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भारत और चीन के बीच चला आ रहा सीमा विवाद और सैन्य तनाव का मसला अचानक गरमा गया है। सोमवार रात पूर्वी लद्दाख के गलवां घाटी क्षेत्र में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हो गए तो चीन के 47 सैनिक या तो मारे गए या गंभीर रूप से घायल हो गए। हालांकि, अब दोनों देशों के सैनिक पीछे हट चुके हैं।
एशिया की दो महाशक्तियों के बीच इस टकराव पर पूरी दुनिया की नजर है। दुनिया भर के मीडिया संस्थानों ने इस घटना को कवर किया और अपने-अपने नजरिए से पेश किया। अधिकतर विदेशी मीडिया संस्थानों का मानना है कि इसका असर पूरी दुनिया पर हो सकता है तो तीसरे विश्वयुद्ध की आशंका भी जताई गई। जानिए किस मीडिया संस्थान ने क्या कहा…
पूरी दुनिया पर पड़ सकता है असर : वाशिंगटन पोस्ट
अमेरिका के अखबार वाशिंगटन पोस्ट ने लिखा है कि दो सबसे अधिक आबादी वाले देशों के बीच इस विवाद का असर पूरी दुनिया पर हो सकता है। वाशिंगटन पोस्ट ने एलएसी पर हालात खराब होने के पीछे का कारण चीन की आक्रामक पेट्रोलिंग को बताया है।
गेमचेंजर साबित हो सकती है यह घटना : सीएनएन
अमेरिका के समाचार चैनल सीएनएन ने कहा है कि भारत और चीन के बीच हुई यह हिंसक घटना ‘गेमचेंजर’ साबित हो सकती है। पिछले 45 साल से भारत और चीन जिस तरह साथ हैं, यह घटना सब बदल सकती है। दोनों देशों की जनता ने अपने-अपने नेताओं को राष्ट्रवाद के लिए समर्थन दिया है।
टकराव से बढ़ी तीसरे विश्वयुद्ध की आशंका : एक्सप्रेस
ब्रिटेन के मीडिया संस्थान एक्सप्रेस ने इस घटना को लेकर कहा है कि भारत और चीन के बीच हुए इस हिंसक टकराव ने तीसरे विश्वयुद्ध की आशंका को बढ़ा दिया है। एक्सप्रेस के मुताबिक अगर युद्ध होता है तो यह केवल दो देशों के बीच सीमित नहीं होगा, बल्कि पूरी दुनिया इसकी जद में आएगी।
बेहद सावधानी बरत रहा है चीन: न्यूयॉर्क टाइम्स
चीन की कम्युनिस्ट सरकार के अखबार के प्रधान संपादक हू जिजिन ने ट्वीट करके स्वीकार किया है कि भारत-चीन सीमा पर संघर्ष के दौरान चीनी पक्ष को नुकसान हुआ है। उसने यह नहीं बताया कि झड़पों में चीन के कितने लोग मारे गए हैं। इसका यह अर्थ हुआ कि चीन इस मुद्दे पर सुरक्षात्मक रवैया अपनाते हुए सावधानी बरत रहा है।
सकारात्मक बर्ताव करे चीन: साउथ चायना मॉर्निंग पोस्ट
सीमा पर भारत के तीन सैनिकों का शहीद होना यह बताता है कि दोनों देशों के बीच संघर्ष और तनाव जारी है। दोनों तरफ से गलवां घाटी पर बड़ी संख्या में जवान तैनात हैं और वार्ता भी जारी है। लेकिन चीन को चाहिए कि वह एक बड़े देश की तरह सकारात्मक बर्ताव करे।
आपसी वार्ता से ही समाधान होगा: डॉन
भारत के सैन्य अधिकारियों का शहीद होना वास्तविक नियंत्रण रेखा पर हिंसक झड़पों का परिणाम है। महामारी के दौर में गलवां घाटी में दो देशों के बीच युद्ध के बादल मंडरा रहे हैं। हालांकि चीन एक ताकतवर देश है लेकिन इस समस्या का समाधान दोनों देश आपसी बातचीत से ही कर सकते हैं।
सैन्य तनाव से दूर रहकर सुलझाएं विवाद: हिमालयन टाइम्स
भारत-चीन सीमा पर बढ़ता हुआ तनाव वास्तव में जमीन का झगड़ा है और इसे दोनों देशों को आपसी वार्ता से सुलझाना चाहिए। इतिहास में जमीन को लेकर कई विवाद हैं, जिन्हें सुलझाया जाना जरूरी है। हालातों को सैन्य तनाव से दूर रहकर ही सुलझाया जा सकता है।
सैन्य संघर्ष के रूप में सामने आ रहा इतिहास का विवाद: दाइचे वेले
दोनों देशों के बीच सीमा विवाद दशकों पुराना है। तिब्बत को चीन में मिलाए जाने के बाद यह विवाद भारत और चीन का विवाद बन गया। अब यहां वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर इतिहास का विवाद शुरू हुआ है। यह विवाद अब सैन्य संघर्ष के रूप में सामने आ रहा है।
