लॉकडाउन खुलने से लोगों की जिंदगी पटरी पर लौटने लगी है। आर्थिक गतिविधियां शुरू होने से लोगों को काम मिलने लगा है और लोगों के रोजगार के संकट में कमी आई है, लेकिन इसके बाद भी अभी भी भारी संख्या में ऐसे लोग हैं जो सरकार की मदद पर निर्भर हैं।
दिल्ली सरकार के 400 से अधिक राहत केंद्रों पर अब भी दोनों टाइम मिलाकर सात लाख से अधिक लोगों को तैयार राशन मुहैया कराया जा रहा है। लॉकडाउन एक की शुरुआत में यह संख्या 9.5 लाख से ज्यादा थी।
अनुमान है कि भारी संख्या में मजदूरों के बाहर जाने और कामकाज की शुरुआत होने से तैयार भोजन का लाभ लेने वालों की संख्या में कमी आई है।
राशन की मदद अब भी जारी
लॉकडाउन घोषित होने की शुरुआत से ही दिल्ली सरकार गरीब और बेघर लोगों को राशन मुहैया करा रही है। दिल्ली में 71 लाख राशन कार्ड लाभार्थियों को सरकार प्रति महीने राशन उपलब्ध करा रही है।
इन्हें 7.5 किलो राशन दिया जा रहा है। इसके आलावा दिल्ली के 38 लाख ऐसे लोगों को भी राशन उपलब्ध कराया जा रहा है, जिनके पास राशन कार्ड नहीं है। इन्हें चार किलो गेहूं और एक किलो चावल दिया जा रहा है।
इसके साथ ही लोगों को एक किट भी दी जा रही है, जिसमें एक लीटर रिफाइंड तेल, एक किलो छोले, एक किलो चीनी, एक किलो नमक, 200 ग्राम हल्दी पाउडर, धनिया पाउडर और 2 साबुन शामिल हैं।
इसके लिए शुरुआती तौर पर एक रजिस्ट्रेशन किया जा रहा है। इसे ऑनलाइन भी किया जा सकता है। सभी विधायकों को भी दो-दो हजार कूपन दिए गये थे। इन कूपनों की मदद से भी पांच किलो राशन की मदद ली जा सकती है।
ऑटो-टैक्सी चालकों को पांच-पांच हजार रुपये की मदद
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने राजधानी के सभी ऑटो-टैक्सी चालकों को पांच-पांच हजार रुपये मदद देने का भरोसा दिया था। मदद लेने के लिए ड्राइविंग लाइसेंस और बैज को अनिवार्य किया गया था।
दिल्ली में लाइट मोटर व्हीकल्स के 2.85 लाख डीएल और बैज रजिस्टर्ड हैं। सरकार का दावा है कि इस बीच वह 1.36 लाख ऑटो-टैक्सी चालकों को आर्थिक मदद पहुंचा चुकी है। यानी सरकार के स्तर पर ही लगभग आधे ऑटो-टैक्सी चालकों को आर्थिक मदद नहीं मिल पाई है।
दिल्ली ऑटो रिक्शा संघ और दिल्ली प्रदेश टैक्सी यूनियन के महामंत्री राजेन्द्र सोनी का आरोप है कि सरकार ने हर माह मदद का आश्वासन दिया था, लेकिन एक माह मदद मिलने के बाद अगले महीने से कोई मदद नहीं की गई है।
दिल्ली के 70 फीसदी ऑटो किराए के ड्राइवर पर या किराए पर लेकर चलाए जाते हैं। जबकि लॉकडाउन होने से ज्यादातर ड्राइवर अपने घरों को चले गये।
इस समय एक तिहाई ऑटो भी सड़कों पर नहीं उतर रहे हैं। रात के समय दस फीसदी ऑटो ही चल रहे हैं। इस प्रकार उन लोगों को कोई मदद नहीं मिल पाई है जो दिल्ली छोड़कर चले गये।
ऑटो की खरीदारी लोन के जरिए की गई है। फाइनेंस कंपनियां लोन वापसी की कोशिश कर रही हैं, लेकिन कमाई न होने की वजह ऑटो मालिक लोन चुकाने की स्थिति में नहीं हैं।
ई-रिक्शा चालकों को एकमुश्त मदद
अनुमानत: दिल्ली में 60 हजार ई-रिक्शा चालक अपनी रोजी-रोटी इसके माध्यम से चलाते हैं। सरकार ने इन्हें मदद देने के लिए भी योजना बनाई और सभी ई-रिक्शा चालकों को पांच-पांच हजार रुपये की एक मुश्त सहायता दी गई है।
