राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सोमवार को एक बार फिर से भूकंप के झटके महसूस किए गए, हालांकि इस बार यह इतना तीव्र नहीं था और नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के अनुसार रिक्टर पैमाने इसकी तीव्रता बेहद कम 2.1 मापी गई। इस बार भूकंप का केंद्र हरियाणा के गुरुग्राम से 13 किलोमीटर दूर था।
कम तीव्रता के बावजूद इस भूकंप ने दिल्ली-एनसीआर के लोगों की चिंताएं बढ़ा दी है क्योंकि रिपोर्ट के मुताबिक पिछले दो महीने में इस इलाके में 16वीं बार झटके महसूस किए गए हैं। खास बात यह कि पिछले दस दिन में छठी बार भूकंप का केंद्र गुरुग्राम और रोहतक के आसपास का इलाका रहा है।
विशेषज्ञों ने भी लगातार लग रहे भूकंप के झटकों को देखते हुए आगाह किया है और कहा है कि इन्हें हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए और कोई बड़ी आपदा हो उससे पहले ही उसकी तैयारी शुरू कर देनी चाहिए।
नेशनल सेंटर ऑफ सिस्मोलॉजी के पूर्व हेड एके शुक्ला ने बताया कि अभी तक ऐसी कोई मशीन नहीं है जो भूकंप की भविष्यवाणी कर सके। लेकिन लगातार आने वाले इन छोटे-छोटे झटकों से हम सतर्क रह सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘दिल्ली में आए छोटे भूकंप को देखते हुए, भविष्य में 6.5 रिक्टर पैमाने तक का भूकंप आ सकता है।’
भौगोलिक दृष्टि से भी दिल्ली महत्वपूर्ण है, यह भारत में चौथे सबसे ऊंचे क्षेत्र के अंतर्गत आता है, जिससे यह भूकंप की चपेट में आ जाता है। लेकिन फिर भी यहां बहुत सारे भूकंप नहीं आए हैं जिनकी राष्ट्रीय राजधानी में उपरिकेंद्र है। दिल्ली ज्यादातर भूकंप का अनुभव तब करती है जब एक भूकंप मध्य एशिया या हिमालय पर्वतमाला के क्षेत्रों को हिट करता है।
रिपोर्ट्स की मानें तो दुनियाभर में रोजाना करीब 9000 भूकंप आते हैं, लेकिन रिक्टर पैमाने पर इनकी तीव्रता बेहद कम होती है जिन्हें महसूस तक नहीं किया जा सकता और इनसे नुकसान भी ना के बराबर होते हैं। भूकंप के झटकों को उनकी तीव्रता के हिसाब से अलग-अलग पैमाने पर मापा जाता है। इनमें 10 से लेकर 2.9 तक की तीव्रता को दर्ज किया जाता है और सबका अलग-अलग प्रभाव और नुकसान होते हैं, जैसे 2.9 में हल्की कंपन होती है, वहीं पांच से अधिक होने पर जान-माल का नुकसान भी हो जाता है और अगर तीव्रता दस पहुंचती है तो भारी तबाही हो जाती है।
माइक्रो कैटेगरी: 2.0 से कम तीव्रता वाले भूकंप
- 2.0 से कम तीव्रता वाले भूकंप रिक्टर पैमाने पर प्रति दिन दुनियाभर में 9,000 दर्ज किए जाते हैं। रिक्टर पैमाने पर इन्हें माइक्रो कैटेगरी में रखा जाता है और यह भूकंप महसूस नहीं किए जाते।
माइनर कैटेगरी: 2.0 से 2.9 तीव्रता
- 2.0 से 2.9 तीव्रता वाले भूकंप को माइनर कैटेगरी में रखा जाता है। ऐसे 1,000 भूकंप प्रतिदिन आते हैं, इसे भी सामान्य तौर पर हम महसूस नहीं करते।
वेरी लाइट और लाइट कैटेगरी: 3.0 से 3.9 तीव्रता
