बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Fri, 12 Jun 2020 04:08 PM IST
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण
– फोटो : PTI
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अगुवाई में जीएसटी परिषद ने छोटे कारोबारियों को बड़ी राहत दी है। परिषद की शुक्रवार को हुई 40वीं बैठक में समय पर रिटर्न भर नहीं भर सके 5 करोड़ तक टर्नओवर वाले करदाताओं पर विलंब शुल्क पर ब्याज 50 फीसदी घटा दिया है। ऐसे करदाताओं को अब 18 फ़ीसदी की जगह 9 फीसदी ब्याज का भुगतान करना होगा कारोबारी फरवरी-मार्च और अप्रैल का रिटर्न सितंबर 2020 तक दाखिल कर सकेंगे।
वित्त मंत्री ने जीएसटी परिषद की बैठक के बाद का छोटे कारोबारी मई जून-जुलाई का जीएसटीआर-3बी रिटर्न फॉर्म भी 30 सितंबर तक दाखिल कर सकेंगे और इस पर कोई विलंब शुल्क या ब्याज नहीं वसूला जाएगा।
उन्होंने स्पष्ट किया कि ऐसे कारोबारी जो फरवरी से अप्रैल तक का रिटर्न 6 जुलाई 2020 तक दाखिल करेंगे, उन्हें कोई शुल्क पर कोई ब्याज नहीं देना पड़ेगा। इसके बाद 30 सितंबर तक रिटर्न भरने पर विलंब शुल्क पर 9 फीसदी की दर से ब्याज देना पड़ेगा।
रद्द जीएसटी पंजीकरण की बहाली के लिए 30 सितंबर तक आवेदन
परिषद ने जीएसटी पंजीकरण बहाल कराने की कोशिश में जुटे कारोबारियों को भी बड़ी राहत दी है। ऐसे कारोबारी जिनका जीएसटी पंजीकरण 12 जून तक रद्द किया गया है। वे अपने पंजीकरण को दोबारा बहाल कराने के लिए 30 सितंबर तक आवेदन कर सकेंगे।
जुलाई में बैठक के 4 बड़े एजेंडे
- राज्यों के राजस्व की भरपाई के लिए क्षतिपूर्ति से इस पर चर्चा
- मार्च में जीएसटी संग्रह 87 फीसदी घटने के बाद बाजार उधारी पर फैसला
- कपड़े, जूते-चप्पल पर इनवर्टेड शुल्क में हो सकता है सुधार
- पान मसाला पर दरों में बदलाव संभव
जुलाई 2017 से जनवरी 2020 तक विलंब शुल्क नहीं
वित्त मंत्री ने कहा कि जुलाई 2017 से जनवरी 2020 तक हजारों की संख्या जीएसटी रिटर्न लंबित हैं ऐसे कारोबारी जिन पर शून्य जीएसटी बनता है उन्हें अब 30 सितंबर तक रिटर्न भरने पर कोई शुल्क नहीं देना पड़ेगा। वहीं इसी अवधि के दौरान सीन कारोबारियों पर कर देनदारी बनती है।
उन्हें भी 1 जुलाई से 30 सितंबर तक जीएसटीआर-3बी रिटर्न दाखिल करने पर अधिकतम 500 रुपए का ही शुल्क देना पड़ेगा इस फैसले से हजारों कारोबारियों को बड़ी राहत मिली है। क्योंकि अगर किसी एक महीने में रिटर्न नहीं भरा गया तो आगे का रिटर्न भी तब तक दाखिल नहीं हो सकेगा। जब तक लंबित मामले का निपटारा नहीं हो जाता। इस तरह मौजूदा नियमों के तहत विलंब शुल्क 100हजार तक पहुंच जाता था।
पराठे पर लगेगा 18 फ़ीसदी जीएसटी रोटी पर 5 फीसदी
आमतौर पर रोटी और पराठे को एक ही प्रकार का भोजन माना जाता है, लेकिन अथॉरिटी ऑफ एडवांस रूलिंग (एएआर)की कर्नाटक पीठ ने इसे अलग-अलग भोज्य पदार्थ मानते हुए जीएसटी की अलग दर लगाई है।
एएआई ने एक फैसले में कहा कि पराठे पर 18 फ़ीसदी जीएसटी देना होगा। इस पर रोटी पर लगने वाली पांचवीं जी जीएसटी दर नहीं मान्य होगी। एएआर ने तर्क दिया, रोटी (1905) शीर्षक के अंतर्गत आने वाले उत्पाद पहले से तैयार और पकाए होते हैं। वहीं पराठे को खास खाने से पहले दोबारा तैयार करना या गर्म करना पड़ता है।
लिहाजा यह जीएसटी के 99ए नियम में नहीं आएगा, जिसके तहत रोटी पर पांच फीसदी कर लगता है। अथॉरिटी ने यह फैसला कर्नाटक निजी खाद्य पदार्थ भी निर्माता कंपनी की उस पर अपील पर दिया जिसमें पराठे को रोटी खाकरा या प्लेन चपाती की श्रेणी में रखने को कहा गया था।
सार
- फरवरी-मार्च-अप्रैल का रिटर्न 30 सितंबर तक भर सकेंगे ब्याज सहित
