संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) का अस्थाई सदस्य चुने जाने के चंद घंटे बाद ही भारत ने एलान करते हुए कहा है कि वह इस मंच से आतंकियों और आतंकी संगठनों पर लगाम लगाने के लिए जोर देगा। भारत ने पाकिस्तान का नाम लिए बगैर उस पर निशाना साधते हुए साफ तौर पर कहा है कि संयुक्त राष्ट्र की इस शक्तिशाली इकाई द्वारा आतंकवाद निरोधक कार्रवाई बढ़ाना और आतंकी संगठनों पर प्रतिबंध लगाने की प्रक्रिया का गैर राजनीतिकरण उसकी मुख्य प्राथमिकताओं में होगा।
आगामी कार्यकाल में भारत आतंकवाद, उसके समर्थकों, हमदर्दों और आतंकियों को पनाह देने वाले देशों के खिलाफ वैश्विक कार्रवाई पर जोर देने के लिए काम करेगा।
भारत के चुने जाने की जानकारी देते हुए विदेश मंत्रालय के सचिव (पश्चिम) विकास स्वरूप ने कहा कि भारत उन सभी देशों की आवाज बनकर काम करेगा जो परिषद के सदस्य नहीं हैं। उन्होंने कहा कि एक देश के रूप में यूएनएससी के चुनाव में भारत का यह सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है।
भारत को 192 में से 184 मत मिले। उन्होंने कहा कि इससे पहले भी भारत 2011-12 के दौरान जब परिषद का सदस्य था, तब हम संयुक्त राष्ट्र आतंकवाद निरोधक समिति के अध्यक्ष रहे और आतंकवाद के प्रति शून्य सहनशीलता की अवधारणा लेकर आए। स्वरूप ने कहा कि भारत अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक समझौते को जल्द ही अंतिम रूप दिए जाने पर भी काम करेगा, जिसका प्रस्ताव 1996 में भारत ने रखा था।
इससे पहले इस जीत पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने वीडियो संदेश में कहा, भारत को मिला व्यापक समर्थन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के व्यापक दृष्टिकोण और उनके वैश्विक नेतृत्व का प्रतीक है। भारत 2021-22 कार्यकाल के लिए एशिया-प्रशांत समूह से अस्थाई सीट के लिए इकलौता उम्मीदवार था। ऐसे में भारत की जीत तय मानी जा रही थी। 55 सदस्यीय एशिया-प्रशांत समूह ने पिछले साल जून में सर्वसम्मति से भारत की उम्मीदवारी का समर्थन किया था।
- तिलमिलाए पाकिस्तान का फिर कश्मीर राग
भारत की इस जीत से तिलमिलाए पाकिस्तान ने फिर कश्मीर राग अलापा है। जब पाकिस्तान के यूएन में राजदूत मुनीर अकरम से इस बारे में सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा, भारत का सुरक्षा परिषद में चुना जाना पाकिस्तान के कश्मीर के प्रस्तावों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। पाकिस्तान यूएन में कश्मीर का मुद्दा उठाता रहेगा।
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने भी चुनाव से पहले कहा था कि अस्थायी सदस्य के तौर पर भारत का शामिल होना पाकिस्तान के लिए चिंता का विषय है। भारत हमेशा इस मंच से उठाए जाने वाले प्रस्तावों खासकर कश्मीर जैसे मुद्दों पर पाकिस्तान के प्रस्तावों को खारिज करता रहा है। भारत के अस्थाई सदस्य बनने से कोई आसमान नहीं फट पड़ेगा। पाकिस्तान भी सात बार अस्थाई सदस्य रह चुका है।
अमेरिका ने बयान जारी कर कहा कि हम भारत का गर्मजोशी से स्वागत करते हैं और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सफल चुनाव के लिए बधाई देते हैं। हम अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के मुद्दों पर साथ काम करने के लिए उत्साहित हैं, जो भारत और अमेरिका के बीच सहभागिता की वैश्विक रणनीति है। हम इसे और आगे ले जाना चाहते हैं।
यूएनएसी में भारत की अस्थाई सदस्यता के लिए दुनिया ने समर्थन और सहयोग दिया। मैं उनका आभार प्रकट करता हूं। भारत सभी के सहयोग से अंतरराष्ट्रीय शांति, सुरक्षा और बराबरी के लिए काम करेगा।-नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
