प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी सरकार के दूसरे कार्यकाल की पहली बैठक में एमएसएमई को लेकर मास्टरस्ट्रोक लगा दिया है। यह स्ट्रोक भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक नया रोड मैप तैयार करेगा।
मोदी सरकार ने एमएसएमई की परिभाषा में संशोधन कर इस क्षेत्र के लिए 50,000 करोड़ रुपये के इक्विटी निवेश को मंजूरी दी है।
कोरोनावायरस जैसी वैश्विक महामारी के बीच केंद्र सरकार का यह एलान अर्थव्यवस्था के लिए काफी अहम माना जा रहा है।
पीएचडी चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के प्रमुख अर्थशास्त्री एसपी शर्मा का कहना है कि सरकार का यह फैसला कोरोना की वजह से सुस्त पड़ी अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करेगा।
चूंकि एमएसएमई को आर्थिक संवृद्धि का बड़ा कारक माना जाता है, इसलिए सरकार ने इसकी परिभाषा में संशोधन कर उसे विस्तार दे दिया है।
निश्चित तौर पर भारतीय अर्थव्यवस्था को इसका फायदा पहुंचेगा।
एसपी शर्मा का कहना है कि पहले एमएसएमई सेक्टर अपने सीमित दायरे के चलते ज्यादा आगे नहीं बढ़ पा रहा था। इसे यूं भी कह सकते हैं कि इस सेक्टर की क्षमता का पूर्ण इस्तेमाल नहीं हो सका।
अब केंद्र सरकार ने एमएसएमई का दायरा बढ़ाकर इसकी पूर्ण श्रमता को विकसित होने का एक जरिया प्रदान कर दिया है। सरकार का यह फैसला एमएसएमई के अलावा मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर और जीडीपी में उछाल लाएगा।
एमएसएमई में निवेश और टर्नओवर की सीमा बढ़ने से इसका शेयर मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में बढ़ जाएगा। मौजूदा स्थिति में यह शेयर करीब 42-50 फीसदी है, जो कि अगले दो साल में बढ़कर 60 फीसदी तक पहुंच सकता है।
इसके अलावा जीडीपी में भी मैन्युफैक्चरिंग का शेयर बढ़ जाएगा। अभी यह शेयर 15-16 फीसदी है, जबकि अगले तीन साल में यह बढ़कर 20 फीसदी तक पहुंचने की उम्मीद है।
ये बदलाव देंगे एमएसएमई सेक्टर को नई दिशा
एमएसएमई को लेकर कैबिनेट की घोषणाओं के बारे में जानकारी देते हुए उद्योग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि मुश्किल में फंसे दो लाख एमएसएमई के लिए 20,000 करोड़ सहायता का प्रावधान किया गया है।
सरकार सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों के लिए क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट के तहत 4,000 करोड़ रुपये की मदद देगी। बैंकों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे एमएसएमई के प्रमोटर्स को इकाई में अपनी मौजूदा हिस्सेदारी के 15 फीसदी के बराबर सहायता प्रदान करें।
इसकी अधिकतम सीमा 75 लाख रुपये तय की गई है। सरकार ने 10,000 करोड़ रुपये के कोष के साथ एक फंड ऑफ फंड की स्थापना करने का निर्णय लिया है।
इसके जरिए भी एमएसएमई सेक्टर को इक्विटी फंडिंग में मदद की जाएगी। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर का कहना है कि एमएसएमई को प्रोत्साहन देने का फैसला अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करेगा।
कैबिनेट ने दबावग्रस्त एमएसएमई के लिए 20,000 करोड़ रुपये के अधीनस्थ कर्ज को मंजूरी दी है। इससे लिक्विडिटी की तंगी झेल रहे करीब 2 लाख एमएसएमई को फायदा पहुंचेगा।
रक्षा मंत्री ने एमएसएमई को भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ बताया
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पिछले दिनों कहा था कि एमएसएमई जीडीपी वृद्धि को गति प्रदान करता है। निर्यात के माध्यम से मूल्यवान विदेशी मुद्रा अर्जित करने के साथ साथ यह रोजगार के अवसर भी सृजित करता है।
एमएसएमई को मजबूत रखना सरकार की प्राथमिकताओं में से एक है। हमारे कई संगठनों जैसे, आयुध कारखानों, डीपीएसयू और सेवा संगठनों में से 8,000 से अधिक एमएसएमई काम कर रही हैं।
ये संगठन हमारे कुल उत्पादन में 20 फीसदी से अधिक का योगदान करते हैं। रक्षा मंत्री ने आश्वासन देते हुए कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रेरित ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान भारतीय उद्योग को कई अवसर प्रदान करेगा।
इससे लाखों नौकरियों के सृजन में मदद मिलेगी। अब एमएसएमई सेक्टर का विस्तार किया जा रहा है। विनिर्माण और सेवा क्षेत्र के बीच कोई अंतर नहीं होगा।
सार
मोदी सरकार ने एमएसएमई की परिभाषा में संशोधन कर इस क्षेत्र के लिए 50,000 करोड़ रुपये के इक्विटी निवेश को मंजूरी दी है…
