दिल्ली के घनी आबादी वाले इलाके कोविड-19 संक्रमण का अड्डा बनते जा रहे हैं। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के महामारी मामलों के विशेषज्ञ के अनुसार शहादरा, सीलमपुर, मंडावली, त्रिलोकपुरी, कल्याणपुरी, उत्तमनगर, सागरपुर जैसे घने इलाकों में कोविड-19 का संक्रमण 25-30 प्रतिशत तक फैल चुका है। खतरा बड़ा है और केंद्र सरकार इसे समझ रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के कोविड-19 संक्रमण की रोकथाम से जुड़े सूत्र ने भी माना कि जून, जूलाई और 20 अगस्त तक का समय संवेदनशील है। बताते हैं दिल्ली में इमरजेंसी हेल्थ प्लान बनाकर कोविड-19 संक्रमण से निपटने की तैयारी है।
अमित शाह, हर्षवर्धन, दिल्ली के उपराज्यपाल बैजल और केजरीवाल की उच्चस्तरीय बैठक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोविड-19 के बढ़ रहे संक्रमण पर लगातार नजर रख रहे हैं। 16-17 जून को वह राज्यों के मुख्यमंत्रियों से दो चरणों में चर्चा करेंगे। इसके साथ-साथ केंद्र सरकार की एक टीम कैबिनेट सचिव के नेतृत्व में राज्यों के मुख्य सचिवों से भी स्थिति और तैयारी का जायजा ले रही है। प्रधानमंत्री की निगाह अब महाराष्ट्र, दिल्ली, गुजरात जैसे सात राज्यों में तेजी से बढ़ रहे संक्रमण पर खास तौर से टिक गई है।
बताते हैं कि इसी सिलसिले में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने स्वास्थ्यमंत्री डॉ. हर्षवर्धन, दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के साथ बैठक की है। शाम को फिर केंद्रीय गृहमंत्री तीनों नगर निगमों के चेयरमैन, मेयर आदि के साथ बैठक बुलाई है। इस बैठक में भी मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, उपराज्यपाल रहेंगे। अभी संपन्न हुई 1.20 घंटे की बैठक में दिल्ली में कोविड-19 संक्रमण के प्रसार, इलाज के संसाधन, आवश्यकता जैसे तमाम बिंदुओं पर चर्चा की है। चर्चा के बाद केंद्र सरकार ने दिल्ली को उच्च वरीयता पर लेकर चलने का निर्णय लिया है।
अभी दिल्ली में 39 हजार कोविड-19 संक्रमित हैं। 1200 से अधिक लोग जान गवां चुके हैं। 24 घंटे में दिल्ली में 5776 लोगों की जांच हुई, इसमें 2134 लोग कोविड पॉजिटिव पाए गए। अभी राजधानी में 2242 पॉजिटिव मरीज हैं। इस तरह से यह आंकड़ा संक्रमितों की संख्या ठीकठाक होने की चुगली कर रहा है।
क्या है सरकार का इमरजेंसी हेल्थ प्लान
अधिक से अधिक टेस्टिंग करके संक्रमितों की पहचान, उन्हें आवश्यकतानुसार इलाज उपलब्ध कराना और अधिक से अधिक लोगों की जान बचाना। इसके लिए उच्चस्तरीय बैठक में निर्णय लिया गया है कि अगले दो दिन में कोविड-19 के परीक्षण को दो गुना और छह दिन के भीतर इसे हर दिन तीन गुना कर दिया जाएगा। यानी 20 जून के बाद दिल्ली में हर रोज करीब 21,500 लोगों के कोविड-19 परीक्षण होंगे। केंद्र सरकार ने कोविड-19 से लड़ने के लिए दिल्ली सरकार को पांच विशेषज्ञों की टीम देने का फैसला किया है।
अस्पताल और बेड की संख्या को ध्यान में 500 रेलवे कोच (8000 बेड) उपलब्ध करा रही है। इसके अलावा कोविड-19 के हॉटस्पॉट इलाके की पहचान, उस क्षेत्र में आवाजाही सीमित करने, हर मोबाइल फोन में आरोग्य सेतु एप डाउनलोड कराने, टेलीमेडिसिन की व्यवस्था को मजबूत कराने, ऑक्सीजन, वेंटिलेटर, पल्स ऑक्सीमीटर की उपलब्धता पर विशेष ध्यान देने का प्रयास किया जाएगा। टेलीमेडिसिन या टेलीफोनिक सलाह को मजबूत बनाने के लिए एम्स में वरिष्ठ चिकित्सकों की निगरानी में एक टीम काम करेगी। इसके अलावा वॉलेंटियर्स की संख्या बढ़ाने के साथ एनसीसी कैडेट व एनएसएस के वॉलंटियर्स की भी सहायता ली जाएगी।
