सोमवार 15 जून को भारत और चीन के सैनिकों के बीच में 8 करीब आठ घंटे तक चली हिंसक झड़प, उसके बाद दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की फोन पर हुई बातचीत का अभी कोई नतीजा सामने नहीं आया है।
चीन गलवां नदी घाटी इलाके के उस क्षेत्र को अपना बताकर अड़ा हुआ है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता चाओ लिजिआन के अनुसार हिंसक झड़प की यह घटना भी चीन के ही इलाके में हुई थी और इसमें चीन को कुछ भी साबित करने की जरूरत नहीं है।
विदेश मंत्री वांग यी ने विदेश मंत्री एस जयशंकर से बातचीत के दौरान 6 जून को सैन्य कमांडर स्तर पर बनी सहमति के अनुपालना का भरोसा दिया था, लेकिन हालात जस के तस हैं।
बुधवार और गुरुवार की मेजर जनरल स्तर की वार्ता
सोमवार को हुई हिंसक झड़प, मंगलवार को प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री, विदेशमंत्री, गृहमंत्री के बीच की चर्चा, सीसीएस की बैठक समेत तमाम एक्सरसाइज चली। बुधवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने विदेश मंत्री वांग यी से बात की।
बुधवार को दोनों देशों के मेजर जनरल स्तर के सैन्य अधिकारियों ने सीमा विवाद से जुड़े मुद्दे को सुलझाने के लिए बातचीत की। गुरुवार को मेजर जनरल स्तर के सैन्य अधिकारियों की फिर बैठक हुई।
प्राप्त सूचना के आधार पर इस बैठक में चीन गलवां नदी घाटी क्षेत्र पर अपना दावा जता रहा है। वह भारतीय क्षेत्र मानने, पीछे हटने से साफ इंकार कर रहा है। बताते हैं कि चीन के जिद्दी रवैय्ये के कारण इस मामले में कोई सकारात्मक प्रगति नहीं हो सकी है।
इतना ही नहीं सैनिकों की हिंसक झड़प को लेकर भी चीन भारत पर ही दोषारोपण करने में जुटा है।
चीन के इस जवाब का अर्थ क्या है?
चीन के प्रवक्ता लिजिआन की बीजिंग में प्रेसवार्ता का संकेत गंभीर हैं। हालांकि उन्होंने कहा कि शांति के प्रयासों को आगे बढ़ाते हुए दोनों देशों के राजनयिक बात कर रहे हैं।
लिजिआन ने भारतीय सेना के साथ हिंसक झड़प में हताहत चीन के सैनिकों की संख्या में कोई जानकारी न होना बताया।
उन्होंने सीमा पर भविष्य में हिंसक झड़प होने की संभावना पर कहा कि चीन अब इस तरह का टकराव नहीं चाहता है। शांति बहाली के बाबत कहा कि भारत और चीन विश्व के दो बड़े उभरते बाजार वाले विकासशील देश हैं।
इन दोनों देशों के आपसी मतभेद से ज्यादा साझा आपसी हित हैं। यह दोनों देशों के लिए जरूरी है कि वे अपने देश के नागरिकों के आपसी हित को देखते हुए संभावना के अनुसार संबंधों को सही दिशा दें।
समझौते का पालन करें। चीन के प्रवक्ता ने आगे उम्मीद भी जताई कि भारतीय पक्ष का रुख सहयोगात्मक रहेगा। यह तो चीन के प्रवक्ता की बड़ी बातें रही, लेकिन गलवां नदी घाटी पर चीन का दावा भी बरकरार रखा।
बार्डर मैनेजमेंट कंसल्टेशन ग्रुप के बीच चर्चा आरंभ : अनुराग श्रीवास्तव
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि लेह-लद्दाख में दोनों देशों के बीच गलवां नदी के पास हुई हिंसक झड़प के बाद बार्डर मैनेजमेंट कंसल्टेशन ग्रुप की वार्ता शुरू हो गई है।
वर्किंग मैकेनिज्म फॉर कंसल्टेशन एंड कोआर्डिनेशन ऑन बार्डर अफेयर्स (डब्ल्यूएमसीसी) का इस मामले में आना काफी महत्वपूर्ण है। अभी तक इस मामले में दोनों देशों के सैन्य कमांडर जमीनी स्तर पर वार्ता कर रहे थे।
ऐसा माना जा रहा है कि इस प्रकरण में अब यह एक नई शुरूआत हुई है। दोनों देशों के बीच अब पूर्वी लद्दाख में शांति बहाली के लिए वार्ता के दो स्तर चल रहे हैं। अब सैन्य और कूटनीति दोनों फोरम पर संवाद चल रहा है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता का कहना है कि उन्हें उम्मीद है कि इसका नतीजा निकलेगा और यथाशीघ्र चीन का पक्ष गलवां नदी घाटे से पीछे हटकर वास्तविक नियंत्रण रेखा तथा आपसी सहमति का सम्मान करेगा।
भारत का कहना है कि 15 जून को हिंसक झड़प के साथ जो भी हुआ था, वह चीन का एक तरफा प्रयास और सुनियोजित साजिश थी। चीनी पक्ष सैन्य कमांडरों के बीच में बनी सहमति की अनुपालना के बजाय वास्तविक नियंत्रण रेखा को नए सिरे से परिभाषित करने की कोशिश कर रहा है।
सार
- सैन्य और राजनयिक (डब्ल्यूएमसीसी) दोनों स्तर पर चर्चा तेज
- 23 जून को भारत, चीन और रूस के मंत्री करेंगे वर्चुअल संवाद
