भारत और चीनी सेना के बीच पूर्वी लद्दाख में एक महीने से चल रहे कटु विवाद को समाप्त करने के लिए दोनों पक्षों के बीच वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों की बैठक शनिवार को होगी। भारतीय सेना के सूत्रों के मुताबिक यह बैठक शनिवार की सुबह चीन के मोल्डो में होगी।
लेह के 14 कॉर्प्स के जनरल ऑफिसर कमांडिंग, लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह इस बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। चीन की ओर से इस बैठक में मेजर जनरल लियू लिन शामिल होंगे। वह चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी की दक्षिणी शिनजियांग सेना क्षेत्र के कमांडर हैं।
दोनों पक्षों के मध्य पहले ही स्थानीय कमांडरों के बीच कम से कम 10 दौर की और मेजर जनरल स्तरीय अधिकारियों के बीच तीन दौर की बातचीत हो चुकी है। लेकिन चर्चा से कोई सकारात्मक नतीजा नहीं निकला।
उम्मीद है कि शनिवार की बैठक में भारतीय पक्ष पैंगोंग त्सो और गलवान घाटी में यथास्थिति बहाल रखने पर जोर देगा ताकि पांच मई को दोनों पक्षों के बीच हिंसक झड़प के बाद चीन द्वारा बनाए गए अस्थायी शिविरों को हटाते हुए तनाव में धीरे-धीरे कमी लाई जा सके।
भारतीय प्रतिनिधिमंडल, अप्रैल 2018 में वुहान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच पहले अनौपचारिक शिखर सम्मेलन में लिए गए निर्णयों के अनुरूप, दोनों सेनाओं द्वारा जारी रणनीतिक दिशा-निर्देशों के कार्यान्वयन पर जोर देगा।
समझा जाता है कि दोनों पक्ष गतिरोध दूर करने के लिए राजनयिक स्तर पर भी प्रयासरत हैं। 2017 के डोकलाम प्रकरण के बाद दोनों पक्षों के बीच यह सबसे गंभीर सैन्य गतिरोध है।पिछले महीने गतिरोध शुरू होने के बाद भारतीय सैन्य नेतृत्व ने फैसला किया कि भारतीय सेना पैंगोंग त्सो, गलवान घाटी, डेमचोक और दौलत बेग ओल्डी के सभी विवादित क्षेत्रों में चीनी सैनिकों की आक्रामक मुद्रा से निपटने के लिए दृढ़ दृष्टिकोण अपनाएगी।
समझा जाता है कि चीन पैंगोंग त्सो और गलवान घाटी में लगभग 2,500 सैनिकों को तैनात करने के अलावा धीरे-धीरे अस्थायी बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रहा है और हथियारों की तैनाती बढ़ा रहा है।
बता दें कि चीन ने लद्दाख में अक्साई चिन की गलवां घाटी में भारत की ओर से एक महत्वपूर्ण सड़क के निर्माण को लेकर अपनी आपत्ति जताई थी। पांच मई को लगभग 250 भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच लोहे की छड़ों और डंडों के साथ झड़प हुई थी। सड़क का निर्माण फिलहाल रोक दिया गया है।
भारत और चीन के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के बीच शनिवार को होने जा रही अहम वार्ता से पहले चीन ने शुक्रवार को कहा कि वह सीमा विवाद को समाप्त करने के लिए भारत के साथ संबंधित मुद्दे को ठीक ढंग से सुलझाने के लिए प्रतिबद्ध है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने प्रेस वार्ता में कहा कि इस वक्त चीन और भारत के बीच सीमा क्षेत्र में स्थिति कुल मिलाकर स्थिर है और नियंत्रण-योग्य है।
भारत और चीनी सेना के बीच शनिवार को पहली गहन वार्ता के दौरान पूर्वी लद्दाख में एक महीने से चल रहे कटु विवाद को समाप्त करने के लिए दोनों पक्षों के बीच विशेष प्रस्तावों पर चर्चा होने की उम्मीद है। दोनों पक्षों का नेतृत्व दोनों देश की सेनाओं के लेफ्टिनेंट जनरल करेंगे। शुआंग ने कहा, “हमारे पास सीमा से संबंधित पूर्ण विकसित तंत्र है और हम सेना एवं कूटनीतिक माध्यमों के जरिए करीबी संवाद बनाए हुए हैं।”
हालांकि, यह तत्काल पता नहीं चल पाया है कि भारतीय सेना वार्ता की मेज तक किन प्रस्तावों को ले जाएगी लेकिन समझा जाता है कि वह सभी इलाकों में यथास्थिति पर लौटने पर जोर दे सकती है। सूत्रों ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच स्थानीय कमांडर से लेकर दोनों सेनाओं के जनरल रैंक तक के अधिकारियों के बीच 10 चरण की वार्ता हो चुकी है लेकिन किसी तरह का सकारात्मक परिणाम नहीं निकला है।
यह भी माना जा रहा है कि 2017 के डोकलाम विवाद के बाद दोनों सेनाओं के बीच सबसे गंभीर सैन्य विवाद का रूप ले रही आमने-सामने की लड़ाई के समाधान के लिए दोनों पक्ष कूटनीतिक वार्ता भी कर रहे हैं।
