दिल्ली के निजी अस्पतालों में कोरोना का इलाज कराने वाले लोगों के लिए केंद्र ने बड़ा फैसला लिया है। अब निजी अस्पताल इलाज के नाम पर मनमानी नहीं कर सकेंगे और कोरोना मरीजों से मनमानी फीस भी नहीं ऐंठ सकेंगे। केंद्र सरकार ने निजी अस्पातलों में हर तरह के इलाज के लिए फीस तय कर दी है। गृह मंत्री अमित शाह ने यह आदेश पारित कर दिया है, अब जल्द ही दिल्ली सरकार भी इसे अमल में लाएगी।
ये है नया रेट लिस्ट
नए आदेश के अनुसार जिस वेंटिलेटर पर मरीज से हर दिन 60 से 70 हजार रूपये लिए जाते हैं वहां अब अस्पताल 20 हजार से ज्यादा फीस नहीं ले सकेंगे। वहीं सामान्य वार्ड का जो अस्पताल अभी तक 25000 लेते हैं आदेश के बाद उन्हें 10,000 से भी कम लेना होगा।
8000-10,000- आईसोलेशन बेड
13,000-15,000- आईसीयू बिना वेंटिलेटर के
15,000-18,000- आईसीयू वेंटिलेटर के साथ
(नोटः इसमें पीपीई किट का दाम भी जुड़ा हुआ है)
अमर उजाला ने उठाई थी पाठकों की समस्या
18 जून को अमर उजाला ने अस्पतालों की मनमानी पर रोक लगाने के लिए केंद्र सरकार की तैयारियों के बारे में अपने पाठकों को जानकारी दी थी। इसमें बताया गया था कि एक दिन में मरीज से 10 हजार रुपये तक पीपीई किट का लिया जा रहा है।
दिल्ली के पश्चिम विहार निवासी 74 वर्षीय रमेश चंद्र बंसल को सांस लेने में तकलीफ होने के चलते परिजन एक निजी अस्पताल ले गए। जहां महज दो घंटे आपातकालीन विभाग में उपचार देने के बाद मरीज को घर भेज दिया गया। इस बीच अस्पताल ने 2 घंटे के उपचार के लिए 10 हजार रुपये बतौर पीपीई शुल्क परिजनों से लिया।
मरीज की तीन दिन पहले ही मौत हो चुकी है। ठीक इसी तरह दिल्ली की ही निवासी साइमा फुरकान ने अपने 60 वर्षीय दादा को एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया था। करीब 30 दिन बाद अस्पताल ने उन्हें 122 पेज का बिल देते हुए 16,14,596 रुपये के भुगतान करने को कहा। इस बिल में प्रतिदिन पीपीई के 10 हजार रुपये लिए गए। प्राइवेट अस्पतालों की मनमानी के ऐसे केस अब तक सामने आ चुके हैं।
इसी के चलते केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बीते सोमवार सभी राज्यों को निर्देश देते हुए प्राइवेट अस्पतालों में मनमानी कीमतों को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने के लिए कहा है। मंत्रालय ने कहा है कि प्राइवेट चिकित्सीय सेवा प्रदाताओं से वाजिब दरों पर सुविधाएं देने पर जोर दिया जाए।
साथ ही तमिलनाडू और तेलंगना की तरह उपचार दरें तय करते समय निजी सुक्षा उपकरणों जैसे पीपीई की लागत पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। यह भी कहा है कि दरें तय किए जाने के बाद इनका व्यापक स्तर पर प्रचार किया जाए ताकि मरीजों व सेवाप्रदाताओं को इन दरों की पूरी जानकारी मिल सके। ऐसा करने से कोविड रोगियों को त्वरित और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं वाजिब दर पर प्रदान करने में मदद मिलेगी।
इसी तरह 25 मई को भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने सभी राज्यों से कोविड जांच की कीमतें कम करने का सुझाव दिया था लेकिन अभी तक तमिलनाडू, तेलंगना में इसका असर हुआ है। जबकि महाराष्ट्र और दिल्ली ने दो दिन पहले सस्ती जांच कराने की घोषणा की है। फिलहाल ज्यादात्तर राज्यों में कोविड जांच के लिए एक मरीज से निजी लैब 4500 रुपये ले रही हैं।
राज्यों के पास है अधिकार, कीमत होनी चाहिए तय