भारत और चीन के बीच चला आ रहा सीमा विवाद और सैन्य तनाव का मसला अचानक गरमा गया है। सोमवार रात पूर्वी लद्दाख के गलवां घाटी क्षेत्र में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हो गए तो चीन के 47 सैनिक या तो मारे गए या गंभीर रूप से घायल हो गए। हालांकि, अब दोनों देशों के सैनिक पीछे हट चुके हैं।
एशिया की दो महाशक्तियों के बीच इस टकराव पर पूरी दुनिया की नजर है। दुनिया भर के मीडिया संस्थानों ने इस घटना को कवर किया और अपने-अपने नजरिए से पेश किया। अधिकतर विदेशी मीडिया संस्थानों का मानना है कि इसका असर पूरी दुनिया पर हो सकता है तो तीसरे विश्वयुद्ध की आशंका भी जताई गई। जानिए किस मीडिया संस्थान ने क्या कहा…
पूरी दुनिया पर पड़ सकता है असर : वाशिंगटन पोस्ट
अमेरिका के अखबार वाशिंगटन पोस्ट ने लिखा है कि दो सबसे अधिक आबादी वाले देशों के बीच इस विवाद का असर पूरी दुनिया पर हो सकता है। वाशिंगटन पोस्ट ने एलएसी पर हालात खराब होने के पीछे का कारण चीन की आक्रामक पेट्रोलिंग को बताया है।
गेमचेंजर साबित हो सकती है यह घटना : सीएनएन
अमेरिका के समाचार चैनल सीएनएन ने कहा है कि भारत और चीन के बीच हुई यह हिंसक घटना ‘गेमचेंजर’ साबित हो सकती है। पिछले 45 साल से भारत और चीन जिस तरह साथ हैं, यह घटना सब बदल सकती है। दोनों देशों की जनता ने अपने-अपने नेताओं को राष्ट्रवाद के लिए समर्थन दिया है।
टकराव से बढ़ी तीसरे विश्वयुद्ध की आशंका : एक्सप्रेस
ब्रिटेन के मीडिया संस्थान एक्सप्रेस ने इस घटना को लेकर कहा है कि भारत और चीन के बीच हुए इस हिंसक टकराव ने तीसरे विश्वयुद्ध की आशंका को बढ़ा दिया है। एक्सप्रेस के मुताबिक अगर युद्ध होता है तो यह केवल दो देशों के बीच सीमित नहीं होगा, बल्कि पूरी दुनिया इसकी जद में आएगी।
बेहद सावधानी बरत रहा है चीन: न्यूयॉर्क टाइम्स
चीन की कम्युनिस्ट सरकार के अखबार के प्रधान संपादक हू जिजिन ने ट्वीट करके स्वीकार किया है कि भारत-चीन सीमा पर संघर्ष के दौरान चीनी पक्ष को नुकसान हुआ है। उसने यह नहीं बताया कि झड़पों में चीन के कितने लोग मारे गए हैं। इसका यह अर्थ हुआ कि चीन इस मुद्दे पर सुरक्षात्मक रवैया अपनाते हुए सावधानी बरत रहा है।
सकारात्मक बर्ताव करे चीन: साउथ चायना मॉर्निंग पोस्ट
सीमा पर भारत के तीन सैनिकों का शहीद होना यह बताता है कि दोनों देशों के बीच संघर्ष और तनाव जारी है। दोनों तरफ से गलवां घाटी पर बड़ी संख्या में जवान तैनात हैं और वार्ता भी जारी है। लेकिन चीन को चाहिए कि वह एक बड़े देश की तरह सकारात्मक बर्ताव करे।
आपसी वार्ता से ही समाधान होगा: डॉन
भारत के सैन्य अधिकारियों का शहीद होना वास्तविक नियंत्रण रेखा पर हिंसक झड़पों का परिणाम है। महामारी के दौर में गलवां घाटी में दो देशों के बीच युद्ध के बादल मंडरा रहे हैं। हालांकि चीन एक ताकतवर देश है लेकिन इस समस्या का समाधान दोनों देश आपसी बातचीत से ही कर सकते हैं।
सैन्य तनाव से दूर रहकर सुलझाएं विवाद: हिमालयन टाइम्स
भारत-चीन सीमा पर बढ़ता हुआ तनाव वास्तव में जमीन का झगड़ा है और इसे दोनों देशों को आपसी वार्ता से सुलझाना चाहिए। इतिहास में जमीन को लेकर कई विवाद हैं, जिन्हें सुलझाया जाना जरूरी है। हालातों को सैन्य तनाव से दूर रहकर ही सुलझाया जा सकता है।
सैन्य संघर्ष के रूप में सामने आ रहा इतिहास का विवाद: दाइचे वेले
दोनों देशों के बीच सीमा विवाद दशकों पुराना है। तिब्बत को चीन में मिलाए जाने के बाद यह विवाद भारत और चीन का विवाद बन गया। अब यहां वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर इतिहास का विवाद शुरू हुआ है। यह विवाद अब सैन्य संघर्ष के रूप में सामने आ रहा है।
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