कोरोना संकटकाल में दूसरे राज्यों से काम छोड़कर अपने घरों को लौटे कुशल प्रवासी मजदूरों के हुनर को अब पहचान मिलेगी। ऐसे इच्छुक प्रवासियों को रिकग्निशन प्रायर लर्निंग (आरपीएल) प्रोग्राम चलाकर तीन दिन के अंदर सर्टिफिकेट प्रदान किया जाएगा। साथ ही अकुशल प्रवासी मजदूरों को कौशल विकास के माध्यम से विभिन्न शॉट टर्म ट्रेनिंग प्रोग्राम चलाकर प्रशिक्षित किया जाएगा। इसे लेकर बीते दिनों स्किल मैपिंग के दौरान 4543 प्रवासी मजदूरों ने इच्छा जताई है।
प्रथम चरण में अब तक जिले में 130621 प्रवासी मजदूरों की स्किल मैपिंग हो चुकी है। इनमें 85391 प्रवासी कुशल हैं और वहीं 43230 अकुशल कामगार हैं। कुशल कामगारों के पास हुनर होने के बाद भी कोई प्रमाणपत्र नहीं हैं। ये कमाने के लिए अपना घर बार छोड़कर दूसरे राज्यों में गए। वहां काम सीखा और पेट पालने में जुट गए। औने-पौने दाम पर मजदूरी पाकर अपना गुजर- बसर करते हैं।
सरकार की मानना है कि इनके पास प्रमाणपत्र होगा तो इन्हें स्वरोजगार के साथ-साथ कंपनी में भी काम मिलने की राह आसान हो जाएगी। ऐसे ही इच्छुक अकुशल प्रवासी मजदूरों को कौशल विकास से जुड़े 70 से अधिक विभिन्न कोर्स में 15 दिन से लेकर एक साल तक के कोर्स में प्रशिक्षण देकर नौकरी के काबिल बनाया जाएगा।
स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम का मुख्य लक्ष्य युवाओं के लिए ज्यादा से ज्यादा अवसरों का निर्माण करना है ताकि इन अवसरों का इस्तेमाल करके वे अपना पसंदीदा मार्ग चुन सके। इस योजना के तहत युवाओं को विभिन्न तकनीकी क्षेत्रों में ट्रेनिंग दी जाती है। बाकायदा तीन, छह, नौ, एक साल का प्रशिक्षण दिया जाता है।
पूरे देश में होती है प्रमाणपत्र की मान्यता
पंजीकरण, नामांकरण और प्रशिक्षण पूरी तरह से निशुल्क है। पाठ्यक्रमों का निर्धारण राष्ट्रीय व्यावसायिक मानक (एनओएस) और नेशनल वोकेशनल एजूकेशनल क्वालिटी फ्रेमवर्क (एनवीईक्यूएफ) के अनुसार किया जाता है। प्रशिक्षण में सफल अभ्यर्थियों को सरकार के द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थाओं जैसे एनसीवीटी और एनएसडीसी द्वारा स्थापित स्किल काउंसिल के द्वारा प्रमाण पत्र उपलब्ध कराया जाता है।
कौशल विकास में चलने वाले प्रमुख प्रशिक्षण
कौशल विकास के अंतर्गत इलेक्ट्रिकल, फेब्रिकेशन, गारमेंट मेकिंग, ऑटोमोटिव, एसी- रेफ्रिजरेशन, आईसीटी कंप्यूटर, हेल्थ केयर का प्रशिक्षण दिया जाता है। स्विंग मशीन ऑपरेटर, फील्ड टेक्नीशियन अदर होम एप्लायंस, मोबाइल फोन हार्डवेयर रिपेयरिंग, प्लंबर, टेलीकॉम, कंस्ट्रक्शन, ब्यूटी एंड वेलनेस, बीएफएसआई, जीएसटी, ब्यूटी थेरपी, हेयर स्टाइलिस्ट, सोलर पैनल इंस्टालेशन, कस्टमर केयर एग्जीक्यूटिव।
प्रशिक्षण हासिल करने अभ्यर्थी पांचवीं, आठवीं और दसवीं पास होने चाहिए। मूल पाठ्यक्रम के साथ उन्हें अंग्रेजी बोलने और कंप्यूटर की सामान्य जानकारी दी जाती है। उम्र 18-35 वर्ष तक है।
कौशल विकास जिला समन्वयक सत्यकांत ने बताया कि राजकीय आईटीआई में चल रहे स्किल मैपिंग के काम के दौरान प्रवासी मजदूरों से ट्रेनिंग के बारे में पूछा गया था। उन्होंने सहमति प्रदान की है। जिला प्रशासन को मामले की जानकारी दी गई है। कौशल विकास ट्रेनिंग देने के लिए तैयार है।
आईटीआई जेडी राजेश राम ने बताया कि प्रथम चरण में चल रहे स्किल मैपिंग के काम के तहत अब तक एक लाख से अधिक प्रवासी मजदूरों के स्किल की मैपिंग की जा चुकी है। इनमें से चार हजार लोगों ने प्रशिक्षण हासिल करने के लिए सहमति जताई है। इन्हें प्रशिक्षण दिलाने की कवायद चल रही है। जल्द ही इसे धरातल पर उतारा जाएगा।
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