- एक अंदाज के अनुसार, हर साल रिक्टर पैमाने पर वेरी लाइट और लाइट कैटेगरी के 55,000 से अधिक भूकंप दर्ज किए जाते हैं। एक साल में 49,000 वेरी लाइट कैटेगरी के भूकंप 3.0 से 3.9 तीव्रता वाले होते हैं। इन्हें महसूस तो किया जाता है लेकिन शायद ही इनसे कोई नुकसान पहुंचता है।
लाइट कैटेगरी: 4.0 से 4.9 तीव्रता
- इसी तरह एक साल में 4.0 से 4.9 तीव्रता वाले 6,200 लाइट कैटेगरी के भूकंप दुनियाभर में रिक्टर पैमाने पर दर्ज किए जाते हैं। इन झटकों को महसूस किया जाता है और इनसे घर के सामान हिलते नजर आते हैं। हालांकि इनसे न के बराबर ही नुकसान होता है।
मॉडरेट कैटेगरी: 5.0 से 5.9 तीव्रता
- मॉडरेट और स्ट्रांग कैटेगरी के 920 भूकंप एक साल में रिक्टर पैमाने पर दर्ज होते हैं। मॉडरेट कैटेगरी के भूकंपों की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 5.0 से 5.9 दर्ज की जाती है। ऐसे 800 भूकंप दुनियाभर में रिक्टर पैमाने पर एक साल में दर्ज होते हैं। इनसे घटिया बिल्डिंग मैटेरियल से निर्मित भवनों को गंभीर नुकसान पहुंचता है। हालांकि इनका असर बहुत छोटे इलाके पर ही पड़ता है।
स्ट्रांग कैटेगरी: 6.0 से 6.9 तीव्रता
- स्ट्रांग कैटेगरी के भूकंप जिनकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 6.0 से 6.9 होती है, भारी तबाही होती है। जबरदस्त तीव्रता की वजह से भूकंप के केंद्र से लेकर 160 किमी तक आबादी वाले इलाकों में तबाही फैल जाती है। एक साल में ऐसे 120 भूकंप दुनियाभर के रेक्टर पैमाने पर दर्ज किए जाते हैं।
मेजर कैटेगरी: 7.0 से 7.9 तीव्रता
- इस कैटेगरी के भूकंप दुनियाभर के रिक्टर पैमाने पर साल में 19 बार दर्ज किए जाते हैं। मेजर कैटेगरी के भूकंपों की तीव्रता 7.0 से 7.9 होती है। ऐसे भूकंपों की संख्या साल भर में 18 होती है और इनसे काफी बड़े क्षेत्रों में गंभीर तबाही होती है।
ग्रेट कैटेगरी: 8.0 से 8.9 तीव्रता
- रिक्टर पैमाने पर 8.0 से 8.9 तीव्रता वाले भूकंप ग्रेट कैटेगरी में रखे जाते हैं। ऐसे झटकों से कुछ सौ मील तक तबाही ही तबाही पसर जाती है। हालांकि ऐसे भूकंप साल में एक बार ही दर्ज किए जाते हैं।
एक्सट्रीम कैटेगरी: 9.0 से 9.9 तीव्रता
- रिक्टर पैमाने पर 9.0 से 9.9 तीव्रता वाले भूकंप एक्सट्रीम कैटेगरी में आते हैं। इनसे हजारों मील तक तबाही का मंजर पसर जाता है। ऐसे भूकंप के असर से अलग-अलग महाद्वीप तक प्रभावित हो सकते हैं। हालांकि ऐसे भूकंप दुनियाभर में 20 साल में एक बार ही दर्ज किए जाते हैं।
एपिक कैटेगरी: 10.0 या इससे ज्यादा तीव्रता
- रिक्टर पैमाने पर 10.0 या इससे ज्यादा तीव्रता वाले भूकंप को एपिक कैटेगरी में रखा गया है। अभी तक इस तरह का भूकंप दर्ज नहीं किया गया है।
भूकंप जैसी आपदा के दौरान थोड़ी सतर्कता और हिम्मत जुटाने से जान-माल के नुकसान को कम किया जा सकता है, तो जान लीजिए भूकंप से बचाव के वो महत्वपूर्ण तरीके।
- भूकंप आने पर तुरंत सुरक्षित खुले मैदान में जाएं। बड़ी इमारतों, पेड़ों, बिजली के खंभों से दूर रहें।
