India-China Border Dispute: भारत-चीन सीमा विवाद के बीच सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस मार्कण्डेय काटजू ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने शनिवार (13 जून, 2020) को ट्वीट कर कहा कि चीनी फौज ने लद्दाख की पूरी गलवान घाटी पर अवैध कब्जा कर लिया है। मगर हमारी सरकार शुतुरमुर्ग की तरह आंख मूंदे बैठी है, या रोमन सम्राट नीरो जैसे सारंगी बजा रही है, या मुंशी प्रेमचंद की कहानी शतरंज के खिलाड़ी के पात्र मीर और मिर्जा साहेब जैसे खतरे से अनभिज्ञ खेल में मगन है।
जस्टिस काटजू के ट्वीट पर सोशल मीडिया यूजर्स नाराजगी जाहिर की है। ट्विटर यूजर मनोज अग्रवाल @manoj_indore लिखते हैं, ‘क्या आजकल जज ने बिना सबूत ही फैसला सुनाना शुरू कर दिया है?’ ज्योति @Jyoti_A_Tayde लिखती हैं, ‘सरकार को कुछ मत बोलो वरना FIR हो जाएगी।’ तेज प्रताप सिंह @Tej_ps लिखते हैं, ‘एक बार बॉर्डर पर घूमकर आओ, पता चल जाएगा। ट्विटर पर बोलते हो तुम्हें न्याय प्रणाली में जो चल रहा है उसका पता है, उसपर भी कुछ बोले।’
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इसी तरह हिंदुस्तानी @Jodhpur07 नाम से एक यूजर लिखते हैं, ‘सुबह-सुबह पियोगे तो ऐसे ही ट्वीट करोगो। चलो अब तुम आगे बढ़ो हम तुम्हारे साथ चलते हैं, राहुल गांधी को लेकर मोर्चा संभालते हैं। गलवान घाटी पर और खदेड़ कर आते हैं चीनी बंदरों को। एसके @vk_virus लिखते हैं, ‘लद्दाख के बारे में वहां के एमपी का बयान तो सुन लेते। कहां से लाते हो ऐसी झूठी खबर।’ रिसत @risat91215436 लिखते हैं, ‘फर्जी खबर है।’
उल्लेखनीय है कि भारत और चीन की सेनाओं के बीच पैंगोंग सो, गलवान घाटी, देमचोक और दौलत बेग ओल्डी में पांच सप्ताह से अधिक समय से गतिरोध जारी है। दोनों देशों ने एलएसी पर उत्तरी सिक्किम, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश में अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती की है। इधर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को पूर्वी लद्दाख और सिक्किम, उत्तराखंड तथा अरुणाचल प्रदेश के अन्य कई क्षेत्रों में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास भारत की समूची सैन्य तैयारी की समीक्षा की।
दूसरी ओर, भारत और चीन की सेनाओं ने मौजूदा सीमा गतिरोध पर मेजर जनरल स्तर की एक और दौर की वार्ता की। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि रक्षा मंत्री को थलसेना अध्यक्ष जनरल एम एम नरवणे ने एक उच्चस्तरीय बैठक में पूर्वी लद्दाख में समूची स्थिति की विस्तृत जानकारी दी। बैठक में प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) बिपिन रावत, नौसेना अध्यक्ष एडमिरल कर्मबीर सिंह और वायुसेना अध्यक्ष एअर चीफ मार्शल आर के एस भदौरिया भी मौजूद थे।
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