इंट्राहेपेटिक कोलेस्टेसिस परेशानी बढ़ा सकता है.
जिन गर्भवती महिला (Pregnant woman) के गर्भ में एक से ज्यादा भ्रूण होते हैं उनको ऑब्सटेट्रिक कोलेस्टेसिस (Obstetric cholestasis) होने का अधिक जोखिम होता है.
myUpchar से जुड़े डॉ. आयुष पांडे ने इस पर कहा कि इंट्राहेपेटिक कोलेस्टेसिस लिवर के अंदर उत्पन्न होता है, जो महिलाओं में गर्भावस्था की स्थिति में खतरे को बढ़ा देता है. यह समस्या गर्भवती महिलाओं में लिवर में खराबी होने और महिला के शरीर में पित्त (एसिड) पर होती है. इंट्राहेपेटिक कोलेस्टेसिस लिवर न केवल मां के शरीर में तीव्र खुजली पैदा करता है, बल्कि पित्त एसिड नाल में प्रवेश कर सकता है और भ्रूण को नुकसान भी पहुंचा सकता है. यह अक्सर प्रीटर्म डिलीवरी, मेकोनियम फ्लूइड और यहां तक कि मृत बच्चा पैदा होने का जिम्मेदार भी इसे ही माना जाता है.
myUpchar से जुड़ी एम्स की डॉ. वीके राजलक्ष्मी ने बताया कि गर्भावस्था के हार्मोन इस स्थिति का कारण बनते हैं, क्योंकि ये हार्मोन पित्ताशय के कार्यों को प्रभावित करते हैं. यह पित्तरस बनने की मात्रा को बढ़ा देते हैं और उसे खून में जारी कर देते हैं. यही नहीं यदि किसी महिला के गर्भ में एक से ज्यादा भ्रूण हैं तो उनको ऑब्सटेट्रिक कोलेस्टेसिस होने का अधिक जोखिम होता है. गर्भावस्था के कारण होने वाला कोलेस्टेसिस एक आनुवंशिक स्थिति हो सकती है. यदि गर्भावस्था के दौरान मां या बहन को यह स्थिति हो चुकी है तो इसके होने की प्रबल आशंका है.
कोलेस्टेसिस का मुख्य लक्षण खुजली हैकोलेस्टेसिस का मुख्य लक्षण ही अत्यधिक खुजली होना है. ऐसा माना जाता है कि खुजली पित्तरस एडिस के नसों में जाने वाली प्रतिक्रिया के कारण पैदा होती है. खुजली विशेष तरह की होती है. सुबह के समय हल्की और सुबह का खाना खाने के बाद धीरे-धीरे गंभीर हो जाती है. यह सामान्य रूप से हाथ की हथेलियों और पैरों के तलवों से शुरू होती है. धीरे-धीरे, यह अन्य भागों में फैलती है.पेट के आसपास खुजली विशेष रूप से गंभीर होती है. यह इतनी तीव्र हो सकती है कि ज्यादातर महिलाओं को नींद नहीं आती. वे कभी-कभी खून बहने तक खुद को खरोंच भी देती हैं. ज्यादातर मामलों में, यह ऊपरी पेट दर्द और पीलिया के साथ भी होता है.
क्या है इसका इलाज
यदि गर्भवती महिला को लगातार खुजली हो रही है, तो अपने डॉक्टर से तुरंत परामर्श लें. एक साधारण ब्लड टेस्ट से पता चल जाएगा कि यह स्थिति है या नहीं. हालांकि, कभी-कभी लक्षण ब्लड सैम्पल में दिखाई देने से पहले सामने आ जाते हैं, लेकिन इस स्थिति का इलाज करने का कोई तरीका नहीं है. एकमात्र विकल्प यह तय करना है कि डिलीवरी कब करवानी है. अब भी जोखिम से बचने के लिए अधिकांश डॉक्टर प्रीमैच्योर डिलीवरी की सलाह देते हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि वे बच्चे को पित्त एसिड से आवश्यक से अधिक समय तक एक्सपोज नहीं करना चाहते हैं. अब नई तकनीकों के साथ, यह पहले की तुलना में आसान है.
अधिक जानकारी के लिए हमारा आर्टिकल, खुजली की आयुर्वेदिक दवा और इलाज पढ़ें
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First published: June 15, 2020, 9:17 PM IST
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