- घर और दफ्तर से बाहर जाने के लिए लिफ्ट की बजाय सीढ़ियों का इस्तेमाल करें।
- भूकंप आने पर खिड़की, अलमारी, पंखे, ऊपर रखे भारी सामान से दूर हट जाएं ताकि इनके गिरने से चोट न लगे।
- टेबल, बेड, डेस्क जैसे मजबूत फर्नीचर के नीचे छिप जाएं।
- किसी मजबूत दीवार, खंभे से सटकर सिर, हाथ आदि को किसी मजबूत चीज से ढककर बैठ जाएं।
- वाहन चला रहे हैं तो बिल्डिंग, होर्डिंग्स, खंभों, फ्लाईओवर, पुल से दूर सड़क के किनारे गाड़ी रोक लें।
यदि आग लगे तो…
- आग लगने पर उस जगह से सुरक्षित बाहर निकलने की कोशिश करें। लिफ्ट की बजाय सीढ़ियों का इस्तेमाल करें।
- अगर अंदर फंस जाएं तो घबराएं नहीं। खिड़कियां और दरवाजे खोल दें। इससे धुएं से दम नहीं घुटेगा और बाहर आग लगने की सूचना मिल जाएगी।
- अगर आग कम लगी हो तो पानी या रेत से भरी बाल्टियां, कंबल आदि डालकर आग बुझा सकते हैं। आग बुझाने वाले यंत्रों का इस्तेमाल कर सकें तो अच्छा है।
- कपड़ों या शरीर में आग लग जाए तो खड़े न रहें और न ही भागें। मुंह को ढककर जमीन पर लेट जाएं और रेंगकर चलें। इससे आग बुझ जाएगी और कम नुकसान होगा।
- अगर किसी के कपड़ों में आग लग जाए तो घबराकर उस पर पानी न डालें। अगर कोई मोटा कपड़ा या कंबल हो तो उसे उसमें लपेट दें।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सोमवार को एक बार फिर से भूकंप के झटके महसूस किए गए, हालांकि इस बार यह इतना तीव्र नहीं था और नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के अनुसार रिक्टर पैमाने इसकी तीव्रता बेहद कम 2.1 मापी गई। इस बार भूकंप का केंद्र हरियाणा के गुरुग्राम से 13 किलोमीटर दूर था।
कम तीव्रता के बावजूद इस भूकंप ने दिल्ली-एनसीआर के लोगों की चिंताएं बढ़ा दी है क्योंकि रिपोर्ट के मुताबिक पिछले दो महीने में इस इलाके में 16वीं बार झटके महसूस किए गए हैं। खास बात यह कि पिछले दस दिन में छठी बार भूकंप का केंद्र गुरुग्राम और रोहतक के आसपास का इलाका रहा है।
विशेषज्ञों ने भी लगातार लग रहे भूकंप के झटकों को देखते हुए आगाह किया है और कहा है कि इन्हें हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए और कोई बड़ी आपदा हो उससे पहले ही उसकी तैयारी शुरू कर देनी चाहिए।
नेशनल सेंटर ऑफ सिस्मोलॉजी के पूर्व हेड एके शुक्ला ने बताया कि अभी तक ऐसी कोई मशीन नहीं है जो भूकंप की भविष्यवाणी कर सके। लेकिन लगातार आने वाले इन छोटे-छोटे झटकों से हम सतर्क रह सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘दिल्ली में आए छोटे भूकंप को देखते हुए, भविष्य में 6.5 रिक्टर पैमाने तक का भूकंप आ सकता है।’
भौगोलिक दृष्टि से भी दिल्ली महत्वपूर्ण है, यह भारत में चौथे सबसे ऊंचे क्षेत्र के अंतर्गत आता है, जिससे यह भूकंप की चपेट में आ जाता है। लेकिन फिर भी यहां बहुत सारे भूकंप नहीं आए हैं जिनकी राष्ट्रीय राजधानी में उपरिकेंद्र है। दिल्ली ज्यादातर भूकंप का अनुभव तब करती है जब एक भूकंप मध्य एशिया या हिमालय पर्वतमाला के क्षेत्रों को हिट करता है।
