तहत हारमोनाइज्ड कमोडिटी डिस्क्रिप्शन और कोडिंग सिस्टम ने पिज्जा ब्रेड, खाखरा, प्लेन चपाती, रोटी, रस्क, टोस्टेड ब्रेड को पांच फीसदी जीएसटी वाली श्रेणी में रखा है। इसी की तरह खाने के लिए तैयार श्रेणी के तहत बिना ब्रांड वाली नमकीन, भुजिया, मिक्सर पर पांच फीसदी टैक्स लगता है। जबकि ब्रांडेड नमकीन, भुजिया, मिक्सर पर 12 फीसदी जीएसटी लगता है।
दोनों पक्षों के तर्क
हालांकि टैक्स विशेषज्ञों का कहना है कि टैक्स स्लैब के कम नंबर और एक समान दर से खाद्य सामानों को वर्गों में बांटने की परेशानी थोड़ी कम हो जाएगी। सरकारी अधिकारी ने कहा कि खाद्य सामान को अलग-अलग वर्गीकृत करने का ये माननीय तरीका है और दूसरे देशों में भी ऐसे तरीकों को अपनाया जाता है।
अधिकारियों ने बताया कि फ्रीज में रखा हुआ पराठा संरक्षित, सील, पैकड और ब्रांडेड होता है, इसलिए यह ज्यादा ऊंची कीमतों पर बेचा जाता है। उन्होंने कहा कि यह ऐसा मुख्य खाद्य पदार्थ भी नहीं है जिसे सिर्फ टैक्स भरने वाले लोग का समूह ही ग्रहण करता है।
हालांकि दूध जैसे खाने के पदार्थ टैक्स फ्री हैं लेकिन टेट्रापैक में मिलने वाला दूध जीएसटी के दायरे में आता है, इस पर पांच फीसदी टैक्स लगता है और घनीभूत किए हुए दूध पर 12 फीसदी टैक्स लगता है। एफएमसीजी कंपनियों ने प्रोसेस्ड फूड इंडस्ट्री के संगठित क्षेत्र का शामिल कर लिया है और पैकेज्ड फूड की ज्यादा बिक्री कर उचित लाभ कमा रही हैं।
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कर्नाटक बेंच का फैसला
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