हालांकि, इस मामले में ज्यादातर मदद उन्हीं लोगों को मिली है जिनके नाम से ई-रिक्शा की खरीद दर्ज है। आरोप है कि ज्यादातर वे गरीब जो ई-रिक्शा को 250 रुपये प्रति दिन के हिसाब से किराए पर लेकर चलाते थे, उन्हें यह आर्थिक मदद नहीं मिल पाई है।
श्रमिकों को भी मिली आर्थिक मदद
दिल्ली देश में पहला राज्य है, जिसने निर्माण क्षेत्र में लगे श्रमिकों को सीधे आर्थिक मदद देने की योजना का एलान किया। निर्माण श्रमिक कल्याण बोर्ड की एक बैठक में लिए गये फैसले के मुताबिक़ सभी रजिस्टर्ड श्रमिकों को पांच-पांच हजार रुपये की आर्थिक मदद देने का फैसला किया गया।
योजना के तहत 40 हजार से अधिक श्रमिकों को मदद उपलब्ध कराई जा चुकी है। दिल्ली सरकार के पास 40 हजार श्रमिक पंजीकृत हैं।
हालांकि इसी क्षेत्र में काम करने वाले भारी संख्या में अपंजीकृत श्रमिकों को यह लाभ नहीं मिल पाया है। सरकार ने इस श्रमिकों को भी रजिस्टर कराने के लिए 15 से 25 मई का समय दिया था।
श्रम मंत्री गोपाल राय ने एक महीने के बाद इस योजना को फिर से आगे बढ़ा दिया है। इस प्रकार यह मदद मई माह के लिए भी दी जाएगी।
मिल रही दोगुनी पेंशन
दिल्ली सरकार ने कोरोना संक्रमण के आपातकाल में बुजुर्गों, विधवाओं, विकलांगों और अन्य सामाजिक सहायता पेंशन धारकों की पेंशन बढ़ाकर दोगुना कर दिया है।
दिल्ली सरकार के मुताबिक राजधानी में पांच लाख बुजुर्गों, 2.5 लाख विधवाओं और एक लाख दिव्यांगजनों को आर्थिक सहायता दी जाती है। अप्रैल माह से ही इन लाभार्थियों को यह बढ़ी हुई पेंशन मिल रही है।
सार
- आर्थिक लाभ में कमी के बीच कल्याणकारी योजनाओं को आगे बढ़ाना सरकार के लिए बनी बड़ी चुनौती
- प्रवासी मजदूरों के गृह राज्य जाने से तैयार भोजन का लाभ लेने वालों की संख्या में आई कमी, अभी भी सात लाख से अधिक लोगों को मिल रहा लाभ
- दिल्ली सरकार के 400 से अधिक सेंटरों पर अभी भी दी जा रही मदद
विस्तार
लॉकडाउन खुलने से लोगों की जिंदगी पटरी पर लौटने लगी है। आर्थिक गतिविधियां शुरू होने से लोगों को काम मिलने लगा है और लोगों के रोजगार के संकट में कमी आई है, लेकिन इसके बाद भी अभी भी भारी संख्या में ऐसे लोग हैं जो सरकार की मदद पर निर्भर हैं।
दिल्ली सरकार के 400 से अधिक राहत केंद्रों पर अब भी दोनों टाइम मिलाकर सात लाख से अधिक लोगों को तैयार राशन मुहैया कराया जा रहा है। लॉकडाउन एक की शुरुआत में यह संख्या 9.5 लाख से ज्यादा थी।
अनुमान है कि भारी संख्या में मजदूरों के बाहर जाने और कामकाज की शुरुआत होने से तैयार भोजन का लाभ लेने वालों की संख्या में कमी आई है।
राशन की मदद अब भी जारी
लॉकडाउन घोषित होने की शुरुआत से ही दिल्ली सरकार गरीब और बेघर लोगों को राशन मुहैया करा रही है। दिल्ली में 71 लाख राशन कार्ड लाभार्थियों को सरकार प्रति महीने राशन उपलब्ध करा रही है।
इन्हें 7.5 किलो राशन दिया जा रहा है। इसके आलावा दिल्ली के 38 लाख ऐसे लोगों को भी राशन उपलब्ध कराया जा रहा है, जिनके पास राशन कार्ड नहीं है। इन्हें चार किलो गेहूं और एक किलो चावल दिया जा रहा है।
इसके साथ ही लोगों को एक किट भी दी जा रही है, जिसमें एक लीटर रिफाइंड तेल, एक किलो छोले, एक किलो चीनी, एक किलो नमक, 200 ग्राम हल्दी पाउडर, धनिया पाउडर और 2 साबुन शामिल हैं।
इसके लिए शुरुआती तौर पर एक रजिस्ट्रेशन किया जा रहा है। इसे ऑनलाइन भी किया जा सकता है। सभी विधायकों को भी दो-दो हजार कूपन दिए गये थे। इन कूपनों की मदद से भी पांच किलो राशन की मदद ली जा सकती है।