जानिए रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता और उनके असर
प्रतीकात्मक तस्वीर
– फोटो : Pixabay
रिपोर्ट्स की मानें तो दुनियाभर में रोजाना करीब 9000 भूकंप आते हैं, लेकिन रिक्टर पैमाने पर इनकी तीव्रता बेहद कम होती है जिन्हें महसूस तक नहीं किया जा सकता और इनसे नुकसान भी ना के बराबर होते हैं। भूकंप के झटकों को उनकी तीव्रता के हिसाब से अलग-अलग पैमाने पर मापा जाता है। इनमें 10 से लेकर 2.9 तक की तीव्रता को दर्ज किया जाता है और सबका अलग-अलग प्रभाव और नुकसान होते हैं, जैसे 2.9 में हल्की कंपन होती है, वहीं पांच से अधिक होने पर जान-माल का नुकसान भी हो जाता है और अगर तीव्रता दस पहुंचती है तो भारी तबाही हो जाती है।
माइक्रो कैटेगरी: 2.0 से कम तीव्रता वाले भूकंप
- 2.0 से कम तीव्रता वाले भूकंप रिक्टर पैमाने पर प्रति दिन दुनियाभर में 9,000 दर्ज किए जाते हैं। रिक्टर पैमाने पर इन्हें माइक्रो कैटेगरी में रखा जाता है और यह भूकंप महसूस नहीं किए जाते।
माइनर कैटेगरी: 2.0 से 2.9 तीव्रता
- 2.0 से 2.9 तीव्रता वाले भूकंप को माइनर कैटेगरी में रखा जाता है। ऐसे 1,000 भूकंप प्रतिदिन आते हैं, इसे भी सामान्य तौर पर हम महसूस नहीं करते।
वेरी लाइट और लाइट कैटेगरी: 3.0 से 3.9 तीव्रता
- एक अंदाज के अनुसार, हर साल रिक्टर पैमाने पर वेरी लाइट और लाइट कैटेगरी के 55,000 से अधिक भूकंप दर्ज किए जाते हैं। एक साल में 49,000 वेरी लाइट कैटेगरी के भूकंप 3.0 से 3.9 तीव्रता वाले होते हैं। इन्हें महसूस तो किया जाता है लेकिन शायद ही इनसे कोई नुकसान पहुंचता है।
लाइट कैटेगरी: 4.0 से 4.9 तीव्रता
- इसी तरह एक साल में 4.0 से 4.9 तीव्रता वाले 6,200 लाइट कैटेगरी के भूकंप दुनियाभर में रिक्टर पैमाने पर दर्ज किए जाते हैं। इन झटकों को महसूस किया जाता है और इनसे घर के सामान हिलते नजर आते हैं। हालांकि इनसे न के बराबर ही नुकसान होता है।
मॉडरेट कैटेगरी: 5.0 से 5.9 तीव्रता
- मॉडरेट और स्ट्रांग कैटेगरी के 920 भूकंप एक साल में रिक्टर पैमाने पर दर्ज होते हैं। मॉडरेट कैटेगरी के भूकंपों की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 5.0 से 5.9 दर्ज की जाती है। ऐसे 800 भूकंप दुनियाभर में रिक्टर पैमाने पर एक साल में दर्ज होते हैं। इनसे घटिया बिल्डिंग मैटेरियल से निर्मित भवनों को गंभीर नुकसान पहुंचता है। हालांकि इनका असर बहुत छोटे इलाके पर ही पड़ता है।
स्ट्रांग कैटेगरी: 6.0 से 6.9 तीव्रता
- स्ट्रांग कैटेगरी के भूकंप जिनकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 6.0 से 6.9 होती है, भारी तबाही होती है। जबरदस्त तीव्रता की वजह से भूकंप के केंद्र से लेकर 160 किमी तक आबादी वाले इलाकों में तबाही फैल जाती है। एक साल में ऐसे 120 भूकंप दुनियाभर के रेक्टर पैमाने पर दर्ज किए जाते हैं।
मेजर कैटेगरी: 7.0 से 7.9 तीव्रता
