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दिल्ली में कोरोना पर नियंत्रण करने के लिए सघन चेकिंग अभियान का फैसला कर लिया गया है। इसके तहत 20 जून से 18 हजार कोरोना टेस्ट प्रतिदिन किए जाएंगे। कोरोना केस वाले कंटेनमेंट जोन में घर-घर मैपिंग की जाएगी।
अधिकारियों का मानना है कि झुग्गी-झोपडी वाले इलाकों में घर-घर मैपिंग करना बेहद मुश्किल भरा काम हो सकता है। कोरोना के लक्षणहीन या माइल्ड केसों के मामले में इन इलाकों में लोगों को उनके घरों में आइसोलेट करना संभव नहीं है। कोरोना की लड़ाई में सबसे बड़ी मुश्किल इन्हीं इलाकों से आ रही है क्योंकि यहां एक संक्रमित व्यक्ति बेहद कम समय में सैकड़ों की संख्या में दूसरे लोगों को संक्रमित कर रहा है। जहांगीरपुरी जैसे इलाकों में अब तक संक्रमण के कंट्रोल न हो पाने के पीछे इसी कारण को सबसे बड़ा जिम्मेदार माना जा रहा है। आने वाले दिनों में इसी चुनौती का सामना दूसरे इलाकों में भी करना पड़ सकता है।
यह है चुनौती
दिल्ली में 1300 से अधिक अवैध झुग्गी-झोपडी कॉलोनियां हैं। इनमें ज्यादातर जगहों पर 10 से 15 फुट चौड़ी गलियां हैं। इनके बीच भी व्यावसायिक गतिविधयां चलती हैं जिन पर खरीदारी के लिए सुबह-शाम लोगों की अच्छी-खासी भीड़ जुटती है। यहां मकानों का आकार भी बेहद छोटा होता है। यहां 20-25 गज एरिया में बने घरों में आठ-दस लोगों का पूरा परिवार एक साथ रहता है। लिहाजा इन इलाकों में सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन करना संभव नहीं है। यही कारण है कि इन इलाकों में एक भी संक्रमित व्यक्ति के होने से बाकी लोगों में संक्रमण तेजी के साथ फैलता है।
दिलशाद गार्डन का फार्मूला अपनाएगी सरकार
दिल्ली सरकार के एक अधिकारी के मुताबिक दिलशाद गार्डन के फार्मूले को सरकार पूरी दिल्ली में लागू कर सकती है। इसी इलाके में दिल्ली में सबसे पहले कोरोना का मामला सामने आया था। जहां विदेश से आई एक महिला के माध्यम से दूसरे लोगों तक संक्रमण फैलना शुरू हुआ तो इसकी संख्या सैकड़ों तक जा पहुंची। इसके बाद इस एरिया को पूरी तरह सील कर दिया गया। किसी को अपने घर से भी बाहर निकलने की मनाही कर दी गई थी। इस दौरान एक-एक घर की ट्रेसिंग कर सबको संक्रमण से बचाने की कोशिश हुई। एक तरह से एरिया में कर्फ्यू जैसा माहौल बना दिया गया था।
अधिकारी के मुताबिक इसका परिणाम हुआ कि लगभग 15 दिन के बाद इस एरिया में एक भी नया केस आना बंद हो गया। अंत में इस एरिया को हॉटस्पॉट की लिस्ट से बाहर निकाल दिया गया।
अब जिन एरिया में कोरोना के मामले तेजी के साथ बढ़ रहे हैं वहां भी इसी तरह का फार्मूला अपनाया जा सकता है। जिन एरिया में अभी भी कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, बाकी एरिया को खुला छोड़ने के साथ-साथ इन एरिया में कर्फ्यू जैसी स्थिति लगानी पड़ेगी। इस दौरान लोगों की एक-एक जरूरत को सरकार के कर्मचारियों के द्वारा लोगों के घरों तक पहुंचाया जायेगा। केवल इस तरह की सख्ती के बाद ही इन इलाकों में संक्रमण पर काबू पाया जा सकेगा।
लेकिन फिर भी ये खतरा बरकरार
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पदाधिकारी डॉ. एसके पोद्दार के मुताबिक किसी एरिया के संक्रमण मुक्त हो जाने के बाद भी यह चुनौती हमेशा बरकरार रहेगी कि इसके बाद भी अगर वहां पर कोई नया केस आ जाता है तो उससे दूसरे लोग संक्रमित हो जाएं। यह चुनौती तब तक खत्म होने वाली नहीं है, जब तक कि इस संक्रमण के प्रति लोगों में इम्युनिटी विकसित नहीं हो जाती।
वैक्सीन या दवा के विकसित होने तक लोगों को भी खुद ही अपना बचाव करना पड़ेगा। इसके तहत जितना संभव हो सके दूरी बनाए रखने की कोशिश करनी पड़ेगी, बाहर निकलने से बचना होगा, बीच-बीच में हाथ धुलते रहना पड़ेगा और अगर बाहर निकलना मजबूरी हो तो इस दौरान मास्क लगाए रखना पड़ेगा। फिलहाल, कोरोना संक्रमण से बचाव का दूसरा कोई रास्ता अभी तक हमारे पास उपलब्ध नहीं है।