राष्ट्रीय फॉर्मास्युटिकल मूल्य प्राधिकरण (एनपीपीए) के पूर्व चैयरमेन भूपेंद्र सिंह का कहना है कि पीपीई, सैनिटाइजर, ग्लब्स और मास्क जैसे उत्पादों की कीमतों पर तत्काल नियंत्रण की आवश्यकता है। क्लीनिकल एस्टैबलिस्टमेंट एक्ट के तहत राज्य सरकारों के पास जांच और उपचार दोनों की कीमतें तय करने का अधिकार है।
तमिलनाडू ने सबसे पहले कर दिखाया
देश में सबसे पहले तमिलनाडू ने कोविड के सामान्य व गंभीर मामलों को लेकर अस्पतालों में कीमतें तय करने का फैसला लिया। चार अलग अलग ग्रेड में अस्पतालों की छंटनी करते हुए राज्य सरकार ने कोविड के सामान्य मरीजों के लिए प्रतिदिनि 5 हजार रुपये और गंभीर कोविड मरीजों के लिए अधिकतम 15 हजार रुपये प्रतिदिन ही लिए जाने को अनिवार्य किया। यहां कोविड जांच के लिए 2500 रुपये तय किए। अगर घर बैठे जांच चाहिए तो उसके 500 रुपये अतिरिक्त तय किए गए।
राज्यों के पास है उपचार रेट कार्ड : मंत्रालय
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक निदेशक बताते हैं कि राज्यों के पास सीजीएचएस और प्रधानमंत्री जनआरोग्य योजना के तहत उपचार रेट कार्ड उपलब्ध है। चूंकि स्वास्थ्य राज्य का विषय है ऐसे में राज्य सरकारें इन रेट कार्ड का इस्तेमाल कोविड मरीजों के लिए उपचार कीमतें तय करने में कर सकती हैं। उन्होंने उम्मीद जताई है कि जल्द ही राज्यों में इसपर सख्त कदम उठाए जाएंगे।
पुराने रेट
उपचार फिक्की एएचपीआई तमिलनाडू वर्तमान हालात
सामान्य वार्ड 17 हजार 15 हजार 5 हजार 30 हजार
आईसीयू वेंटिलेटर 45 हजार 35 हजार 14 हजार 70 हजार
(अधिकतम राशि, फिक्की और एएचपीआई की कीमतों में पीपीई शामिल नहीं, तमिलनाडू में पीपीई, ग्लब्स, मास्क सब शामिल। वर्तमान हालात : कुछ केसेज को छोड़कर ज्यादात्तर रोगियों से लिए जाने वाली राशि।)
दिल्ली के निजी अस्पतालों में कोरोना का इलाज कराने वाले लोगों के लिए केंद्र ने बड़ा फैसला लिया है। अब निजी अस्पताल इलाज के नाम पर मनमानी नहीं कर सकेंगे और कोरोना मरीजों से मनमानी फीस भी नहीं ऐंठ सकेंगे। केंद्र सरकार ने निजी अस्पातलों में हर तरह के इलाज के लिए फीस तय कर दी है। गृह मंत्री अमित शाह ने यह आदेश पारित कर दिया है, अब जल्द ही दिल्ली सरकार भी इसे अमल में लाएगी।
ये है नया रेट लिस्ट
नए आदेश के अनुसार जिस वेंटिलेटर पर मरीज से हर दिन 60 से 70 हजार रूपये लिए जाते हैं वहां अब अस्पताल 20 हजार से ज्यादा फीस नहीं ले सकेंगे। वहीं सामान्य वार्ड का जो अस्पताल अभी तक 25000 लेते हैं आदेश के बाद उन्हें 10,000 से भी कम लेना होगा।
8000-10,000- आईसोलेशन बेड
13,000-15,000- आईसीयू बिना वेंटिलेटर के
15,000-18,000- आईसीयू वेंटिलेटर के साथ
(नोटः इसमें पीपीई किट का दाम भी जुड़ा हुआ है)
अमर उजाला ने उठाई थी पाठकों की समस्या
18 जून को अमर उजाला ने अस्पतालों की मनमानी पर रोक लगाने के लिए केंद्र सरकार की तैयारियों के बारे में अपने पाठकों को जानकारी दी थी। इसमें बताया गया था कि एक दिन में मरीज से 10 हजार रुपये तक पीपीई किट का लिया जा रहा है।
ऐसे समझें पूरे देश में क्या हैं हालात
दिल्ली के पश्चिम विहार निवासी 74 वर्षीय रमेश चंद्र बंसल को सांस लेने में तकलीफ होने के चलते परिजन एक निजी अस्पताल ले गए। जहां महज दो घंटे आपातकालीन विभाग में उपचार देने के बाद मरीज को घर भेज दिया गया। इस बीच अस्पताल ने 2 घंटे के उपचार के लिए 10 हजार रुपये बतौर पीपीई शुल्क परिजनों से लिया।
मरीज की तीन दिन पहले ही मौत हो चुकी है। ठीक इसी तरह दिल्ली की ही निवासी साइमा फुरकान ने अपने 60 वर्षीय दादा को एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया था। करीब 30 दिन बाद अस्पताल ने उन्हें 122 पेज का बिल देते हुए 16,14,596 रुपये के भुगतान करने को कहा। इस बिल में प्रतिदिन पीपीई के 10 हजार रुपये लिए गए। प्राइवेट अस्पतालों की मनमानी के ऐसे केस अब तक सामने आ चुके हैं।
