पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर जारी विवाद सुलझाने के लिए एक ओर जहां लगातार बातचीत चल रही है वहीं, चीन अपनी हरकतों से भी बाज नहीं आ रहा। चीन ने लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश तक करीब चार हजार किलोमीटर लंबी एलएसी पर बड़ी संख्या में सैनिक तैनात कए हैं। इस बीच, ड्रैगन की चालबाजी से सतर्क भारत ने भी बड़ी संख्या में सैनिक टुकड़ियां हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल के लिए रवाना कर दी हैं।
सरकारी सूत्रों के मुताबिक चीन ने न केवल लद्दाख बल्कि हिमाचल, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल में भी एलएसी पर सैनिकों और हथियारों की तैनाती बढ़ाई है। ऐसे में किसी गड़बड़ी की आशंका से बचने के लिए भारत ने भी एलएसी के अग्रिम मोर्चे पर सैन्य तैनाती बढ़ा दी है। हिमाचल की रिजर्व ब्रिगेड लद्दाख सेक्टर तक पहुंच गई है। ऐसा कारू में तैनात सेना की तीसरी इन्फैंट्री बिग्रेड को सहयोग देने के लिए किया गया। हिमाचल के सीमायी इलाकों में भी अतिरिक्त लड़ाकू दस्ते तैनात किए गए हैं। इसी इलाके में पिछले माह चीनी हेलीकाप्टर दिखे थे।
15 माउंटेन स्ट्राइक कॉर्प भी तैयार
सूत्रों ने बताया, उत्तराखंड के हर्सिल-बाराहोती-नेलांग घाटी सहित अन्य सेक्टरों में भी भारतीय सैनिकों की तैनाती बढ़ाई गई है। इन इलाकों में चीनी सैनिकों के पहुंचने के पहले उसके हेलीकॉप्टरों ने उड़ान भरी थी। इसके अलावा चीनी सैनिक पैदल पेट्रोलिंग करते हुए भी दिखे। चिकेन नेक से शुरू होने वाले पूर्वी सेक्टर में सैनिकों की ट्रेनिंग ब्रिगेड, सुकना बेस की 33वीं कोर और तेजपुर स्थित चौथी ब्रिगेड को तैनात किया गया है। इसके साथ ही 17 माउंटेन स्ट्राइक कॉर्प भी तैनाती के लिए तैयार है।
भारत ने भी तैनात की होवित्जर तोप
भारत ने सीमा पर चीन की किसी भी हरकत का जवाब देने के लिए होवित्जर तोप सहित अन्य बड़े हथियार तैनात किए हैं। चीन ने एलएसी पर जैसे ही सैन्य संसाधनों के लिए निर्माण शुरू किया अप्रत्याशित रूप से उसके हेलीकॉप्टर सीमा पर विभिन्न सेक्टरों पर मंडराते देखे गए। चीनी हेलीकॉप्टरों ने हिमाचल के किन्नौर और उत्तराखंड के बाराहोती में भारतीय सीमा के करीब उड़ान भरी थी। केवल लद्दाख में चीन ने एलएसी पर दस हजार से ज्यादा सैनिक, भारी टैंक, लंबी रेंज की राइफल सहित बड़े पैमाने पर हथियार तैनात किए हैं।
लद्दाख में सबसे लंबा गतिरोध
लद्दाख में भारत-चीन के बीच अब तक का सबसे लंबा गतिरोध है। इसकी शुरुआत पांच मई को हुई जब चीन और भारतीय सेना के बीच एलएसी पर हिंसक भिड़ंत हुई। चीन ने लद्दाख सेक्टर और सिक्किम में सैन्य निर्माण शुरू कर दिए थे। सिक्किम में चीनी सैनिक के नाकू ला क्षेत्र में आने पर उनकी भारतीय सैनिकों से भिड़ंत हुई।
जारी रहेगी सैन्य कमांडर स्तर की वार्ता
भारत और चीन के बीच सीमा विवाद खत्म करने लिए सैन्य कमांडर स्तर की वार्ता जारी रहेगी। बुधवार को मेजर जनरल स्तर की वार्ता में यह तय हुआ है कि आगामी दिनों में चुशुल में विभिन्न स्तरों पर बातचीत होगी। भारत ने सैन्य कमांडरों की वार्ता में दो टूक कहा है कि जब तक चीन एलएसी से सैनिक और हथियार नहीं हटाता तनाव बना रहेगा।