- मई-जून-जुलाई का रिटर्न बिना शुल्क और ब्याज के 30 सितंबर तक भरेंगे
- परिषद का बड़ा फैसला: 5 करोड़ तक टर्नओवर वाले कारोबारियों को फायदा, 18 की जगह 9 फीसदी ब्याज
विस्तार
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अगुवाई में जीएसटी परिषद ने छोटे कारोबारियों को बड़ी राहत दी है। परिषद की शुक्रवार को हुई 40वीं बैठक में समय पर रिटर्न भर नहीं भर सके 5 करोड़ तक टर्नओवर वाले करदाताओं पर विलंब शुल्क पर ब्याज 50 फीसदी घटा दिया है। ऐसे करदाताओं को अब 18 फ़ीसदी की जगह 9 फीसदी ब्याज का भुगतान करना होगा कारोबारी फरवरी-मार्च और अप्रैल का रिटर्न सितंबर 2020 तक दाखिल कर सकेंगे।
वित्त मंत्री ने जीएसटी परिषद की बैठक के बाद का छोटे कारोबारी मई जून-जुलाई का जीएसटीआर-3बी रिटर्न फॉर्म भी 30 सितंबर तक दाखिल कर सकेंगे और इस पर कोई विलंब शुल्क या ब्याज नहीं वसूला जाएगा।
उन्होंने स्पष्ट किया कि ऐसे कारोबारी जो फरवरी से अप्रैल तक का रिटर्न 6 जुलाई 2020 तक दाखिल करेंगे, उन्हें कोई शुल्क पर कोई ब्याज नहीं देना पड़ेगा। इसके बाद 30 सितंबर तक रिटर्न भरने पर विलंब शुल्क पर 9 फीसदी की दर से ब्याज देना पड़ेगा।
रद्द जीएसटी पंजीकरण की बहाली के लिए 30 सितंबर तक आवेदन
परिषद ने जीएसटी पंजीकरण बहाल कराने की कोशिश में जुटे कारोबारियों को भी बड़ी राहत दी है। ऐसे कारोबारी जिनका जीएसटी पंजीकरण 12 जून तक रद्द किया गया है। वे अपने पंजीकरण को दोबारा बहाल कराने के लिए 30 सितंबर तक आवेदन कर सकेंगे।
जुलाई में बैठक के 4 बड़े एजेंडे
- राज्यों के राजस्व की भरपाई के लिए क्षतिपूर्ति से इस पर चर्चा
- मार्च में जीएसटी संग्रह 87 फीसदी घटने के बाद बाजार उधारी पर फैसला
- कपड़े, जूते-चप्पल पर इनवर्टेड शुल्क में हो सकता है सुधार
- पान मसाला पर दरों में बदलाव संभव
जुलाई 2017 से जनवरी 2020 तक विलंब शुल्क नहीं
वित्त मंत्री ने कहा कि जुलाई 2017 से जनवरी 2020 तक हजारों की संख्या जीएसटी रिटर्न लंबित हैं ऐसे कारोबारी जिन पर शून्य जीएसटी बनता है उन्हें अब 30 सितंबर तक रिटर्न भरने पर कोई शुल्क नहीं देना पड़ेगा। वहीं इसी अवधि के दौरान सीन कारोबारियों पर कर देनदारी बनती है।
उन्हें भी 1 जुलाई से 30 सितंबर तक जीएसटीआर-3बी रिटर्न दाखिल करने पर अधिकतम 500 रुपए का ही शुल्क देना पड़ेगा इस फैसले से हजारों कारोबारियों को बड़ी राहत मिली है। क्योंकि अगर किसी एक महीने में रिटर्न नहीं भरा गया तो आगे का रिटर्न भी तब तक दाखिल नहीं हो सकेगा। जब तक लंबित मामले का निपटारा नहीं हो जाता। इस तरह मौजूदा नियमों के तहत विलंब शुल्क 100हजार तक पहुंच जाता था।
पराठे पर लगेगा 18 फ़ीसदी जीएसटी रोटी पर 5 फीसदी
आमतौर पर रोटी और पराठे को एक ही प्रकार का भोजन माना जाता है, लेकिन अथॉरिटी ऑफ एडवांस रूलिंग (एएआर)की कर्नाटक पीठ ने इसे अलग-अलग भोज्य पदार्थ मानते हुए जीएसटी की अलग दर लगाई है।
एएआई ने एक फैसले में कहा कि पराठे पर 18 फ़ीसदी जीएसटी देना होगा। इस पर रोटी पर लगने वाली पांचवीं जी जीएसटी दर नहीं मान्य होगी। एएआर ने तर्क दिया, रोटी (1905) शीर्षक के अंतर्गत आने वाले उत्पाद पहले से तैयार और पकाए होते हैं। वहीं पराठे को खास खाने से पहले दोबारा तैयार करना या गर्म करना पड़ता है।
लिहाजा यह जीएसटी के 99ए नियम में नहीं आएगा, जिसके तहत रोटी पर पांच फीसदी कर लगता है। अथॉरिटी ने यह फैसला कर्नाटक निजी खाद्य पदार्थ भी निर्माता कंपनी की उस पर अपील पर दिया जिसमें पराठे को रोटी खाकरा या प्लेन चपाती की श्रेणी में रखने को कहा गया था।
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