भारत और चीन के सैनिकों के बीच लद्दाख की गलवां घाटी में हुई हिंसक झड़प के मामले में कई चौंकाने वाली जानकारियां सामने आ रही हैं। इस खूनी झड़प में चीन की सेना ने क्रूरता का परिचय दिया, जबकि भारतीय जवानों ने उनका डटकर सामना किया।
जानकारी के अनुसार चीन की सेना ने धोखेबाजी की, उसने बड़ी ही बर्बरता के साथ भारतीय सेना के जवानों को घेरकर उन पर कीलें लगी लोहे की रॉड और बेंत में लपेटे गए नुकीले तारों से हमला किया। आइए जानते हैं कैसा था वो मंजर और इससे सात दिन पहले घाटी में धोखेबाज चीन ने क्या कुछ किया था…
चीन के सैनिकों ने अपने नापाक मंसूबों को छह जून को हुई कमांडर स्तर की बैठक के तीन दिन बाद अंजाम देना शुरू किया था। उपग्रह से मिले चित्र और सूत्र बताते हैं कि गश्त बिंदु 14 के पास हुई हिंसक झड़प चीन के इन्हीं गलत इरादों का नतीजा थी। जबकि छह जून की बैठक में सेनाओं को पीछे हटाए जाने पर सहमति बनी थी।
इसके बाद मामले का हल निकालने के लिए लगातार दूसरे दिन दोनों सेनाओं के मेजर जनरलों की बैठक भी हुई। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, इसके बावजूद चीन ने अपनी मोर्चेबंदी में कमी नहीं की, बल्कि पैंगोंग त्सो के विवादित इलाके में सेना के जमावड़े को और बढ़ा दिया।
सूत्र बताते हैं सैन्य अफसरों की बैठकों के बाद तय हुआ था कि दोनों ओर की सेनाएं गश्त बिंदु 14 से पीछे हटेंगी। इसके अलावा भारत की सामरिक सड़क पर निगाह रखने वाली चीनी चौकी हटाने की बात भी तय हुई। परंतु धोखेबाज पीएलए ने अलग ही साजिश रची। उसने भारतीय सैनिकों को फंसाने की व्यूह रचना की ताकि उनके मनोबल को ठेस पहुंचा सके।
इसके तहत पीएलए ने गलवां नदी से जुड़ने वाली धाराओं का पानी ऊंचाई वाले इलाकों में 9 जून से ही रोकना शुरू किया। अपने एक हजार सैनिकों को बुला लिया। करीब सौ ट्रक से यह सैनिक लाए गए थे। जिस चौकी को हटाने की बात तय हुई थी, उसकी प्रक्रिया पूरी कराने के लिए भारतीय सैनिक 15 जून को हिंसक संघर्ष वाले स्थान पर गए थे।
सूत्र बताते हैं कि चीन की चौकी आंशिक तौर पर हट गई थी, कुछेक टेंट बाकी थे। चीन के सैनिकों ने भारतीय सैनिकों के आने का बाकायदा इंतजार किया। जब भारतीय सैनिक घटना वाले दिन शाम के समय वहां पहुंचे तो चीन ने रोककर रखी गई धाराओं को अचानक छोड़ दिया। गलवां में इस बहाव के लिए हमारे सैनिक तैयार नहीं थे।
इसके साथ ही दूसरी ओर, चीनी सैनिक कीलें लगी लोहे की रॉड और बेंत में लपेटे गए नुकीले तारों से लैस थे। उन्होंने खुद को बचाव के लिए जरूरी चीजें पहन रखी थीं, ताकि लाठी के वार का असर कम हो। हेलमेट भी पहने हुए थे। उन्होंने मौके पर बड़े-बड़े बोल्डर पहले ही जमा किए हुए थे।
गलवां घाटी में हुई हिंसक झड़प को लेकर पूछे गए सवाल का बीजिंग में हुई प्रेस ब्रीफिंग में चीनी प्रवक्ता ने इसका सीधा जवाब नहीं दिया। सवाल किया गया था कि सैटेलाइट इमेज से साफ है कि 16 जून को गलवां में एलएसी पर पानी नहीं बह रहा था, यह भी स्पष्ट है कि नदी की धाराओं पर कुछ निर्माण हुए। क्या चीन ने 9 जून से 16 जून के बीच नदी की धारा बदलने की कोशिश की। इस पर चीनी प्रवक्ता ने सिर्फ इतना ही कहा कि मुझे इसकी जानकारी नहीं है।
इसके अलावा ऑस्ट्रेलियन स्ट्रेटैजिक पॉलिसी इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट के मुताबिक पैंगोंग के उत्तरी छोर पर फिंगर 4 और फिंगर 5 के इलाके में चीनी सेना ने करीब 500 स्ट्रक्चर बनाए। उस स्थान से पीछे की ओर करीब 20 किलोमीटर तक 3 फॉरवर्ड पोजिशन भी बनाईं। इनमें से 19 चौकियां दोनों देशों के गश्त वाले इलाके के बीच में पड़ती हैं।
सार
- पैंगोंग के विवादित इलाके में चीन ने 500 निर्माण किए, 53 चौकियां भी बनाईं
विस्तार
भारत और चीन के सैनिकों के बीच लद्दाख की गलवां घाटी में हुई हिंसक झड़प के मामले में कई चौंकाने वाली जानकारियां सामने आ रही हैं। इस खूनी झड़प में चीन की सेना ने क्रूरता का परिचय दिया, जबकि भारतीय जवानों ने उनका डटकर सामना किया।
जानकारी के अनुसार चीन की सेना ने धोखेबाजी की, उसने बड़ी ही बर्बरता के साथ भारतीय सेना के जवानों को घेरकर उन पर कीलें लगी लोहे की रॉड और बेंत में लपेटे गए नुकीले तारों से हमला किया। आइए जानते हैं कैसा था वो मंजर और इससे सात दिन पहले घाटी में धोखेबाज चीन ने क्या कुछ किया था…
नापाक मंसूबे: कमांडर स्तर की बैठक के बाद..