चीनी मीडिया भी भारत के खिलाफ अभियान में लगा
सैन्य तनाव के बीच चीन के सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने भी भारत के खिलाफ अभियान शुरू किया है। ग्लोबल टाइम्स ने दावा किया कि चीन सेना ने भारत से तनाव को देखते हुए अपनी सबसे आधुनिक तोप पीसीएल-181 को लद्दाख सीमा पर तैनात किया है। इस तोप को हाल ही में सेना में शामिल किया गया है। चीनी अखबार ने कहा, चीनी सेना की 75वीं ग्रुप आर्मी की ब्रिगेड ने हाल ही में दक्षिणी सीमा पर हुए समारोह में कई नए हथियारों को शामिल किया था। 155 एमएम की इस तोप का वजन केवल 25 टन है। इससे यह बेहद आसानी से ऊंचाई वाले स्थानों पर ले जाई जा सकती है। ग्लोबल टाइम्स का दावा है कि 2017 में दोकलम विवाद के दौरान भी इन तोपों को तैनात किया गया था।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि सीमा विवाद खत्म करने के लिए भारत-चीन कूटनीतिक और सैन्य चैनलों से बातचीत कर रहे हैं। मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा, दोनाें देश अपने नेतृत्व द्वारा सीमा पर शांति और स्थिरता बहाली के दिशा-निर्देशों के आधार पर विवाद जल्द से जल्द खत्म करने के लिए काम कर रहे हैं। दोनों देशों के आपसी रिश्तों को मजबूती देने के लिए यह बेहद जरूरी है। हालांकि उन्होंने सीमा से दोनों देशों के सैनिकों के वापस हटने संबंधी सवाल पर कोई टिप्पणी नहीं की।
सीमा पर तनाव घटाने के लिए मिलकर काम कर रहे : चीन
बीजिंग। चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारत से प्रभावशाली बातचीत हुई है और सीमा विवाद से ठीक से निबटने को लेकर सहमति बनी है। चीन का बयान सैन्य कमांडरों की बातचीत के एक दिन बाद आया है। इस सवाल पर कि दोनों देशों ने क्या कदम उठाए हैं, विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनियंग कहा, उन्हें जमीनी स्थिति की जानकारी नहीं है। हुआ ने कहा, मैं इतना कह सकती हूं कि दोनों देश इस मुद्दे को सही तरीके से संभाल रहे हैं। आम सहमति के आधार पर दोनों पक्ष इस विवाद को खत्म करने के लिए कार्रवाई कर रहे हैं।
पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव के बीच चीन ने लद्दाख सीमा को ध्यान में रखते हुए युद्धाभ्यास में अपनी सबसे शक्तिशाली तोप पीसीएल-181 के नए बैच को शामिल कर लिया है। वैहिकल माउंटेड पीसीएल-181 होवित्जर तोप को चीन के सैन्य बेड़े में उच्च पर्वतीय क्षेत्र की सबसे कारगर तोप माना जाता है। चीन सरकार के मुखपत्र अखबार ग्लोबल टाइम्स ने 75वीं ग्रुप आर्मी के हवाले से इस जानकारी को सार्वजनिक किया है।
पिछले कुछ दिनों में इसी अखबार के हवाले से मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने के उद्देश्य से युद्धाभ्यास के कई वीडियो जारी किए गए हैं। इनमें खासकर दक्षिणी सीमा पर स्थित लद्दाख का जिक्र भी किया जाता रहा। इस बार पीसीएल-181 के एक और बैच को पीएलए के बेड़े में शामिल करने की बात कही गई है। इससे पूर्व दोकलम में भी पीसीएल-181 तोप को सीमा पर तैनात किया गया था।
उच्च पर्वतीय क्षेत्र में है कारगर