ऑटो-टैक्सी चालकों को पांच-पांच हजार रुपये की मदद
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने राजधानी के सभी ऑटो-टैक्सी चालकों को पांच-पांच हजार रुपये मदद देने का भरोसा दिया था। मदद लेने के लिए ड्राइविंग लाइसेंस और बैज को अनिवार्य किया गया था।
दिल्ली में लाइट मोटर व्हीकल्स के 2.85 लाख डीएल और बैज रजिस्टर्ड हैं। सरकार का दावा है कि इस बीच वह 1.36 लाख ऑटो-टैक्सी चालकों को आर्थिक मदद पहुंचा चुकी है। यानी सरकार के स्तर पर ही लगभग आधे ऑटो-टैक्सी चालकों को आर्थिक मदद नहीं मिल पाई है।
दिल्ली ऑटो रिक्शा संघ और दिल्ली प्रदेश टैक्सी यूनियन के महामंत्री राजेन्द्र सोनी का आरोप है कि सरकार ने हर माह मदद का आश्वासन दिया था, लेकिन एक माह मदद मिलने के बाद अगले महीने से कोई मदद नहीं की गई है।
दिल्ली के 70 फीसदी ऑटो किराए के ड्राइवर पर या किराए पर लेकर चलाए जाते हैं। जबकि लॉकडाउन होने से ज्यादातर ड्राइवर अपने घरों को चले गये।
इस समय एक तिहाई ऑटो भी सड़कों पर नहीं उतर रहे हैं। रात के समय दस फीसदी ऑटो ही चल रहे हैं। इस प्रकार उन लोगों को कोई मदद नहीं मिल पाई है जो दिल्ली छोड़कर चले गये।
ऑटो की खरीदारी लोन के जरिए की गई है। फाइनेंस कंपनियां लोन वापसी की कोशिश कर रही हैं, लेकिन कमाई न होने की वजह ऑटो मालिक लोन चुकाने की स्थिति में नहीं हैं।
ई-रिक्शा चालकों को एकमुश्त मदद
अनुमानत: दिल्ली में 60 हजार ई-रिक्शा चालक अपनी रोजी-रोटी इसके माध्यम से चलाते हैं। सरकार ने इन्हें मदद देने के लिए भी योजना बनाई और सभी ई-रिक्शा चालकों को पांच-पांच हजार रुपये की एक मुश्त सहायता दी गई है।
हालांकि, इस मामले में ज्यादातर मदद उन्हीं लोगों को मिली है जिनके नाम से ई-रिक्शा की खरीद दर्ज है। आरोप है कि ज्यादातर वे गरीब जो ई-रिक्शा को 250 रुपये प्रति दिन के हिसाब से किराए पर लेकर चलाते थे, उन्हें यह आर्थिक मदद नहीं मिल पाई है।
श्रमिकों को भी मिली आर्थिक मदद
दिल्ली देश में पहला राज्य है, जिसने निर्माण क्षेत्र में लगे श्रमिकों को सीधे आर्थिक मदद देने की योजना का एलान किया। निर्माण श्रमिक कल्याण बोर्ड की एक बैठक में लिए गये फैसले के मुताबिक़ सभी रजिस्टर्ड श्रमिकों को पांच-पांच हजार रुपये की आर्थिक मदद देने का फैसला किया गया।
योजना के तहत 40 हजार से अधिक श्रमिकों को मदद उपलब्ध कराई जा चुकी है। दिल्ली सरकार के पास 40 हजार श्रमिक पंजीकृत हैं।
हालांकि इसी क्षेत्र में काम करने वाले भारी संख्या में अपंजीकृत श्रमिकों को यह लाभ नहीं मिल पाया है। सरकार ने इस श्रमिकों को भी रजिस्टर कराने के लिए 15 से 25 मई का समय दिया था।
श्रम मंत्री गोपाल राय ने एक महीने के बाद इस योजना को फिर से आगे बढ़ा दिया है। इस प्रकार यह मदद मई माह के लिए भी दी जाएगी।
मिल रही दोगुनी पेंशन
दिल्ली सरकार ने कोरोना संक्रमण के आपातकाल में बुजुर्गों, विधवाओं, विकलांगों और अन्य सामाजिक सहायता पेंशन धारकों की पेंशन बढ़ाकर दोगुना कर दिया है।
दिल्ली सरकार के मुताबिक राजधानी में पांच लाख बुजुर्गों, 2.5 लाख विधवाओं और एक लाख दिव्यांगजनों को आर्थिक सहायता दी जाती है। अप्रैल माह से ही इन लाभार्थियों को यह बढ़ी हुई पेंशन मिल रही है।
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