इसी के चलते केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बीते सोमवार सभी राज्यों को निर्देश देते हुए प्राइवेट अस्पतालों में मनमानी कीमतों को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने के लिए कहा है। मंत्रालय ने कहा है कि प्राइवेट चिकित्सीय सेवा प्रदाताओं से वाजिब दरों पर सुविधाएं देने पर जोर दिया जाए।
साथ ही तमिलनाडू और तेलंगना की तरह उपचार दरें तय करते समय निजी सुक्षा उपकरणों जैसे पीपीई की लागत पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। यह भी कहा है कि दरें तय किए जाने के बाद इनका व्यापक स्तर पर प्रचार किया जाए ताकि मरीजों व सेवाप्रदाताओं को इन दरों की पूरी जानकारी मिल सके। ऐसा करने से कोविड रोगियों को त्वरित और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं वाजिब दर पर प्रदान करने में मदद मिलेगी।
कोरोना जांच की कीमतें भी नहीं हुईं कम
इसी तरह 25 मई को भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने सभी राज्यों से कोविड जांच की कीमतें कम करने का सुझाव दिया था लेकिन अभी तक तमिलनाडू, तेलंगना में इसका असर हुआ है। जबकि महाराष्ट्र और दिल्ली ने दो दिन पहले सस्ती जांच कराने की घोषणा की है। फिलहाल ज्यादात्तर राज्यों में कोविड जांच के लिए एक मरीज से निजी लैब 4500 रुपये ले रही हैं।
राज्यों के पास है अधिकार, कीमत होनी चाहिए तय
राष्ट्रीय फॉर्मास्युटिकल मूल्य प्राधिकरण (एनपीपीए) के पूर्व चैयरमेन भूपेंद्र सिंह का कहना है कि पीपीई, सैनिटाइजर, ग्लब्स और मास्क जैसे उत्पादों की कीमतों पर तत्काल नियंत्रण की आवश्यकता है। क्लीनिकल एस्टैबलिस्टमेंट एक्ट के तहत राज्य सरकारों के पास जांच और उपचार दोनों की कीमतें तय करने का अधिकार है।
तमिलनाडू ने सबसे पहले कर दिखाया
देश में सबसे पहले तमिलनाडू ने कोविड के सामान्य व गंभीर मामलों को लेकर अस्पतालों में कीमतें तय करने का फैसला लिया। चार अलग अलग ग्रेड में अस्पतालों की छंटनी करते हुए राज्य सरकार ने कोविड के सामान्य मरीजों के लिए प्रतिदिनि 5 हजार रुपये और गंभीर कोविड मरीजों के लिए अधिकतम 15 हजार रुपये प्रतिदिन ही लिए जाने को अनिवार्य किया। यहां कोविड जांच के लिए 2500 रुपये तय किए। अगर घर बैठे जांच चाहिए तो उसके 500 रुपये अतिरिक्त तय किए गए।
राज्यों के पास है उपचार रेट कार्ड : मंत्रालय
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक निदेशक बताते हैं कि राज्यों के पास सीजीएचएस और प्रधानमंत्री जनआरोग्य योजना के तहत उपचार रेट कार्ड उपलब्ध है। चूंकि स्वास्थ्य राज्य का विषय है ऐसे में राज्य सरकारें इन रेट कार्ड का इस्तेमाल कोविड मरीजों के लिए उपचार कीमतें तय करने में कर सकती हैं। उन्होंने उम्मीद जताई है कि जल्द ही राज्यों में इसपर सख्त कदम उठाए जाएंगे।
पुराने रेट
उपचार फिक्की एएचपीआई तमिलनाडू वर्तमान हालात
सामान्य वार्ड 17 हजार 15 हजार 5 हजार 30 हजार
आईसीयू वेंटिलेटर 45 हजार 35 हजार 14 हजार 70 हजार
(अधिकतम राशि, फिक्की और एएचपीआई की कीमतों में पीपीई शामिल नहीं, तमिलनाडू में पीपीई, ग्लब्स, मास्क सब शामिल। वर्तमान हालात : कुछ केसेज को छोड़कर ज्यादात्तर रोगियों से लिए जाने वाली राशि।)
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ऐसे समझें पूरे देश में क्या हैं हालात
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