भटकने न पाए मरीज
दिल्ली स्वास्थ्य निदेशालय, राम मनोहर लोहिया अस्पताल, एम्स और सफदरजंग अस्पताल के सूत्रों की माने संक्रमित बिस्तर की तलाश में भटक रहे हैं। एम्स के सूत्र का कहना है कि वह विशेष कैटेगरी के लोगों का फोन रिसीव कर करके परेशान हैं। सफदरजंग अस्पताल के डॉ. वरुण को समझ में नहीं आता कि कोविड-19 वार्ड का चिकित्सक बिस्तर का इंतजाम कैसे कर देगा? स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन के निजी सचिवालय में काम कर रहे रजत तिवारी लोगों के फोन से ही परेशान हैं।
एलएनजेपी अस्पताल के डॉ. मानचंदा मुद्दे पर बात करने से कतराते हैं। वह सिर्फ इतना कहते हैं कि समस्या तो है, लेकिन वह जो कर सकते हैं, कर रहे हैं। दिल्ली स्वास्थ्य निदेशालय के सूत्र बताते हैं कि नई कार्य योजना तैयार हो रही है। हम चाहते हैं कि इसमें कोई भी कोविड-19 का संक्रमित बेड के लिए भटकने न पाए। हालांकि दिल्ली सरकार ने इंटरनेट पर बेड की उपलब्धता की जानकारी उपलब्ध कराई है, लेकिन व्यवहार से इसका कोई मेल नहीं हो पा रहा है।
लोगों की जान बचाना रहेगी प्राथमिकता
वाक्य बहुत कड़वा है, लेकिन हकीकत है। केंद्रीय रणनीतिकार भी मान रहे हैं दिल्ली अब मुंबई के रास्ते पर है। एम्स के डॉ. आनंद कृष्णन का कहना है कि संक्रमण का सामुदायिक प्रसार हो चुका है। दिल्ली भी मुंबई के रास्ते पर है। एक अन्य विशेषज्ञ का कहना है कि जुलाई के अंत तक दिल्ली की घनी आबादी वाली पांच फीसदी जनसंख्या संक्रमण की चपेट में आ सकती है। संख्या में गणना करने पर यह 20-25 लाख लोगों की तादाद बनती है।
इसलिए अब पहली प्रथमिकता अधिक से अधिक लोगों को बिना इंतजार किए इलाज की सुविधा देकर अधिक से अधिक की जान बचाना है। इसलिए टेस्टिंग की क्षमता बढ़ाकर संक्रमितों की पहचान, उनका वर्गीकरण और सीरियस मरीजों को अविलंब अस्पताल की सुविधा देने का ही चारा बचा है। इस संक्रमण में सबसे अधिक ऑक्सीजन की उपलब्धता है और डॉ. कृष्णन का मानना है कि सरकार इस दिशा में निश्चित रूप से प्रयास कर रही होगी।
संक्रमण और इलाज की जटिलता
एम्स के विशेषज्ञों का कहना है कि आवाजाही खुलने के बाद कोविड-19 के संक्रमितों की तलाश, उनका परीक्षण, पॉजिटिव होने की रिपोर्ट आने तक वह कई लोगों में संक्रमण फैलने का कारण बन चुके होते हैं। इसके 100 संक्रमितों में से 6-10 मरीजों को आक्सीजन, वेंटिलेटर आदि की जरूरत पड़ने का अनुमान है। एक संक्रमित अस्पताल में दाखिल होने के बाद कम से कम 15-17 दिन के लिए बेड पर रहता है।
इस तरह से दिल्ली में 1.30 करोड़ की आबादी की यदि 90 लाख जनसंख्या घनी बस्तियों में रहती है तो इसका 25 फीसदी भी मान लें तो जुलाई के अंत तक 20-25 लाख संक्रमितों के हो जाने का अनुमान है। इस तरह से बेड, आक्सीजन की उपलब्धता वाले बेड, वेंटिलेटर आदि की काफी बड़ी आवश्यकता पड़ सकती है। इसलिए इलाज की चुनौती काफी बड़ी है, खतरा भी बड़ा है।
सार
- केंद्रीय गृहमंत्री शाह, स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन, दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल और सीएम केजरीवाल का मेगा प्लान पर ध्यान