वहीं भारतीय विदेश मंत्रालय ने दोनों देशों के सैन्य कमांडरों की बैठक को लेकर कहा कि दोनों पक्षों ने वर्तमान परिस्थितियों के साथ दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों की स्थिति की समीक्षा की है। दोनों पक्ष इस पर सहमत हुए कि दोनों देशों के नेतृत्व द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों के अनुरुप मतभेदों को सुलझाया जाए
विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए हैं कि आपसी विवाद शांतिपूर्ण तरीके से आपसी बातचीत द्वारा सुलझाया जाए। दोनों पक्षों ने चीन और भारत के नेताओं के बीच बनी इस सहमति को याद किया कि स्थिर संबंध दुनिया के लिए सकारात्मक कारक होगा।
भारत में चीन के राजदूत ने विदेश मंत्रालय के एशियाई विभाग के महानिदेशक वू जियांगहाओ और भारतीय विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव अनुराग श्रीवास्तव के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक की। उन्होंने कहा कि इस दौरान द्विपक्षीय संबंधों, कोरोना के खिलाफ जंग में सहयोग, दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों क 70वीं वर्षगांठ और बहुपक्षीय सहयोग पर बात की गई।
चीनी राजदूत सुन वीडोंग ने कहा, ‘सभी इस बात पर सहमत हुए कि दोरों पक्षों को दोनों देशों के नेताओं के रणनीतिक निर्देशों का पालन करना चाहिए। चीन और भारत एक दूसरे के लिए कोई खतरा नहीं हैं और एक दूसरे के लिए विकास के मौकों को प्रदर्शित करते हैं। दोनों देशों के बीच अंतर को विवाद में नहीं बदलना चाहिए। ‘
उन्होंने कहा कि इस दौरान इस बात पर भी सहमति बनी कि भारत और चीन दोनों को कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई को और गंभीर करना होगा, विश्व स्वास्थ्य संगठन का सहयोग करना होगा और विकासशील देशों के संयुक्त हितों को समर्थन देना चाहिए।
सार
- भारतीय सेना के सूत्रों के मुताबिक, बैठक शनिवार सुबह चीन के मोल्डो में होगी
- लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह इस बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे
- चीन की ओर से इस बैठक में मेजर जनरल लियू लिन शामिल होंगे
विस्तार
भारत और चीनी सेना के बीच पूर्वी लद्दाख में एक महीने से चल रहे कटु विवाद को समाप्त करने के लिए दोनों पक्षों के बीच वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों की बैठक शनिवार को होगी। भारतीय सेना के सूत्रों के मुताबिक यह बैठक शनिवार की सुबह चीन के मोल्डो में होगी।
लेह के 14 कॉर्प्स के जनरल ऑफिसर कमांडिंग, लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह इस बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। चीन की ओर से इस बैठक में मेजर जनरल लियू लिन शामिल होंगे। वह चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी की दक्षिणी शिनजियांग सेना क्षेत्र के कमांडर हैं।
दोनों पक्षों के मध्य पहले ही स्थानीय कमांडरों के बीच कम से कम 10 दौर की और मेजर जनरल स्तरीय अधिकारियों के बीच तीन दौर की बातचीत हो चुकी है। लेकिन चर्चा से कोई सकारात्मक नतीजा नहीं निकला।
उम्मीद है कि शनिवार की बैठक में भारतीय पक्ष पैंगोंग त्सो और गलवान घाटी में यथास्थिति बहाल रखने पर जोर देगा ताकि पांच मई को दोनों पक्षों के बीच हिंसक झड़प के बाद चीन द्वारा बनाए गए अस्थायी शिविरों को हटाते हुए तनाव में धीरे-धीरे कमी लाई जा सके।
भारतीय प्रतिनिधिमंडल, अप्रैल 2018 में वुहान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच पहले अनौपचारिक शिखर सम्मेलन में लिए गए निर्णयों के अनुरूप, दोनों सेनाओं द्वारा जारी रणनीतिक दिशा-निर्देशों के कार्यान्वयन पर जोर देगा।
समझा जाता है कि दोनों पक्ष गतिरोध दूर करने के लिए राजनयिक स्तर पर भी प्रयासरत हैं। 2017 के डोकलाम प्रकरण के बाद दोनों पक्षों के बीच यह सबसे गंभीर सैन्य गतिरोध है।पिछले महीने गतिरोध शुरू होने के बाद भारतीय सैन्य नेतृत्व ने फैसला किया कि भारतीय सेना पैंगोंग त्सो, गलवान घाटी, डेमचोक और दौलत बेग ओल्डी के सभी विवादित क्षेत्रों में चीनी सैनिकों की आक्रामक मुद्रा से निपटने के लिए दृढ़ दृष्टिकोण अपनाएगी।
समझा जाता है कि चीन पैंगोंग त्सो और गलवान घाटी में लगभग 2,500 सैनिकों को तैनात करने के अलावा धीरे-धीरे अस्थायी बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रहा है और हथियारों की तैनाती बढ़ा रहा है।
