अनामिका शुक्ला प्रकरण
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अनामिका के नाम पर कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में फर्जी शिक्षिकाओं की नियुक्ति का खेल सात साल पहले शुरू हुआ। मास्टरमाइंड राज उर्फ पुष्पेंद्र और उसके भाई जसवंत ने जालसाजी कर मैनपुरी के करहल ब्लॉक के कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में दीप्ति नाम की युवती को अनामिका नाम से फर्जी नियुक्ति दिलाई। वहीं से फर्जीवाड़े का यह खेल शुरू हुआ और अब यह खेल कासगंज में गिरफ्तार सुप्रिया पर आकर ठहरा है।
असली अनामिका शिक्षा विभाग के सामने आ चुकी है, लेकिन उसके दस्तावेजों से फर्जीवाड़े का खेल सालों से चल रहा है। अनामिका शुक्ला के नाम से सबसे पहली नियुक्ति दीप्ति नाम की युवती को वर्ष 2013 में मैनपुरी के करहल ब्लॉक के कस्तूरबा विद्यालय में जालसाजों ने दिलाई।
अनामिका प्रकरण में हुआ ‘राज’ का पर्दाफाश, फर्जीवाड़े का असली मास्टरमाइंड है ‘गुरुजी
गिरफ्तार जालसाज से हुई पूछताछ में यह खुलासा हुआ है। उसके बाद फर्जीवाड़े का खेल अन्य जिलों में चलता रहा। इन सात वर्षों में अलीगढ़, सहारनपुर, रायबरेली, फैजाबाद, अमेठी सहित कई जिलों में जालसाजों ने फर्जी नियुक्तियां कराईं। जालसाज के गिरफ्तार भाई ने 20 फर्जी नियुक्तियां कराने की बात कही है, लेकिन पुलिस का मानना है कि जब असली आरोपी गिरफ्त में आएगा तो और भी मामले सामने आएंगे।
कलावर्ग में स्नातक फेल, विज्ञान शिक्षक के रूप में करता रहा नौकरी
बेसिक शिक्षा विभाग में अनामिका शुक्ला के नाम नौकरी की गुत्थी अभी तक पूरी तरह सुलझ भी नहीं पाई है कि फर्जीवाड़े की गुत्थी में एक और कड़ी जुड़ गई। जो जालसाज जसवंत पुलिस ने गिरफ्तार किया है। उसके चौंकाने वाले खुलासे किए। पुलिस ने जब पूछताछ की तो उसने बताया है कि वह बीए (बैचलर ऑफ आट्र्स ) में द्वितीय वर्ष की शिक्षा प्राप्त कर चुका है। वह बीए फेल है।
उसने बीए तृतीय वर्ष तक की शिक्षा प्राप्त नहीं की है। उसने विभव कुमार के जिन दस्तावेजों से शिक्षा विभाग में नौकरी हासिल की वह दस्तावेज विज्ञान विषय के हैं। विभव कुमार के बीएससी, बीएड और टेट के दस्तावेज उसने नियुक्ति में लगाए स्वयं कलावर्ग का स्नातक फेल होने पर विज्ञान वर्ग में शिक्षक के रूप नौकरी पा ली।
उठ रहे सवाल, कैसे तैयार हुए दस्तावेज
बेसिक शिक्षा विभाग में हुईं नियुक्तियों पर अब सवाल उठने लगे हैं। इस तरह के कई प्रकरण सामने आने के बाद कहीं न कहीं व्यवस्था में झोल मानी जा रही है। क्योंकि गिरफ्तार फर्जी शिक्षक ने पुलिस के सामने कहा है कि उसने अपने बच्चों और परिवार के जो दस्तावेज तैयार कराए हैं उनमें अपना असली नाम जसवंत लिखवाया है। जबकि शिक्षा विभाग में नौकरी और बैंक खाते के लिए जो दस्तावेज तैयार कराए वो विभव के नाम तैयार कराए।
इंचार्ज मास्टर साहब का था रुतबा
गिरफ्तार फर्जी गुरुजी कन्नौज के रामपुर बरौली के उच्च प्राथमिक विद्यालय में इंचार्ज प्रधानाध्यापक थे। उनका विभाग के अलावा स्कूल में भी अलग ही रुतबा था। वे थे तो फर्जी शिक्षक, लेकिन सहायक अध्यापकों पर रुतबा बनाकर खौफ बनाए रखते थे।
अनामिका शुक्ला के दस्तावेजों से पहली फर्जी नियुक्ति जालसाजों ने मैनपुरी जिले के करहल ब्लॉक के कस्तूरबा विद्यालय में दीप्ति नाम की युवती की कराई। इसके अलावा गिरफ्तार जालसाजों ने स्वयं भी फर्जी दस्तावेजों से नौकरी ली। आरोपी ने बताया है कि विभव कुमार के नाम से जो शैक्षिक दस्तावेज लगाएं हैं उनके मुताबिक विभव ने हरदोई से शिक्षा ग्रहण की है। अन्य जिलों के बेसिक शिक्षा विभाग और पुलिस के अधिकारियों से जांच में सहयोग मांगा है। – सुशील घुले, एसपी।
सार