पीसीएल-181 एक ऐसी तोप है जो बख्तरबंद वाहन के ऊपर स्थापित की गई है। 25 टन वजन की इस तोप को बेहद कम समय में ऊंचाई वाले क्षेत्र में ले जाया जा सकता है। ऊंचे पठार क्षेत्र में ऑक्सीजन की कमी के बावजूद इंजन पर कम बोझ डाले हुए यह तोप लाई और ले जाई जा सकती है।
भेड़ पालकों को चीन सीमा पर चुगान की इजाजत मिल गई है। इस बार कोरोना संक्रमण और सीमा पर तनाव को देखते हुए उन्हें अनुमति मिलने में देरी हुई है। अब केंद्र की ओर से गाइडलाइन आने के बाद प्रशासन ने उनको अनुमति दे दी है।
भेड़ पालक हर साल चीन सीमा पर बाड़ाहोती, रिमखिम बॉर्डर, माणा पास के गसतोली तक चुगान के लिए अनुमति लेकर जाते हैं। चमोली जिले के भेड़ पालक करीब एक माह से परेशान थे। जगह-जगह आरक्षित वन क्षेत्र होने और वनीकरण होने से भेड़-बकरियों के लिए चुगान की समस्या खड़ी हो गई थी। अब इजाजत के बाद प्रशासन ने अभी तक 84 भेड़-बकरी पालकों के पास बना दिए हैं। कुछ के पास बनाने की प्रक्रिया चल रही है।
सार
- 15 माउंटेन स्ट्राइक कॉर्प भी तैयार
- भारत ने भी तैनात की होवित्जर तोप
- चीनी मीडिया भी भारत के खिलाफ अभियान में लगा
- बातचीत के बीच चीन ने लद्दाख से अरुणाचल तक बढ़ाए सैनिक
विस्तार
पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर जारी विवाद सुलझाने के लिए एक ओर जहां लगातार बातचीत चल रही है वहीं, चीन अपनी हरकतों से भी बाज नहीं आ रहा। चीन ने लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश तक करीब चार हजार किलोमीटर लंबी एलएसी पर बड़ी संख्या में सैनिक तैनात कए हैं। इस बीच, ड्रैगन की चालबाजी से सतर्क भारत ने भी बड़ी संख्या में सैनिक टुकड़ियां हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल के लिए रवाना कर दी हैं।
सरकारी सूत्रों के मुताबिक चीन ने न केवल लद्दाख बल्कि हिमाचल, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल में भी एलएसी पर सैनिकों और हथियारों की तैनाती बढ़ाई है। ऐसे में किसी गड़बड़ी की आशंका से बचने के लिए भारत ने भी एलएसी के अग्रिम मोर्चे पर सैन्य तैनाती बढ़ा दी है। हिमाचल की रिजर्व ब्रिगेड लद्दाख सेक्टर तक पहुंच गई है। ऐसा कारू में तैनात सेना की तीसरी इन्फैंट्री बिग्रेड को सहयोग देने के लिए किया गया। हिमाचल के सीमायी इलाकों में भी अतिरिक्त लड़ाकू दस्ते तैनात किए गए हैं। इसी इलाके में पिछले माह चीनी हेलीकाप्टर दिखे थे।
15 माउंटेन स्ट्राइक कॉर्प भी तैयार
सूत्रों ने बताया, उत्तराखंड के हर्सिल-बाराहोती-नेलांग घाटी सहित अन्य सेक्टरों में भी भारतीय सैनिकों की तैनाती बढ़ाई गई है। इन इलाकों में चीनी सैनिकों के पहुंचने के पहले उसके हेलीकॉप्टरों ने उड़ान भरी थी। इसके अलावा चीनी सैनिक पैदल पेट्रोलिंग करते हुए भी दिखे। चिकेन नेक से शुरू होने वाले पूर्वी सेक्टर में सैनिकों की ट्रेनिंग ब्रिगेड, सुकना बेस की 33वीं कोर और तेजपुर स्थित चौथी ब्रिगेड को तैनात किया गया है। इसके साथ ही 17 माउंटेन स्ट्राइक कॉर्प भी तैनाती के लिए तैयार है।
भारत ने भी तैनात की होवित्जर तोप
