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मुंह की बजाए नाक से सांस लेना बेहतर, व्यायाम करते वक्त धीरे-धीरे सांस लें
पॉल का कहना है कि तेज सांस से तंत्रिका तंत्र सक्रिय हो जाती है। तंत्रिका तंत्र व्यक्ति को खतरे से बचाने पर काम शुरू कर देती है। व्यक्ति शांत और आराम महसूस करता है। कुछ लोग तनाव या नाक का बंद होने पर भी मुंह से तेज सांस लेते हैं। ऐसे में धीरे-धीरे नाक से सांस लें और मुंह से छोड़ें। बिना किसी अधिक प्रयास के आप सामान्य तरह से मास्क या बिना मास्क के सांस ले सकते हैं।
श्वसन मांसपेशियों को बनाएं मजबूत
रेस्पिरेटरी थेरैपिस्ट्स बताते हैं कि सांस के व्यायाम बहुत जरूरी है। रोज पांच मिनट सुबह और रात को रेस्पिरेटरी मसल ट्रेनिंग से श्वसन प्रक्रिया से जुड़ी मांसपेशियां मजबूत होती हैं। इसके लिए पीठ के बल लेटकर घुटने मोड़ लें। पेट फूलने तक धीरे-धीरे नाक से सांस लें। सीना सामान्य रहे। इसके बाद पेट की मासंपेशियों को संकुचित करें और सांस को होंठों को छोटा कर धीरे-धीरे छोड़ें।
एक दिन में लेते हैं 25 हजार बार सांस
सांस पर लिखी किताब में जेम्स नेस्टर ने बताया, मुंह से सांस लेने की बजाए नाक से सांस लेना अच्छा है। क्योंकि नाक में लगे फिल्टर्स गर्मी, दूषित कण और दूषित हवा को रोकते हैं। नाक से सांस लेने पर हॉर्मोन्स और नाइट्रिक आक्साइड निकलते हैं। इससे बलड प्रेशर संतुलित रहता है और ऑक्सीजन की मात्रा ठीक रहती है। औसतन हर व्यक्ति दिनभर में 25 हजार बार सांस लेता है। सांस अच्छे से ली जाए तो शरीर सही से काम करता है।
ठुड्डी के नीचे मास्क रखने का चलन
अधिकतर लोग मास्क ठुड्डी के नीचे रखते हैं। नाक और मुंह खुला रहता है। हां, ऐसे लोग जब देखते हैं कि कोई आसपास से गुजर रहा है तो मास्क को पहन लेते हैं। स्पष्ट है कि वे सेहत को लेकर चिंतित हैं लेकिन मास्क थोड़ा परेशानी का सबब जरूर बन रहा है, हालांकि ये तरीका गलत है।
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