भारत अकेला ऐसा देश है जो नेपाल का सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार है. भारत से सामान बहुत सस्ते में नेपाल भेजे जाते रहे हैं. इसमें सबसे ऊपर पेट्रोल और पेट्रोलियम पदार्थ हैं. नेपाल की तेल जरूरतों की 100 फीसदी आपूर्ति भारत से ही होती है. नेपाल ने विकल्प के तौर पर तेल आपूर्ति के लिए चीन की ओर देखा था, लेकिन उसे समझ में आ गया, ये बहुत मंहगा साबित होगा. भारत ने खासतौर पर नेपाल तक के लिए एक तेल पाइप लाइन भी बिछाई है. जिसका उद्घाटन पिछले साल भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था.
तेल की सप्लाई और वितरण
बात तेल से शुरू करते हैं. भारत हमेशा से ही नेपाल को तेल की आपूर्ति करता रहा है. नेपाल तेल निगम (nepal oil corporation) पूरी तरह भारत से आने वाले तेल की सप्लाई और वितरण व्यवस्था पर निर्भर है. नेपाल में कोई भी प्राइवेट कंपनी कहीं बाहर से तेल आयात नहीं कर सकती. ये जिम्मा वहां के सरकारी क्षेत्र की कंपनी नेपाल तेल निगम का है,, जिसे 1970 में वहां की सरकार ने स्थापित किया था.रोजाना दौड़ते हैं सैकड़ों तेल टैंकर और साथ में तेल पाइप लाइन
इंडियन आयल कारपोरेशन (Indian oil corporation) उसकी साझीदार कंपनी है. नेपाल की जरूरतों का तेल आईओसी (IOC) के जरिए ही जाता है. नेपाल के जो इलाके भारत को छूते हैं, उन इलाकों में सप्लाई और डिस्ट्रीब्यूशन का काम भी आईओसी ही करती है.
बड़े पैमाने पर आईओसी के तेल टैंकर रोजाना नेपाल की ओर दौड़ते रहते हैं. नेपाल का बड़ा हिस्सा सड़क का ही है. ट्रेन वहां महज 60 किमी की लाइन पर चलती है, लिहाजा समझा जा सकता है कि नेपाल के लिए भारत से जाना वाला तेल कितनी बड़ी भूमिका निभाता है.
भारत से सैकड़ों तेल टैंकर रोजाना नेपाल के सीमाई इलाकों में दौड़ते रहते हैं
केवल यही नहीं बल्कि नेपाल को तेल की आपूर्ति और आसान करने के लिए पिछले साल मोतीहारी-अमलेखगंज के बीच 69 किलोमीटर की तेल पाइन लाइन शुरू की गई. इससे नेपाल को तेल आपूर्ति और आसान हो गई. नवीनतम आंकड़ों के अनुसार नेपाल तेल निगम हर साल 71673 किलोलीटर तेल भारत से खरीदता है. भारत से जो सामान नेपाल को निर्यात होता है, तेल का व्यापार उसका करीब 28 फीसदी हिस्सा है.
भारत से ज्यादा सस्ता नेपाल में बिकता है यहां से गया तेल
भारत में पेट्रोल और डीजल जिस दाम में बिकता है, उससे कहीं सस्ते दामों पर नेपाल में तेल बिकता है. अक्सर सीमा पर रहने वाले भारतीय अपने वाहनों में नेपाल से सस्ता तेल भराते हैं.
नेपाल में बड़े पैमाने पर भारत का निवेश
भारत ने बड़े पैमाने पर नेपाल में निवेश किया हुआ है. बेशक चीन बहुत तेजी के साथ नेपाल में निवेश कर रहा है लेकिन भारतीय निवेश अब भी नेपाल में चीन से काफी ज्यादा है. भारतीय कंपनियां बड़े पैमाने पर नेपाल में नौकरियां देती हैं. नेपाल की जरूरत के दो-तिहाई सामान भारत से ही जाते हैं. जिसमें अगर 100 फीसदी पेट्रोलियम पदार्थों की सप्लाई है तो भारत से बहुत बड़ी धनराशि पेंशन के तौर पर भी नेपाल जाती है.