भारत ने सीमा पर चीन की किसी भी हरकत का जवाब देने के लिए होवित्जर तोप सहित अन्य बड़े हथियार तैनात किए हैं। चीन ने एलएसी पर जैसे ही सैन्य संसाधनों के लिए निर्माण शुरू किया अप्रत्याशित रूप से उसके हेलीकॉप्टर सीमा पर विभिन्न सेक्टरों पर मंडराते देखे गए। चीनी हेलीकॉप्टरों ने हिमाचल के किन्नौर और उत्तराखंड के बाराहोती में भारतीय सीमा के करीब उड़ान भरी थी। केवल लद्दाख में चीन ने एलएसी पर दस हजार से ज्यादा सैनिक, भारी टैंक, लंबी रेंज की राइफल सहित बड़े पैमाने पर हथियार तैनात किए हैं।
लद्दाख में सबसे लंबा गतिरोध
लद्दाख में भारत-चीन के बीच अब तक का सबसे लंबा गतिरोध है। इसकी शुरुआत पांच मई को हुई जब चीन और भारतीय सेना के बीच एलएसी पर हिंसक भिड़ंत हुई। चीन ने लद्दाख सेक्टर और सिक्किम में सैन्य निर्माण शुरू कर दिए थे। सिक्किम में चीनी सैनिक के नाकू ला क्षेत्र में आने पर उनकी भारतीय सैनिकों से भिड़ंत हुई।
जारी रहेगी सैन्य कमांडर स्तर की वार्ता
भारत और चीन के बीच सीमा विवाद खत्म करने लिए सैन्य कमांडर स्तर की वार्ता जारी रहेगी। बुधवार को मेजर जनरल स्तर की वार्ता में यह तय हुआ है कि आगामी दिनों में चुशुल में विभिन्न स्तरों पर बातचीत होगी। भारत ने सैन्य कमांडरों की वार्ता में दो टूक कहा है कि जब तक चीन एलएसी से सैनिक और हथियार नहीं हटाता तनाव बना रहेगा।
चीनी मीडिया भी भारत के खिलाफ अभियान में लगा
सैन्य तनाव के बीच चीन के सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने भी भारत के खिलाफ अभियान शुरू किया है। ग्लोबल टाइम्स ने दावा किया कि चीन सेना ने भारत से तनाव को देखते हुए अपनी सबसे आधुनिक तोप पीसीएल-181 को लद्दाख सीमा पर तैनात किया है। इस तोप को हाल ही में सेना में शामिल किया गया है। चीनी अखबार ने कहा, चीनी सेना की 75वीं ग्रुप आर्मी की ब्रिगेड ने हाल ही में दक्षिणी सीमा पर हुए समारोह में कई नए हथियारों को शामिल किया था। 155 एमएम की इस तोप का वजन केवल 25 टन है। इससे यह बेहद आसानी से ऊंचाई वाले स्थानों पर ले जाई जा सकती है। ग्लोबल टाइम्स का दावा है कि 2017 में दोकलम विवाद के दौरान भी इन तोपों को तैनात किया गया था।
सीमा विवाद पर लगातार हो रही है चीन से बात : भारत
भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि सीमा विवाद खत्म करने के लिए भारत-चीन कूटनीतिक और सैन्य चैनलों से बातचीत कर रहे हैं। मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा, दोनाें देश अपने नेतृत्व द्वारा सीमा पर शांति और स्थिरता बहाली के दिशा-निर्देशों के आधार पर विवाद जल्द से जल्द खत्म करने के लिए काम कर रहे हैं। दोनों देशों के आपसी रिश्तों को मजबूती देने के लिए यह बेहद जरूरी है। हालांकि उन्होंने सीमा से दोनों देशों के सैनिकों के वापस हटने संबंधी सवाल पर कोई टिप्पणी नहीं की।
सीमा पर तनाव घटाने के लिए मिलकर काम कर रहे : चीन
