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दुनिया भर में Covid-19 महामारी के हालात और बदतर हो गए हैं. WHO ने इसी हफ्ते कहा कि एक दिन में सबसे ज़्यादा 1 लाख 26 हज़ार केसों का सामने आना और इनमें से भी 75 फीसदी सिर्फ 10 देशों से, वाकई चिंताजनक रहा. लॉकडाउन से कोरोना संक्रमण के हालात बिगड़ रहे हैं. जानिए कि किन देशों में कैसे हालात हैं और क्यों.
लॉकडाउन खुलने से भारत में केस तेज़ी से बढ़े.
गरीब या विकासशील देशों में संकट
जिन देशों में झुग्गी बस्तियां और घनी बसाहट के साथ ही हाथ धोने और सामाजिक दूरी बना रखना काफी मुश्किल है, वहां लॉकडाउन में ढील मिलते ही कोरोना का प्रसार तेज़ी से हुआ. पिछले हफ्ते सार्वजनिक जगहों और व्यवसायों को खोलने के कारण ब्राज़ील, मेक्सिको, दक्षिण अफ्रीका के साथ ही भारत और पाकिस्तान जैसे देशों में हालात बेकाबू होते दिखे. इन देशों ने एक दिन में रिकॉर्ड नए केस और मौतों का आंकड़ा देखा. कुछ बिंदुओं में स्थिति स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है.
क्या भारत में अनलॉक का खमियाज़ा साफ है?
देश में 4.39% के राष्ट्रीय औसत से नए मामले सामने आ रहे हैं और कम से कम 24 राज्य व केंद्रशासित प्रदेश ऐसे हैं, जहां इससे तेज़ रफ्तार से नए केस दिख रहे हैं. महाराष्ट्र, तमिलनाडु, दिल्ली और गुजरात के हालात अब भी चिंताजनक हैं. उदाहरण के तौर पर, 1 जून से गुजरात में रोज़ औसतन 419 नए केस और 27 मौतों का आंकड़ा रहा है जबकि मई के आखिरी हफ्ते में यह औसत 341 नए केस और 22 मौत प्रतिदिन का था.

विशेषज्ञों ने पाकिस्तान को फिर लॉकडाउन करने की सलाह दी.
पाकिस्तान को दोबारा करना पड़ेगा लॉकडाउन?
एक दिन में रिकॉर्ड केस सामने आने के बाद WHO ने कहा कि पाकिस्तान में ऐसी कोई स्थिति नहीं थी कि लॉकडाउन खत्म कर दिया जाए. पाकिस्तान को क्रमबद्ध ढंग से लॉकडाउन फिर लगाना ही होगा ताकि कोरोना वायरस संक्रमण पर काबू पाया जा सके. वहीं, पाकिस्तान सरकार की तरफ से कहा गया कि देश को जीवन और आजीविका के बीच संतुलन के लिए बेहद सख्त नीतियां बनाना ही होंगी.
LMIC देशों में क्यों बढ़ा संकट?
लॉकडाउन में ढील देना खास तौर से LMIC यानी कम और मध्यम आय वाले देशों को महंगा पड़ रहा है.
1) इन देशों में आबादी चूंकि घनी और ज़्यादा है इसलिए सामाजिक दूरी बनाए रखना मुश्किल है.
2) यहां साफ पानी और सफाई की प्रैक्टिसों का अभाव है इसलिए कम जागरूकता बीमारी का कारण है.
3) लोक स्वास्थ्य के ढांच में उपकरणों, आईसीयू और डॉक्टरों जैसे संसाधनों की भारी कमी है.
4) स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच कई लोगों के लिए मुश्किल है या बड़ी आबादी के लिए सेवाएं महंगी हैं.
पाकिस्तान का उदाहरण देखें. करीब सवा लाख केस सामने आने के बावजूद पाकिस्तान में टेस्टिंग बेहद कम होने से सही आंकड़े कितने हैं, कोई अंदाज़ा नहीं. आबादी में संक्रमण बड़े पैमाने पर है. लोग सोशल डिस्टेंसिंग और हाथ धोने जैसी सावधानियां नहीं बरत पा रहे हैं. इसलिए WHO के मुताबिक पाकिस्तान को दो हफ्ते लॉकडाउन, दो हफ्ते ढील जैसे तरीके अपनाने चाहिए.
लैटिन अमेरिका में कैसे बिगड़ रहे हैं हालात?
ब्राज़ील, मेक्सिको और पेरू में सबसे ज़्यादा मुश्किल हालात दिख रहे हैं. जॉन होपकिन्स यूनिवर्सिटी के आंकड़े कहते हैं कि ब्राज़ील में महामारी से मौतों की संख्या इटली के आंकड़ों को पार कर गई. वहीं, वर्ल्डोमीटर के मुताबिक अमेरिका के बाद सबसे ज़्यादा केस ब्राज़ील में हैं. पेरू में मौतों का आंकड़ा 6 हज़ार को छू सकता है लेकिन कन्फर्म केस 2 लाख से ज़्यादा हो गए हैं.

सबसे ज़्यादा कोविड 19 केसों के लिहाज़ से अमेरिका के बाद ब्राज़ील दूसरे नंबर पर है.
दक्षिण अफ्रीका के लिए भी चिंताजनक स्थिति
अफ्रीका में सबसे बेहतर अर्थव्यवस्था वाले देश के राष्ट्रपति ने हाल में कहा था कि देश में केसों के बढ़ने की गति बहुत तेज़ है. 55 हज़ार कन्फर्म केसों में से आधे से ज़्यादा पिछले दो हफ्तों से भी कम समय में रिकॉर्ड हुए हैं. अब यहां लॉकडाउन उठाने को लेकर चिंताजनक स्थिति बनी हुई है क्योंकि विशेषज्ञ कह रहे हैं कि अगर लॉकडाउन हटा तो यहां हालात बेकाबू हो जाएंगे.
कुल मिलाकर दुनिया में 11 जून की दोपहर तक कोविड 19 से 419,391 मौतें हो चुकी हैं और कुल कन्फर्म केसों की संख्या 75 लाख का आंकड़ा छूने की तरफ है. ऐसे में, दक्षिण अमेरिका और दक्षिण एशिया के देश नए हॉट स्पॉट बनकर उभरे हैं, जहां लॉकडाउन में ढील दी गई है. अब सवाल ये खड़े हो रहे हैं कि लॉकडाउन में ढील देने के पैमाने और रणनीतियां क्या होनी चाहिए.
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