दिल्ली में कोरोना पर नियंत्रण करने के लिए सघन चेकिंग अभियान का फैसला कर लिया गया है। इसके तहत 20 जून से 18 हजार कोरोना टेस्ट प्रतिदिन किए जाएंगे। कोरोना केस वाले कंटेनमेंट जोन में घर-घर मैपिंग की जाएगी।
अधिकारियों का मानना है कि झुग्गी-झोपडी वाले इलाकों में घर-घर मैपिंग करना बेहद मुश्किल भरा काम हो सकता है। कोरोना के लक्षणहीन या माइल्ड केसों के मामले में इन इलाकों में लोगों को उनके घरों में आइसोलेट करना संभव नहीं है। कोरोना की लड़ाई में सबसे बड़ी मुश्किल इन्हीं इलाकों से आ रही है क्योंकि यहां एक संक्रमित व्यक्ति बेहद कम समय में सैकड़ों की संख्या में दूसरे लोगों को संक्रमित कर रहा है। जहांगीरपुरी जैसे इलाकों में अब तक संक्रमण के कंट्रोल न हो पाने के पीछे इसी कारण को सबसे बड़ा जिम्मेदार माना जा रहा है। आने वाले दिनों में इसी चुनौती का सामना दूसरे इलाकों में भी करना पड़ सकता है।
यह है चुनौती
दिल्ली में 1300 से अधिक अवैध झुग्गी-झोपडी कॉलोनियां हैं। इनमें ज्यादातर जगहों पर 10 से 15 फुट चौड़ी गलियां हैं। इनके बीच भी व्यावसायिक गतिविधयां चलती हैं जिन पर खरीदारी के लिए सुबह-शाम लोगों की अच्छी-खासी भीड़ जुटती है। यहां मकानों का आकार भी बेहद छोटा होता है। यहां 20-25 गज एरिया में बने घरों में आठ-दस लोगों का पूरा परिवार एक साथ रहता है। लिहाजा इन इलाकों में सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन करना संभव नहीं है। यही कारण है कि इन इलाकों में एक भी संक्रमित व्यक्ति के होने से बाकी लोगों में संक्रमण तेजी के साथ फैलता है।
दिलशाद गार्डन का फार्मूला अपनाएगी सरकार
दिल्ली सरकार के एक अधिकारी के मुताबिक दिलशाद गार्डन के फार्मूले को सरकार पूरी दिल्ली में लागू कर सकती है। इसी इलाके में दिल्ली में सबसे पहले कोरोना का मामला सामने आया था। जहां विदेश से आई एक महिला के माध्यम से दूसरे लोगों तक संक्रमण फैलना शुरू हुआ तो इसकी संख्या सैकड़ों तक जा पहुंची। इसके बाद इस एरिया को पूरी तरह सील कर दिया गया। किसी को अपने घर से भी बाहर निकलने की मनाही कर दी गई थी। इस दौरान एक-एक घर की ट्रेसिंग कर सबको संक्रमण से बचाने की कोशिश हुई। एक तरह से एरिया में कर्फ्यू जैसा माहौल बना दिया गया था।
अधिकारी के मुताबिक इसका परिणाम हुआ कि लगभग 15 दिन के बाद इस एरिया में एक भी नया केस आना बंद हो गया। अंत में इस एरिया को हॉटस्पॉट की लिस्ट से बाहर निकाल दिया गया।
अब जिन एरिया में कोरोना के मामले तेजी के साथ बढ़ रहे हैं वहां भी इसी तरह का फार्मूला अपनाया जा सकता है। जिन एरिया में अभी भी कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, बाकी एरिया को खुला छोड़ने के साथ-साथ इन एरिया में कर्फ्यू जैसी स्थिति लगानी पड़ेगी। इस दौरान लोगों की एक-एक जरूरत को सरकार के कर्मचारियों के द्वारा लोगों के घरों तक पहुंचाया जायेगा। केवल इस तरह की सख्ती के बाद ही इन इलाकों में संक्रमण पर काबू पाया जा सकेगा।
लेकिन फिर भी ये खतरा बरकरार
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पदाधिकारी डॉ. एसके पोद्दार के मुताबिक किसी एरिया के संक्रमण मुक्त हो जाने के बाद भी यह चुनौती हमेशा बरकरार रहेगी कि इसके बाद भी अगर वहां पर कोई नया केस आ जाता है तो उससे दूसरे लोग संक्रमित हो जाएं। यह चुनौती तब तक खत्म होने वाली नहीं है, जब तक कि इस संक्रमण के प्रति लोगों में इम्युनिटी विकसित नहीं हो जाती।
वैक्सीन या दवा के विकसित होने तक लोगों को भी खुद ही अपना बचाव करना पड़ेगा। इसके तहत जितना संभव हो सके दूरी बनाए रखने की कोशिश करनी पड़ेगी, बाहर निकलने से बचना होगा, बीच-बीच में हाथ धुलते रहना पड़ेगा और अगर बाहर निकलना मजबूरी हो तो इस दौरान मास्क लगाए रखना पड़ेगा। फिलहाल, कोरोना संक्रमण से बचाव का दूसरा कोई रास्ता अभी तक हमारे पास उपलब्ध नहीं है।
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