- चीन ने सेना पीछे नहीं हटाई और न ही मेजर जनरल स्तर की वार्ता किसी नतीजे पर पहुंची
विस्तार
सोमवार 15 जून को भारत और चीन के सैनिकों के बीच में 8 करीब आठ घंटे तक चली हिंसक झड़प, उसके बाद दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की फोन पर हुई बातचीत का अभी कोई नतीजा सामने नहीं आया है।
चीन गलवां नदी घाटी इलाके के उस क्षेत्र को अपना बताकर अड़ा हुआ है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता चाओ लिजिआन के अनुसार हिंसक झड़प की यह घटना भी चीन के ही इलाके में हुई थी और इसमें चीन को कुछ भी साबित करने की जरूरत नहीं है।
विदेश मंत्री वांग यी ने विदेश मंत्री एस जयशंकर से बातचीत के दौरान 6 जून को सैन्य कमांडर स्तर पर बनी सहमति के अनुपालना का भरोसा दिया था, लेकिन हालात जस के तस हैं।
बुधवार और गुरुवार की मेजर जनरल स्तर की वार्ता
सोमवार को हुई हिंसक झड़प, मंगलवार को प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री, विदेशमंत्री, गृहमंत्री के बीच की चर्चा, सीसीएस की बैठक समेत तमाम एक्सरसाइज चली। बुधवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने विदेश मंत्री वांग यी से बात की।
बुधवार को दोनों देशों के मेजर जनरल स्तर के सैन्य अधिकारियों ने सीमा विवाद से जुड़े मुद्दे को सुलझाने के लिए बातचीत की। गुरुवार को मेजर जनरल स्तर के सैन्य अधिकारियों की फिर बैठक हुई।
प्राप्त सूचना के आधार पर इस बैठक में चीन गलवां नदी घाटी क्षेत्र पर अपना दावा जता रहा है। वह भारतीय क्षेत्र मानने, पीछे हटने से साफ इंकार कर रहा है। बताते हैं कि चीन के जिद्दी रवैय्ये के कारण इस मामले में कोई सकारात्मक प्रगति नहीं हो सकी है।
इतना ही नहीं सैनिकों की हिंसक झड़प को लेकर भी चीन भारत पर ही दोषारोपण करने में जुटा है।
चीन के इस जवाब का अर्थ क्या है?
चीन के प्रवक्ता लिजिआन की बीजिंग में प्रेसवार्ता का संकेत गंभीर हैं। हालांकि उन्होंने कहा कि शांति के प्रयासों को आगे बढ़ाते हुए दोनों देशों के राजनयिक बात कर रहे हैं।
लिजिआन ने भारतीय सेना के साथ हिंसक झड़प में हताहत चीन के सैनिकों की संख्या में कोई जानकारी न होना बताया।
उन्होंने सीमा पर भविष्य में हिंसक झड़प होने की संभावना पर कहा कि चीन अब इस तरह का टकराव नहीं चाहता है। शांति बहाली के बाबत कहा कि भारत और चीन विश्व के दो बड़े उभरते बाजार वाले विकासशील देश हैं।
इन दोनों देशों के आपसी मतभेद से ज्यादा साझा आपसी हित हैं। यह दोनों देशों के लिए जरूरी है कि वे अपने देश के नागरिकों के आपसी हित को देखते हुए संभावना के अनुसार संबंधों को सही दिशा दें।
समझौते का पालन करें। चीन के प्रवक्ता ने आगे उम्मीद भी जताई कि भारतीय पक्ष का रुख सहयोगात्मक रहेगा। यह तो चीन के प्रवक्ता की बड़ी बातें रही, लेकिन गलवां नदी घाटी पर चीन का दावा भी बरकरार रखा।
बार्डर मैनेजमेंट कंसल्टेशन ग्रुप के बीच चर्चा आरंभ : अनुराग श्रीवास्तव
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि लेह-लद्दाख में दोनों देशों के बीच गलवां नदी के पास हुई हिंसक झड़प के बाद बार्डर मैनेजमेंट कंसल्टेशन ग्रुप की वार्ता शुरू हो गई है।
वर्किंग मैकेनिज्म फॉर कंसल्टेशन एंड कोआर्डिनेशन ऑन बार्डर अफेयर्स (डब्ल्यूएमसीसी) का इस मामले में आना काफी महत्वपूर्ण है। अभी तक इस मामले में दोनों देशों के सैन्य कमांडर जमीनी स्तर पर वार्ता कर रहे थे।
ऐसा माना जा रहा है कि इस प्रकरण में अब यह एक नई शुरूआत हुई है। दोनों देशों के बीच अब पूर्वी लद्दाख में शांति बहाली के लिए वार्ता के दो स्तर चल रहे हैं। अब सैन्य और कूटनीति दोनों फोरम पर संवाद चल रहा है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता का कहना है कि उन्हें उम्मीद है कि इसका नतीजा निकलेगा और यथाशीघ्र चीन का पक्ष गलवां नदी घाटे से पीछे हटकर वास्तविक नियंत्रण रेखा तथा आपसी सहमति का सम्मान करेगा।
भारत का कहना है कि 15 जून को हिंसक झड़प के साथ जो भी हुआ था, वह चीन का एक तरफा प्रयास और सुनियोजित साजिश थी। चीनी पक्ष सैन्य कमांडरों के बीच में बनी सहमति की अनुपालना के बजाय वास्तविक नियंत्रण रेखा को नए सिरे से परिभाषित करने की कोशिश कर रहा है।
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