विस्तार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी सरकार के दूसरे कार्यकाल की पहली बैठक में एमएसएमई को लेकर मास्टरस्ट्रोक लगा दिया है। यह स्ट्रोक भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक नया रोड मैप तैयार करेगा।
मोदी सरकार ने एमएसएमई की परिभाषा में संशोधन कर इस क्षेत्र के लिए 50,000 करोड़ रुपये के इक्विटी निवेश को मंजूरी दी है।
कोरोनावायरस जैसी वैश्विक महामारी के बीच केंद्र सरकार का यह एलान अर्थव्यवस्था के लिए काफी अहम माना जा रहा है।
पीएचडी चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के प्रमुख अर्थशास्त्री एसपी शर्मा का कहना है कि सरकार का यह फैसला कोरोना की वजह से सुस्त पड़ी अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करेगा।
चूंकि एमएसएमई को आर्थिक संवृद्धि का बड़ा कारक माना जाता है, इसलिए सरकार ने इसकी परिभाषा में संशोधन कर उसे विस्तार दे दिया है।
निश्चित तौर पर भारतीय अर्थव्यवस्था को इसका फायदा पहुंचेगा।
एसपी शर्मा का कहना है कि पहले एमएसएमई सेक्टर अपने सीमित दायरे के चलते ज्यादा आगे नहीं बढ़ पा रहा था। इसे यूं भी कह सकते हैं कि इस सेक्टर की क्षमता का पूर्ण इस्तेमाल नहीं हो सका।
अब केंद्र सरकार ने एमएसएमई का दायरा बढ़ाकर इसकी पूर्ण श्रमता को विकसित होने का एक जरिया प्रदान कर दिया है। सरकार का यह फैसला एमएसएमई के अलावा मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर और जीडीपी में उछाल लाएगा।
एमएसएमई में निवेश और टर्नओवर की सीमा बढ़ने से इसका शेयर मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में बढ़ जाएगा। मौजूदा स्थिति में यह शेयर करीब 42-50 फीसदी है, जो कि अगले दो साल में बढ़कर 60 फीसदी तक पहुंच सकता है।
इसके अलावा जीडीपी में भी मैन्युफैक्चरिंग का शेयर बढ़ जाएगा। अभी यह शेयर 15-16 फीसदी है, जबकि अगले तीन साल में यह बढ़कर 20 फीसदी तक पहुंचने की उम्मीद है।
ये बदलाव देंगे एमएसएमई सेक्टर को नई दिशा
एमएसएमई को लेकर कैबिनेट की घोषणाओं के बारे में जानकारी देते हुए उद्योग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि मुश्किल में फंसे दो लाख एमएसएमई के लिए 20,000 करोड़ सहायता का प्रावधान किया गया है।
सरकार सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों के लिए क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट के तहत 4,000 करोड़ रुपये की मदद देगी। बैंकों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे एमएसएमई के प्रमोटर्स को इकाई में अपनी मौजूदा हिस्सेदारी के 15 फीसदी के बराबर सहायता प्रदान करें।
इसकी अधिकतम सीमा 75 लाख रुपये तय की गई है। सरकार ने 10,000 करोड़ रुपये के कोष के साथ एक फंड ऑफ फंड की स्थापना करने का निर्णय लिया है।
इसके जरिए भी एमएसएमई सेक्टर को इक्विटी फंडिंग में मदद की जाएगी। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर का कहना है कि एमएसएमई को प्रोत्साहन देने का फैसला अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करेगा।
कैबिनेट ने दबावग्रस्त एमएसएमई के लिए 20,000 करोड़ रुपये के अधीनस्थ कर्ज को मंजूरी दी है। इससे लिक्विडिटी की तंगी झेल रहे करीब 2 लाख एमएसएमई को फायदा पहुंचेगा।
रक्षा मंत्री ने एमएसएमई को भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ बताया
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पिछले दिनों कहा था कि एमएसएमई जीडीपी वृद्धि को गति प्रदान करता है। निर्यात के माध्यम से मूल्यवान विदेशी मुद्रा अर्जित करने के साथ साथ यह रोजगार के अवसर भी सृजित करता है।
एमएसएमई को मजबूत रखना सरकार की प्राथमिकताओं में से एक है। हमारे कई संगठनों जैसे, आयुध कारखानों, डीपीएसयू और सेवा संगठनों में से 8,000 से अधिक एमएसएमई काम कर रही हैं।
ये संगठन हमारे कुल उत्पादन में 20 फीसदी से अधिक का योगदान करते हैं। रक्षा मंत्री ने आश्वासन देते हुए कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रेरित ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान भारतीय उद्योग को कई अवसर प्रदान करेगा।
इससे लाखों नौकरियों के सृजन में मदद मिलेगी। अब एमएसएमई सेक्टर का विस्तार किया जा रहा है। विनिर्माण और सेवा क्षेत्र के बीच कोई अंतर नहीं होगा।
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