मैनपुरी के करहल से शुरू हुआ था केजीबीवी में फर्जीवाड़े का खेल
विस्तार
अनामिका के नाम पर कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में फर्जी शिक्षिकाओं की नियुक्ति का खेल सात साल पहले शुरू हुआ। मास्टरमाइंड राज उर्फ पुष्पेंद्र और उसके भाई जसवंत ने जालसाजी कर मैनपुरी के करहल ब्लॉक के कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में दीप्ति नाम की युवती को अनामिका नाम से फर्जी नियुक्ति दिलाई। वहीं से फर्जीवाड़े का यह खेल शुरू हुआ और अब यह खेल कासगंज में गिरफ्तार सुप्रिया पर आकर ठहरा है।
असली अनामिका शिक्षा विभाग के सामने आ चुकी है, लेकिन उसके दस्तावेजों से फर्जीवाड़े का खेल सालों से चल रहा है। अनामिका शुक्ला के नाम से सबसे पहली नियुक्ति दीप्ति नाम की युवती को वर्ष 2013 में मैनपुरी के करहल ब्लॉक के कस्तूरबा विद्यालय में जालसाजों ने दिलाई।
अनामिका प्रकरण में हुआ ‘राज’ का पर्दाफाश, फर्जीवाड़े का असली मास्टरमाइंड है ‘गुरुजी
गिरफ्तार जालसाज से हुई पूछताछ में यह खुलासा हुआ है। उसके बाद फर्जीवाड़े का खेल अन्य जिलों में चलता रहा। इन सात वर्षों में अलीगढ़, सहारनपुर, रायबरेली, फैजाबाद, अमेठी सहित कई जिलों में जालसाजों ने फर्जी नियुक्तियां कराईं। जालसाज के गिरफ्तार भाई ने 20 फर्जी नियुक्तियां कराने की बात कही है, लेकिन पुलिस का मानना है कि जब असली आरोपी गिरफ्त में आएगा तो और भी मामले सामने आएंगे।
कलावर्ग में स्नातक फेल, विज्ञान शिक्षक के रूप में करता रहा नौकरी
बेसिक शिक्षा विभाग में अनामिका शुक्ला के नाम नौकरी की गुत्थी अभी तक पूरी तरह सुलझ भी नहीं पाई है कि फर्जीवाड़े की गुत्थी में एक और कड़ी जुड़ गई। जो जालसाज जसवंत पुलिस ने गिरफ्तार किया है। उसके चौंकाने वाले खुलासे किए। पुलिस ने जब पूछताछ की तो उसने बताया है कि वह बीए (बैचलर ऑफ आट्र्स ) में द्वितीय वर्ष की शिक्षा प्राप्त कर चुका है। वह बीए फेल है।
उसने बीए तृतीय वर्ष तक की शिक्षा प्राप्त नहीं की है। उसने विभव कुमार के जिन दस्तावेजों से शिक्षा विभाग में नौकरी हासिल की वह दस्तावेज विज्ञान विषय के हैं। विभव कुमार के बीएससी, बीएड और टेट के दस्तावेज उसने नियुक्ति में लगाए स्वयं कलावर्ग का स्नातक फेल होने पर विज्ञान वर्ग में शिक्षक के रूप नौकरी पा ली।
उठ रहे सवाल, कैसे तैयार हुए दस्तावेज
बेसिक शिक्षा विभाग में हुईं नियुक्तियों पर अब सवाल उठने लगे हैं। इस तरह के कई प्रकरण सामने आने के बाद कहीं न कहीं व्यवस्था में झोल मानी जा रही है। क्योंकि गिरफ्तार फर्जी शिक्षक ने पुलिस के सामने कहा है कि उसने अपने बच्चों और परिवार के जो दस्तावेज तैयार कराए हैं उनमें अपना असली नाम जसवंत लिखवाया है। जबकि शिक्षा विभाग में नौकरी और बैंक खाते के लिए जो दस्तावेज तैयार कराए वो विभव के नाम तैयार कराए।
इंचार्ज मास्टर साहब का था रुतबा
गिरफ्तार फर्जी गुरुजी कन्नौज के रामपुर बरौली के उच्च प्राथमिक विद्यालय में इंचार्ज प्रधानाध्यापक थे। उनका विभाग के अलावा स्कूल में भी अलग ही रुतबा था। वे थे तो फर्जी शिक्षक, लेकिन सहायक अध्यापकों पर रुतबा बनाकर खौफ बनाए रखते थे।
अनामिका शुक्ला के दस्तावेजों से पहली फर्जी नियुक्ति जालसाजों ने मैनपुरी जिले के करहल ब्लॉक के कस्तूरबा विद्यालय में दीप्ति नाम की युवती की कराई। इसके अलावा गिरफ्तार जालसाजों ने स्वयं भी फर्जी दस्तावेजों से नौकरी ली। आरोपी ने बताया है कि विभव कुमार के नाम से जो शैक्षिक दस्तावेज लगाएं हैं उनके मुताबिक विभव ने हरदोई से शिक्षा ग्रहण की है। अन्य जिलों के बेसिक शिक्षा विभाग और पुलिस के अधिकारियों से जांच में सहयोग मांगा है। – सुशील घुले, एसपी।
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