प्रीमेंसट्रूअल सिंड्रोम
मासिक चक्र के पहले होने वाले ये लक्षण प्रीमेंसट्रूअल सिंड्रोम (पीएमएस) है. myUpchar से जुड़े डॉ. विशाल मकवाना का कहना है कि प्रीमेंसट्रूअल सिंड्रोम के दौरान होने वाले ये लक्षण दिनचर्या को प्रभावित करते हैं. कुछ महिलाओं को यह लक्षण शुरुआत में, लेकिन कुछ को 20 की उम्र के बाद महसूस होते हैं. ये लक्षण 30 से 40 की उम्र में यानी मेनोपॉज से पहले बिगड़ सकता है.
हॉर्मोनल बदलावइसके होने की वजह मासिक चक्र के दौरान होने वाले हॉर्मोनल बदलाव हैं. पीएमएस की आशंका तब बढ़ जाती है, जब विटामिन बी 6, कैल्शियम और मैग्नीशियम पर्याप्त मात्रा में नहीं मिलते हैं. इसकी स्थिति तब और बिगड़ सकती है, जब तनाव अधिक हो, व्यायाम के लिए समय न निकाल पा रहे हो या फिर कैफीन ज्यादा मात्रा में ले रहे हों. पीएमएस से निपटने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखें.
ब्लड सर्कुलेशन में सुधार
खुद का एक एक्सरसाइज रूटीन बनाएं. एक्सरसाइज न केवल सही वजन बनाए रखने में मदद करती है, बल्कि पीएमएस से निपटने में भी सहायक होती है. ब्रिस्क वॉक, जॉगिंग, स्विमिंग या डांस रोजाना 30 मिनट करें. इस तरह के एरोबिक एक्सरसाइज ब्लड सर्कुलेशन में सुधार करते हैं, तनाव कम करते हैं और मस्तिष्क को अधिक हैप्पी हॉर्मोन रिलीज करते हैं.
शरीर में सेरोटोनिन का स्तर बढ़ाता है
महिलाओं को आहार बदलने की जरूरत भी है. यदि पेट फूला हुआ महसूस हो रहा है या उदास महसूस कर रहे हैं, तो चीनी और वसा जैसे सरल कार्बोहाइड्रेट आहार से कम कर लें और फलों, सब्जियों व साबुत अनाज जैसे जटिल कार्बोहाइड्रेट का ज्यादा सेवन करें. पीएमएस से पीड़ित होने पर वजन कम करने के लिए लो कार्ब डाइट न लें. शरीर में सरल कार्बोहाइड्रेट को कम करने और जटिल कार्बोहाइड्रेट को बढ़ाने से लंबे समय तक पेट भरा हुआ महसूस होता है और शरीर में सेरोटोनिन का स्तर बढ़ाता है.
सिंड्रोम में भावनाओं की उथल-पुथल
कैफीन, शराब, चॉकलेट और नमक का सेवन कम करें. पीएमएस का एक प्रभाव चिंतित और तनाव महसूस कराने के लिए है, लेकिन इससे निपटने का आसान तरीका है आराम करना. अगर इस परेशानी से गुजर रहे हैं तो चुप रहने के बजाय ऐसे लोगों से बात करें जो कुछ इसी तरह का अनुभव कर रहे हों. इससे भावनात्मक रूप से शांति मिलेगी, क्योंकि इस सिंड्रोम में भावनाओं की उथल-पुथल होती है.
घरेलू इलाजों पर बहुत ज्यादा भरोसा न करें
बेहतर होगा प्रीमेंसट्रूअल सिंड्रोम के जूझ रहे हैं तो डॉक्टर से सलाह लें, क्योंकि इन समस्याओं का कोई और कारण भी हो सकता है जैसे एनीमिया, थायराइड, इर्रिटेबल बोवेल सिंड्रोम, क्रॉनिक फटीग सिंड्रोम. इस मामले में घरेलू इलाजों पर बहुत ज्यादा भरोसा न करें. यदि समस्या सामान्य से अधिक समय तक बनी रहे तो तत्काल डॉक्टर को दिखाएं.
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