- जुलाई के अंत तक संक्रमितों की संख्या कुछ लाख में होने का अनुमान
- दिल्ली के साथ-साथ केंद्र की टीम रहेगी सक्रिय
विस्तार
दिल्ली के घनी आबादी वाले इलाके कोविड-19 संक्रमण का अड्डा बनते जा रहे हैं। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के महामारी मामलों के विशेषज्ञ के अनुसार शहादरा, सीलमपुर, मंडावली, त्रिलोकपुरी, कल्याणपुरी, उत्तमनगर, सागरपुर जैसे घने इलाकों में कोविड-19 का संक्रमण 25-30 प्रतिशत तक फैल चुका है। खतरा बड़ा है और केंद्र सरकार इसे समझ रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के कोविड-19 संक्रमण की रोकथाम से जुड़े सूत्र ने भी माना कि जून, जूलाई और 20 अगस्त तक का समय संवेदनशील है। बताते हैं दिल्ली में इमरजेंसी हेल्थ प्लान बनाकर कोविड-19 संक्रमण से निपटने की तैयारी है।
अमित शाह, हर्षवर्धन, दिल्ली के उपराज्यपाल बैजल और केजरीवाल की उच्चस्तरीय बैठक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोविड-19 के बढ़ रहे संक्रमण पर लगातार नजर रख रहे हैं। 16-17 जून को वह राज्यों के मुख्यमंत्रियों से दो चरणों में चर्चा करेंगे। इसके साथ-साथ केंद्र सरकार की एक टीम कैबिनेट सचिव के नेतृत्व में राज्यों के मुख्य सचिवों से भी स्थिति और तैयारी का जायजा ले रही है। प्रधानमंत्री की निगाह अब महाराष्ट्र, दिल्ली, गुजरात जैसे सात राज्यों में तेजी से बढ़ रहे संक्रमण पर खास तौर से टिक गई है।
बताते हैं कि इसी सिलसिले में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने स्वास्थ्यमंत्री डॉ. हर्षवर्धन, दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के साथ बैठक की है। शाम को फिर केंद्रीय गृहमंत्री तीनों नगर निगमों के चेयरमैन, मेयर आदि के साथ बैठक बुलाई है। इस बैठक में भी मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, उपराज्यपाल रहेंगे। अभी संपन्न हुई 1.20 घंटे की बैठक में दिल्ली में कोविड-19 संक्रमण के प्रसार, इलाज के संसाधन, आवश्यकता जैसे तमाम बिंदुओं पर चर्चा की है। चर्चा के बाद केंद्र सरकार ने दिल्ली को उच्च वरीयता पर लेकर चलने का निर्णय लिया है।
अभी दिल्ली में 39 हजार कोविड-19 संक्रमित हैं। 1200 से अधिक लोग जान गवां चुके हैं। 24 घंटे में दिल्ली में 5776 लोगों की जांच हुई, इसमें 2134 लोग कोविड पॉजिटिव पाए गए। अभी राजधानी में 2242 पॉजिटिव मरीज हैं। इस तरह से यह आंकड़ा संक्रमितों की संख्या ठीकठाक होने की चुगली कर रहा है।
क्या है सरकार का इमरजेंसी हेल्थ प्लान
अधिक से अधिक टेस्टिंग करके संक्रमितों की पहचान, उन्हें आवश्यकतानुसार इलाज उपलब्ध कराना और अधिक से अधिक लोगों की जान बचाना। इसके लिए उच्चस्तरीय बैठक में निर्णय लिया गया है कि अगले दो दिन में कोविड-19 के परीक्षण को दो गुना और छह दिन के भीतर इसे हर दिन तीन गुना कर दिया जाएगा। यानी 20 जून के बाद दिल्ली में हर रोज करीब 21,500 लोगों के कोविड-19 परीक्षण होंगे। केंद्र सरकार ने कोविड-19 से लड़ने के लिए दिल्ली सरकार को पांच विशेषज्ञों की टीम देने का फैसला किया है।