बता दें कि चीन ने लद्दाख में अक्साई चिन की गलवां घाटी में भारत की ओर से एक महत्वपूर्ण सड़क के निर्माण को लेकर अपनी आपत्ति जताई थी। पांच मई को लगभग 250 भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच लोहे की छड़ों और डंडों के साथ झड़प हुई थी। सड़क का निर्माण फिलहाल रोक दिया गया है।
सही तरीके से विवाद निपटाने के लिए प्रतिबद्ध : चीन
भारत और चीन के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के बीच शनिवार को होने जा रही अहम वार्ता से पहले चीन ने शुक्रवार को कहा कि वह सीमा विवाद को समाप्त करने के लिए भारत के साथ संबंधित मुद्दे को ठीक ढंग से सुलझाने के लिए प्रतिबद्ध है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने प्रेस वार्ता में कहा कि इस वक्त चीन और भारत के बीच सीमा क्षेत्र में स्थिति कुल मिलाकर स्थिर है और नियंत्रण-योग्य है।
भारत और चीनी सेना के बीच शनिवार को पहली गहन वार्ता के दौरान पूर्वी लद्दाख में एक महीने से चल रहे कटु विवाद को समाप्त करने के लिए दोनों पक्षों के बीच विशेष प्रस्तावों पर चर्चा होने की उम्मीद है। दोनों पक्षों का नेतृत्व दोनों देश की सेनाओं के लेफ्टिनेंट जनरल करेंगे। शुआंग ने कहा, “हमारे पास सीमा से संबंधित पूर्ण विकसित तंत्र है और हम सेना एवं कूटनीतिक माध्यमों के जरिए करीबी संवाद बनाए हुए हैं।”
हालांकि, यह तत्काल पता नहीं चल पाया है कि भारतीय सेना वार्ता की मेज तक किन प्रस्तावों को ले जाएगी लेकिन समझा जाता है कि वह सभी इलाकों में यथास्थिति पर लौटने पर जोर दे सकती है। सूत्रों ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच स्थानीय कमांडर से लेकर दोनों सेनाओं के जनरल रैंक तक के अधिकारियों के बीच 10 चरण की वार्ता हो चुकी है लेकिन किसी तरह का सकारात्मक परिणाम नहीं निकला है।
यह भी माना जा रहा है कि 2017 के डोकलाम विवाद के बाद दोनों सेनाओं के बीच सबसे गंभीर सैन्य विवाद का रूप ले रही आमने-सामने की लड़ाई के समाधान के लिए दोनों पक्ष कूटनीतिक वार्ता भी कर रहे हैं।
शांतिपूर्ण तरीके से निकालेंगे मसले का हल : विदेश मंत्रालय
वहीं भारतीय विदेश मंत्रालय ने दोनों देशों के सैन्य कमांडरों की बैठक को लेकर कहा कि दोनों पक्षों ने वर्तमान परिस्थितियों के साथ दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों की स्थिति की समीक्षा की है। दोनों पक्ष इस पर सहमत हुए कि दोनों देशों के नेतृत्व द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों के अनुरुप मतभेदों को सुलझाया जाए
विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए हैं कि आपसी विवाद शांतिपूर्ण तरीके से आपसी बातचीत द्वारा सुलझाया जाए। दोनों पक्षों ने चीन और भारत के नेताओं के बीच बनी इस सहमति को याद किया कि स्थिर संबंध दुनिया के लिए सकारात्मक कारक होगा।
चीन के राजदूत ने कहा, अंतर को विवाद में न बदलें
भारत में चीन के राजदूत ने विदेश मंत्रालय के एशियाई विभाग के महानिदेशक वू जियांगहाओ और भारतीय विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव अनुराग श्रीवास्तव के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक की। उन्होंने कहा कि इस दौरान द्विपक्षीय संबंधों, कोरोना के खिलाफ जंग में सहयोग, दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों क 70वीं वर्षगांठ और बहुपक्षीय सहयोग पर बात की गई।
चीनी राजदूत सुन वीडोंग ने कहा, ‘सभी इस बात पर सहमत हुए कि दोरों पक्षों को दोनों देशों के नेताओं के रणनीतिक निर्देशों का पालन करना चाहिए। चीन और भारत एक दूसरे के लिए कोई खतरा नहीं हैं और एक दूसरे के लिए विकास के मौकों को प्रदर्शित करते हैं। दोनों देशों के बीच अंतर को विवाद में नहीं बदलना चाहिए। ‘
उन्होंने कहा कि इस दौरान इस बात पर भी सहमति बनी कि भारत और चीन दोनों को कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई को और गंभीर करना होगा, विश्व स्वास्थ्य संगठन का सहयोग करना होगा और विकासशील देशों के संयुक्त हितों को समर्थन देना चाहिए।
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सही तरीके से विवाद निपटाने के लिए प्रतिबद्ध : चीन
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