बड़ी धनराशि पेंशन के रूप में जाती है नेपाल
नेपाल के लोग भारत में बड़े पैमाने पर सेना और दूसरे क्षेत्रों में काम करते हैं. भारत और नेपाल के बीच 1952 में जो संधि हुई थी, उसमें ये प्रावधान था कि नेपाल के लोग भारत आकर ना केवल नौकरियां कर सकते हैं बल्कि वो यहां प्रापर्टी भी खरीद सकते हैं. हालांकि ये विशेषाधिकार नेपाल में भारतीयों को हासिल नहीं है.

भारत से बड़े पैमाने पर जरूरी सामान रोजाना भारत से ट्रकों के जरिए नेपाल जाता है.
जो सामान भारत से जाते हैं नेपाल
वर्ष 2017-18 में नेपाल और भारत के बीच कुल व्यापार 8.2 बिलियन डॉलर का है. इसमें नेपाल ने 446.5 बिलियन डॉलर का सामान भारत को भेजा तो भारत ने उसे 7.7 बिलियन डॉलर का सामान निर्यात किया गया. वैसे भारत नेपाल के सामानों का सबसे बड़ा आयातक भी है. वर्ल्ड् टॉप एक्सपोर्ट वेबसाइट के अनुसार, नेपाल से वर्ष 2017 में जो 92.6 फीसदी उत्पाद निर्यात किए गए, उसमें भारत को 56.7 फीसदी, अमेरिका 11.2 फीसदी, तुर्की 06.4 फीसदी, जर्मनी 3.9 फीसदी, ब्रिटेन 3.4 फीसदी सामान भेजे गए. चीन को केवल 03 फीसदी सामान निर्यात हुआ.
अब आइए देखते हैं कि भारत से कौन-कौन सा सामान नेपाल जाता है. उसमें पेट्रोलियम पदार्थों के अलावा मोटर, कार, अन्य वाहन और स्पेयर पार्ट्स (7.8 फीसदी), इस्पात (07 फीसदी), दवाएं (3.7 फीसदी), मशीनरी और अन्य जुड़े हुए सामान (3.4 फीसदी), बिजली उपकरण (2.7 फीसदी) शामिल हैं. इसके अलावा तमाम और तरह के साजोसामान वहां जाते हैं.
नेपाल हमें क्या भेजता है
नेपाल से भारत मुख्य तौर पर जो सामान आते हैं, उसमें जूट उत्पाद (9.2%), जिंक स्टील (8.9%), टैक्सटाइल्स (8.6%), धागे (7.7%), पॉलिएस्टर यार्न (6%), जूस (5.4%), इलायची, वायर, टूथपेस्ट, पाइप आदि शामिल हैं.
नेपाल की अर्थव्यवस्था में भारत की भूमिका हमेशा से खास रही है. पिछले दो दशकों में भारत की कई कंपनियों ने वहां बड़े प्रोजेक्ट स्थापित किये हैं. ये कंपनियां हर साल वहां हजारों लोगों को नौकरियां देती हैं. दूसरे बड़ी संख्या में नेपाली भारत में आकर नौकरी भी करते हैं. अगर भारत अपना हाथ नेपाल से खींचता है तो नेपाल के लिए बड़ा झटका होगा.
ये भी पढ़ें
हर साल करोड़ों की महंगी शराब गटक जाते हैं किम, दुनियाभर के बैंकों में खाते
एक राष्ट्रपति ऐसा भी जो कोरोना में मौत को नियति मानता है
कोरोना को रोकने में लॉकडाउन की रणनीति को अब मददगार क्यों नहीं मान रहे विशेषज्ञ?
LOCKDOWN को लेकर जिधर देखो उधर अफवाह.. क्यों और कैसे फैलती हैं अफवाहें?
नेपाल बॉर्डर से सटकर तैयार हो रहा रेलवे ब्रिज उत्तर पूर्व के लिहाज़ से अहम क्यों है?
Discussion about this post