न्यूज़ डेस्क, अमर उजाला, रांची
Updated Wed, 10 Jun 2020 09:35 AM IST
श्रमिक स्पेशल ट्रेन से लौटते मजदूर
– फोटो : पीटीआई
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सार
- झारखंड, बिहार, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल में आया सबसे ज्यादा प्रवासी मजदूर
- एक जून के बाद से पश्चिम बंगाल में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं
- पश्चिम बंगाल सरकार ने केंद्र पर कोरोना के मामले बढ़ने का आरोप लगाया
विस्तार
राज्य के स्वास्थ्य विभागों की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक पश्चिम बंगाल में एक जून के बाद से कोविड-19 के मामले तेजी से बढ़े हैं। झारखंड, उड़ीसा, बिहार के बाद पश्चिम बंगाल में मामलों में तेजी से बढ़ोतरी आई है। ये वो राज्य हैं जहां सबसे ज्यादा प्रवासी मजदूर आए हैं। कोविड-19 लॉकडाउन की वजह से नौकरी जाने के बाद औद्योगिक राज्य जैसे तमिलनाडु, गुजरात, महाराष्ट्र, तेलंगाना और कर्नाटक से प्रवासी मजदूर आए।
30 मई को केंद्र ने अनलॉक 1.0 का तीन चरणों की जानकारी जारी की थी। अनलॉक 1.0 में लॉकडाउन में लगाए गए प्रतिबंधों में थोड़ी ढील दी गई और एक जून से अंतरराज्यीय आवाजाही के लिए अनुमति दी गई। सुप्रीम कोर्ट में दायर किए गए एक हलफनामे के मुताबिक अब तक एक करोड़ प्रवासी मजदूर अपने घर जा चुके हैं।
केंद्र की ओर से चलाई जा रही श्रमिक ट्रेनों की मदद से प्रवासी मजदूर बिहार, उड़ीसा और झारखंड जैसे राज्यों में गए। ये प्रवासी मजदूरों का आंकड़ा एक मई से जून के पहले हफ्ते तक का है। प्रवासी मजदूरों के आने की वजह से इन राज्यों में कोविड-19 के मामलों में तेजी आई, हालांकि इन राज्यों में कोरोना के मामले महाराष्ट्र, गुजरात और तमिलनाडु से कम हैं।
जून के शुरुआती आठ दिनों मेंं पश्चिम बंगाल में 3,300 नए मामले सामने आए जबकि मई के शुरुआती आठ दिनों में ये आंकड़ें 1,042 थे। वहीं झारखंड में जून के शुरुआती दिनों में 610 मामले आए जो मई में 360 थे। झारखंड में कोरोना के 1,290 मामले हैं। इसी तरह उड़ीसा में 31 मई को कोरोना के 1,948 मामले बढ़कर 2,994 हो गए।
प्रवासी मजदूरों की वजह से कोरोना के मामलों में 72 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई है। बिहार के स्वास्थ्य मंत्री लोकेश कुमार सिंह ने बताया कि राज्य में तीन से पांच जून के बीच 1,491 श्रमिक ट्रेनों की मदद से 20 लाख प्रवासी मजदूर आए हैं। मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि रिकवरी दर 65 फीसदी होने के बाद भी रोजाना आ रहे कोरोना के मामले कम नहीं हो रहे हैं। भोपाल, इंदौर, जबलपुर जैसे बड़े शहर अब भी लॉकडाउन में हैं।
झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री नितिन कुलकर्णी ने कहा कि बड़ी संख्या में बिना टेस्ट वाले सैंपल को इकट्ठा किया गया था, जिनका परिणाम जून के पहले हफ्ते में आना था। इसलिए राज्य में अब कोरोना के मामले ज्यादा बढ़ रहे हैं। रांची के सरकारी अस्पताल राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल रिसर्च के निदेशक डॉ डीके सिंह का कहना है कि क्वारंटीन सेंटर में रहने वाले लोगों का ही टेस्ट हो रहा है।
उड़ीसा की सरकार ने कहा कि पिछले 15 दिनों में क्वारंटीन सेंटर में रह रहे 1,557 प्रवासी मजदूरों के 80 फीसदी मामले सामने आए। सबसे ज्यादा चिंता की बात यह है कि अब उड़ीसा के गरीब इलाकों में कोरोना अपने पैर पसार रहा है। पश्चिम बंगाल की सरकार ने कोरोना के मामलों में तेजी को लेकर केंद्र सरकार को घेरा है।
पश्चिम बंगाल में 25 मई को कोरोना के 3,816 मामले थे जो आठ जून को बढ़कर 8,613 हो गए। राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से सवाल किया कि भारतीय रेलवे किसके पास है। किसने प्रवासी मजदूरों को भेड़-बकरियों के तरह ट्रेनों में चढ़ाया। हालांकि बीजेपी के राज्य प्रमुख दिलीप घोष ने राज्य सरकार पर डाटा छुपाने का आरोप लगाया है। दिलीप घोष का कहना है कि टीएमसी सरकार ने राज्य में स्थिति और खराब कर दी है।
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