- इस कैटेगरी के भूकंप दुनियाभर के रिक्टर पैमाने पर साल में 19 बार दर्ज किए जाते हैं। मेजर कैटेगरी के भूकंपों की तीव्रता 7.0 से 7.9 होती है। ऐसे भूकंपों की संख्या साल भर में 18 होती है और इनसे काफी बड़े क्षेत्रों में गंभीर तबाही होती है।
ग्रेट कैटेगरी: 8.0 से 8.9 तीव्रता
- रिक्टर पैमाने पर 8.0 से 8.9 तीव्रता वाले भूकंप ग्रेट कैटेगरी में रखे जाते हैं। ऐसे झटकों से कुछ सौ मील तक तबाही ही तबाही पसर जाती है। हालांकि ऐसे भूकंप साल में एक बार ही दर्ज किए जाते हैं।
एक्सट्रीम कैटेगरी: 9.0 से 9.9 तीव्रता
- रिक्टर पैमाने पर 9.0 से 9.9 तीव्रता वाले भूकंप एक्सट्रीम कैटेगरी में आते हैं। इनसे हजारों मील तक तबाही का मंजर पसर जाता है। ऐसे भूकंप के असर से अलग-अलग महाद्वीप तक प्रभावित हो सकते हैं। हालांकि ऐसे भूकंप दुनियाभर में 20 साल में एक बार ही दर्ज किए जाते हैं।
एपिक कैटेगरी: 10.0 या इससे ज्यादा तीव्रता
- रिक्टर पैमाने पर 10.0 या इससे ज्यादा तीव्रता वाले भूकंप को एपिक कैटेगरी में रखा गया है। अभी तक इस तरह का भूकंप दर्ज नहीं किया गया है।
भूकंप से बचाव के तरीके

भूकंप के झटके और बचाव
– फोटो : अमर उजाला
भूकंप जैसी आपदा के दौरान थोड़ी सतर्कता और हिम्मत जुटाने से जान-माल के नुकसान को कम किया जा सकता है, तो जान लीजिए भूकंप से बचाव के वो महत्वपूर्ण तरीके।
- भूकंप आने पर तुरंत सुरक्षित खुले मैदान में जाएं। बड़ी इमारतों, पेड़ों, बिजली के खंभों से दूर रहें।
- घर और दफ्तर से बाहर जाने के लिए लिफ्ट की बजाय सीढ़ियों का इस्तेमाल करें।
- भूकंप आने पर खिड़की, अलमारी, पंखे, ऊपर रखे भारी सामान से दूर हट जाएं ताकि इनके गिरने से चोट न लगे।
- टेबल, बेड, डेस्क जैसे मजबूत फर्नीचर के नीचे छिप जाएं।
- किसी मजबूत दीवार, खंभे से सटकर सिर, हाथ आदि को किसी मजबूत चीज से ढककर बैठ जाएं।
- वाहन चला रहे हैं तो बिल्डिंग, होर्डिंग्स, खंभों, फ्लाईओवर, पुल से दूर सड़क के किनारे गाड़ी रोक लें।
यदि आग लगे तो…
- आग लगने पर उस जगह से सुरक्षित बाहर निकलने की कोशिश करें। लिफ्ट की बजाय सीढ़ियों का इस्तेमाल करें।
- अगर अंदर फंस जाएं तो घबराएं नहीं। खिड़कियां और दरवाजे खोल दें। इससे धुएं से दम नहीं घुटेगा और बाहर आग लगने की सूचना मिल जाएगी।
- अगर आग कम लगी हो तो पानी या रेत से भरी बाल्टियां, कंबल आदि डालकर आग बुझा सकते हैं। आग बुझाने वाले यंत्रों का इस्तेमाल कर सकें तो अच्छा है।
- कपड़ों या शरीर में आग लग जाए तो खड़े न रहें और न ही भागें। मुंह को ढककर जमीन पर लेट जाएं और रेंगकर चलें। इससे आग बुझ जाएगी और कम नुकसान होगा।
- अगर किसी के कपड़ों में आग लग जाए तो घबराकर उस पर पानी न डालें। अगर कोई मोटा कपड़ा या कंबल हो तो उसे उसमें लपेट दें।
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जानिए रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता और उनके असर
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