बीजिंग। चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारत से प्रभावशाली बातचीत हुई है और सीमा विवाद से ठीक से निबटने को लेकर सहमति बनी है। चीन का बयान सैन्य कमांडरों की बातचीत के एक दिन बाद आया है। इस सवाल पर कि दोनों देशों ने क्या कदम उठाए हैं, विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनियंग कहा, उन्हें जमीनी स्थिति की जानकारी नहीं है। हुआ ने कहा, मैं इतना कह सकती हूं कि दोनों देश इस मुद्दे को सही तरीके से संभाल रहे हैं। आम सहमति के आधार पर दोनों पक्ष इस विवाद को खत्म करने के लिए कार्रवाई कर रहे हैं।
तनाव के बीच चीन ने युद्धाभ्यास में उतारी सबसे शक्तिशाली तोप
पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव के बीच चीन ने लद्दाख सीमा को ध्यान में रखते हुए युद्धाभ्यास में अपनी सबसे शक्तिशाली तोप पीसीएल-181 के नए बैच को शामिल कर लिया है। वैहिकल माउंटेड पीसीएल-181 होवित्जर तोप को चीन के सैन्य बेड़े में उच्च पर्वतीय क्षेत्र की सबसे कारगर तोप माना जाता है। चीन सरकार के मुखपत्र अखबार ग्लोबल टाइम्स ने 75वीं ग्रुप आर्मी के हवाले से इस जानकारी को सार्वजनिक किया है।
पिछले कुछ दिनों में इसी अखबार के हवाले से मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने के उद्देश्य से युद्धाभ्यास के कई वीडियो जारी किए गए हैं। इनमें खासकर दक्षिणी सीमा पर स्थित लद्दाख का जिक्र भी किया जाता रहा। इस बार पीसीएल-181 के एक और बैच को पीएलए के बेड़े में शामिल करने की बात कही गई है। इससे पूर्व दोकलम में भी पीसीएल-181 तोप को सीमा पर तैनात किया गया था।
उच्च पर्वतीय क्षेत्र में है कारगर
पीसीएल-181 एक ऐसी तोप है जो बख्तरबंद वाहन के ऊपर स्थापित की गई है। 25 टन वजन की इस तोप को बेहद कम समय में ऊंचाई वाले क्षेत्र में ले जाया जा सकता है। ऊंचे पठार क्षेत्र में ऑक्सीजन की कमी के बावजूद इंजन पर कम बोझ डाले हुए यह तोप लाई और ले जाई जा सकती है।
भेड़ पालकों को मिली चीन सीमा पर चुगान की इजाजत
भेड़ पालकों को चीन सीमा पर चुगान की इजाजत मिल गई है। इस बार कोरोना संक्रमण और सीमा पर तनाव को देखते हुए उन्हें अनुमति मिलने में देरी हुई है। अब केंद्र की ओर से गाइडलाइन आने के बाद प्रशासन ने उनको अनुमति दे दी है।
भेड़ पालक हर साल चीन सीमा पर बाड़ाहोती, रिमखिम बॉर्डर, माणा पास के गसतोली तक चुगान के लिए अनुमति लेकर जाते हैं। चमोली जिले के भेड़ पालक करीब एक माह से परेशान थे। जगह-जगह आरक्षित वन क्षेत्र होने और वनीकरण होने से भेड़-बकरियों के लिए चुगान की समस्या खड़ी हो गई थी। अब इजाजत के बाद प्रशासन ने अभी तक 84 भेड़-बकरी पालकों के पास बना दिए हैं। कुछ के पास बनाने की प्रक्रिया चल रही है।
इस साल भारत के क्षेत्र में चीन सीमा पर चुगान के लिए करीब 200 भेड़-बकरी पालकों ने आवेदन किए हैं। पिछले साल करीब 150 भेड़ पालक चीन सीमा पर चुगान के लिए गए थे। केंद्र की गाइड लाइन आने के बाद भेड़ पालकों के पास बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। अभी तक 84 के पास बन चुके हैं। अन्य के पास बनाने की प्रक्रिया जारी है। आवेदन करने वाले सभी लोगों को अनुमति दी जा रही है। -अनिल चन्याल, एसडीएम जोशीमठ।
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सीमा विवाद पर लगातार हो रही है चीन से बात : भारत
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