अस्पताल और बेड की संख्या को ध्यान में 500 रेलवे कोच (8000 बेड) उपलब्ध करा रही है। इसके अलावा कोविड-19 के हॉटस्पॉट इलाके की पहचान, उस क्षेत्र में आवाजाही सीमित करने, हर मोबाइल फोन में आरोग्य सेतु एप डाउनलोड कराने, टेलीमेडिसिन की व्यवस्था को मजबूत कराने, ऑक्सीजन, वेंटिलेटर, पल्स ऑक्सीमीटर की उपलब्धता पर विशेष ध्यान देने का प्रयास किया जाएगा। टेलीमेडिसिन या टेलीफोनिक सलाह को मजबूत बनाने के लिए एम्स में वरिष्ठ चिकित्सकों की निगरानी में एक टीम काम करेगी। इसके अलावा वॉलेंटियर्स की संख्या बढ़ाने के साथ एनसीसी कैडेट व एनएसएस के वॉलंटियर्स की भी सहायता ली जाएगी।
भटकने न पाए मरीज
दिल्ली स्वास्थ्य निदेशालय, राम मनोहर लोहिया अस्पताल, एम्स और सफदरजंग अस्पताल के सूत्रों की माने संक्रमित बिस्तर की तलाश में भटक रहे हैं। एम्स के सूत्र का कहना है कि वह विशेष कैटेगरी के लोगों का फोन रिसीव कर करके परेशान हैं। सफदरजंग अस्पताल के डॉ. वरुण को समझ में नहीं आता कि कोविड-19 वार्ड का चिकित्सक बिस्तर का इंतजाम कैसे कर देगा? स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन के निजी सचिवालय में काम कर रहे रजत तिवारी लोगों के फोन से ही परेशान हैं।
एलएनजेपी अस्पताल के डॉ. मानचंदा मुद्दे पर बात करने से कतराते हैं। वह सिर्फ इतना कहते हैं कि समस्या तो है, लेकिन वह जो कर सकते हैं, कर रहे हैं। दिल्ली स्वास्थ्य निदेशालय के सूत्र बताते हैं कि नई कार्य योजना तैयार हो रही है। हम चाहते हैं कि इसमें कोई भी कोविड-19 का संक्रमित बेड के लिए भटकने न पाए। हालांकि दिल्ली सरकार ने इंटरनेट पर बेड की उपलब्धता की जानकारी उपलब्ध कराई है, लेकिन व्यवहार से इसका कोई मेल नहीं हो पा रहा है।
लोगों की जान बचाना रहेगी प्राथमिकता
वाक्य बहुत कड़वा है, लेकिन हकीकत है। केंद्रीय रणनीतिकार भी मान रहे हैं दिल्ली अब मुंबई के रास्ते पर है। एम्स के डॉ. आनंद कृष्णन का कहना है कि संक्रमण का सामुदायिक प्रसार हो चुका है। दिल्ली भी मुंबई के रास्ते पर है। एक अन्य विशेषज्ञ का कहना है कि जुलाई के अंत तक दिल्ली की घनी आबादी वाली पांच फीसदी जनसंख्या संक्रमण की चपेट में आ सकती है। संख्या में गणना करने पर यह 20-25 लाख लोगों की तादाद बनती है।
इसलिए अब पहली प्रथमिकता अधिक से अधिक लोगों को बिना इंतजार किए इलाज की सुविधा देकर अधिक से अधिक की जान बचाना है। इसलिए टेस्टिंग की क्षमता बढ़ाकर संक्रमितों की पहचान, उनका वर्गीकरण और सीरियस मरीजों को अविलंब अस्पताल की सुविधा देने का ही चारा बचा है। इस संक्रमण में सबसे अधिक ऑक्सीजन की उपलब्धता है और डॉ. कृष्णन का मानना है कि सरकार इस दिशा में निश्चित रूप से प्रयास कर रही होगी।
संक्रमण और इलाज की जटिलता
एम्स के विशेषज्ञों का कहना है कि आवाजाही खुलने के बाद कोविड-19 के संक्रमितों की तलाश, उनका परीक्षण, पॉजिटिव होने की रिपोर्ट आने तक वह कई लोगों में संक्रमण फैलने का कारण बन चुके होते हैं। इसके 100 संक्रमितों में से 6-10 मरीजों को आक्सीजन, वेंटिलेटर आदि की जरूरत पड़ने का अनुमान है। एक संक्रमित अस्पताल में दाखिल होने के बाद कम से कम 15-17 दिन के लिए बेड पर रहता है।
इस तरह से दिल्ली में 1.30 करोड़ की आबादी की यदि 90 लाख जनसंख्या घनी बस्तियों में रहती है तो इसका 25 फीसदी भी मान लें तो जुलाई के अंत तक 20-25 लाख संक्रमितों के हो जाने का अनुमान है। इस तरह से बेड, आक्सीजन की उपलब्धता वाले बेड, वेंटिलेटर आदि की काफी बड़ी आवश्यकता पड़ सकती है। इसलिए इलाज की चुनौती काफी बड़ी है, खतरा भी बड़ा है।
Discussion about this post