चीन के सैनिकों ने अपने नापाक मंसूबों को छह जून को हुई कमांडर स्तर की बैठक के तीन दिन बाद अंजाम देना शुरू किया था। उपग्रह से मिले चित्र और सूत्र बताते हैं कि गश्त बिंदु 14 के पास हुई हिंसक झड़प चीन के इन्हीं गलत इरादों का नतीजा थी। जबकि छह जून की बैठक में सेनाओं को पीछे हटाए जाने पर सहमति बनी थी।
इसके बाद मामले का हल निकालने के लिए लगातार दूसरे दिन दोनों सेनाओं के मेजर जनरलों की बैठक भी हुई। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, इसके बावजूद चीन ने अपनी मोर्चेबंदी में कमी नहीं की, बल्कि पैंगोंग त्सो के विवादित इलाके में सेना के जमावड़े को और बढ़ा दिया।
पीएलए ने यूं रची साजिश
सूत्र बताते हैं सैन्य अफसरों की बैठकों के बाद तय हुआ था कि दोनों ओर की सेनाएं गश्त बिंदु 14 से पीछे हटेंगी। इसके अलावा भारत की सामरिक सड़क पर निगाह रखने वाली चीनी चौकी हटाने की बात भी तय हुई। परंतु धोखेबाज पीएलए ने अलग ही साजिश रची। उसने भारतीय सैनिकों को फंसाने की व्यूह रचना की ताकि उनके मनोबल को ठेस पहुंचा सके।
इसके तहत पीएलए ने गलवां नदी से जुड़ने वाली धाराओं का पानी ऊंचाई वाले इलाकों में 9 जून से ही रोकना शुरू किया। अपने एक हजार सैनिकों को बुला लिया। करीब सौ ट्रक से यह सैनिक लाए गए थे। जिस चौकी को हटाने की बात तय हुई थी, उसकी प्रक्रिया पूरी कराने के लिए भारतीय सैनिक 15 जून को हिंसक संघर्ष वाले स्थान पर गए थे।
आंशिक तौर पर हट गई थी चौकी, लेकिन..
सूत्र बताते हैं कि चीन की चौकी आंशिक तौर पर हट गई थी, कुछेक टेंट बाकी थे। चीन के सैनिकों ने भारतीय सैनिकों के आने का बाकायदा इंतजार किया। जब भारतीय सैनिक घटना वाले दिन शाम के समय वहां पहुंचे तो चीन ने रोककर रखी गई धाराओं को अचानक छोड़ दिया। गलवां में इस बहाव के लिए हमारे सैनिक तैयार नहीं थे।
इसके साथ ही दूसरी ओर, चीनी सैनिक कीलें लगी लोहे की रॉड और बेंत में लपेटे गए नुकीले तारों से लैस थे। उन्होंने खुद को बचाव के लिए जरूरी चीजें पहन रखी थीं, ताकि लाठी के वार का असर कम हो। हेलमेट भी पहने हुए थे। उन्होंने मौके पर बड़े-बड़े बोल्डर पहले ही जमा किए हुए थे।
हिंसक झड़प पर नहीं दिया सीधा जवाब
गलवां घाटी में हुई हिंसक झड़प को लेकर पूछे गए सवाल का बीजिंग में हुई प्रेस ब्रीफिंग में चीनी प्रवक्ता ने इसका सीधा जवाब नहीं दिया। सवाल किया गया था कि सैटेलाइट इमेज से साफ है कि 16 जून को गलवां में एलएसी पर पानी नहीं बह रहा था, यह भी स्पष्ट है कि नदी की धाराओं पर कुछ निर्माण हुए। क्या चीन ने 9 जून से 16 जून के बीच नदी की धारा बदलने की कोशिश की। इस पर चीनी प्रवक्ता ने सिर्फ इतना ही कहा कि मुझे इसकी जानकारी नहीं है।
इसके अलावा ऑस्ट्रेलियन स्ट्रेटैजिक पॉलिसी इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट के मुताबिक पैंगोंग के उत्तरी छोर पर फिंगर 4 और फिंगर 5 के इलाके में चीनी सेना ने करीब 500 स्ट्रक्चर बनाए। उस स्थान से पीछे की ओर करीब 20 किलोमीटर तक 3 फॉरवर्ड पोजिशन भी बनाईं। इनमें से 19 चौकियां दोनों देशों के गश्त वाले इलाके के बीच में पड़ती हैं।
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नापाक मंसूबे: कमांडर स्तर की बैठक के बाद..
Fraudulent Chinese troops stopped the streams of Galwan Valley seven days before the barbaric attack, depositing the boulders
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