भारत के सदस्य चुने जाने पर रूस, फ्रांस समेत चीन ने भी बधाई दी है। लद्दाख में तनातनी के बीच यूएन में चीन के स्थायी मिशन ने ट्वीट कर कहा, भारत के अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को कायम रखने के लिए काम करेंगे। वहीं, रूसी मिशन ने कहा, हम नए सदस्य के साथ काम करने के लिए तैयार हैं।
- आठ साल बाद फिर मिली जिम्मेदारी
भारत आठवीं बार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अस्थाई सदस्य चुना जा रहा है। इसके पहले 1950-51, 1967-68, 1972-73, 1977-78, 1984-85, 1991-92 और 2011-12 में भारत यह जिम्मेदारी निभा चुका है। सुरक्षा परिषद में 15 देश हैं। इनमें पांच स्थायी सदस्य अमेरिका, रूस, फ्रांस, ब्रिटेन और चीन और 10 देशों को अस्थाई सदस्यता दी गई है।
हर साल पांच अस्थायी सदस्य चुने जाते हैं। अस्थाई सदस्यों का कार्यकाल दो साल होता है। 193 सदस्यों वाले संयुक्त राष्ट्र में भारत को जीत के लिए दो-तिहाई यानी 128 देशों के समर्थन की जरूरत थी। सदस्य देश गुप्त मतदान करते हैं। भारत को आठ देशों ने गुप्त मतदान में वोट नहीं दिया, जबकि इस मतदान में 193 सदस्य देशों में से 192 ने भाग लिया था।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) का अस्थाई सदस्य चुने जाने के चंद घंटे बाद ही भारत ने एलान करते हुए कहा है कि वह इस मंच से आतंकियों और आतंकी संगठनों पर लगाम लगाने के लिए जोर देगा। भारत ने पाकिस्तान का नाम लिए बगैर उस पर निशाना साधते हुए साफ तौर पर कहा है कि संयुक्त राष्ट्र की इस शक्तिशाली इकाई द्वारा आतंकवाद निरोधक कार्रवाई बढ़ाना और आतंकी संगठनों पर प्रतिबंध लगाने की प्रक्रिया का गैर राजनीतिकरण उसकी मुख्य प्राथमिकताओं में होगा।
आगामी कार्यकाल में भारत आतंकवाद, उसके समर्थकों, हमदर्दों और आतंकियों को पनाह देने वाले देशों के खिलाफ वैश्विक कार्रवाई पर जोर देने के लिए काम करेगा।
भारत के चुने जाने की जानकारी देते हुए विदेश मंत्रालय के सचिव (पश्चिम) विकास स्वरूप ने कहा कि भारत उन सभी देशों की आवाज बनकर काम करेगा जो परिषद के सदस्य नहीं हैं। उन्होंने कहा कि एक देश के रूप में यूएनएससी के चुनाव में भारत का यह सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है।
भारत को 192 में से 184 मत मिले। उन्होंने कहा कि इससे पहले भी भारत 2011-12 के दौरान जब परिषद का सदस्य था, तब हम संयुक्त राष्ट्र आतंकवाद निरोधक समिति के अध्यक्ष रहे और आतंकवाद के प्रति शून्य सहनशीलता की अवधारणा लेकर आए। स्वरूप ने कहा कि भारत अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक समझौते को जल्द ही अंतिम रूप दिए जाने पर भी काम करेगा, जिसका प्रस्ताव 1996 में भारत ने रखा था।
इससे पहले इस जीत पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने वीडियो संदेश में कहा, भारत को मिला व्यापक समर्थन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के व्यापक दृष्टिकोण और उनके वैश्विक नेतृत्व का प्रतीक है। भारत 2021-22 कार्यकाल के लिए एशिया-प्रशांत समूह से अस्थाई सीट के लिए इकलौता उम्मीदवार था। ऐसे में भारत की जीत तय मानी जा रही थी। 55 सदस्यीय एशिया-प्रशांत समूह ने पिछले साल जून में सर्वसम्मति से भारत की उम्मीदवारी का समर्थन किया था।
- तिलमिलाए पाकिस्तान का फिर कश्मीर राग
भारत की इस जीत से तिलमिलाए पाकिस्तान ने फिर कश्मीर राग अलापा है। जब पाकिस्तान के यूएन में राजदूत मुनीर अकरम से इस बारे में सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा, भारत का सुरक्षा परिषद में चुना जाना पाकिस्तान के कश्मीर के प्रस्तावों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। पाकिस्तान यूएन में कश्मीर का मुद्दा उठाता रहेगा।
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने भी चुनाव से पहले कहा था कि अस्थायी सदस्य के तौर पर भारत का शामिल होना पाकिस्तान के लिए चिंता का विषय है। भारत हमेशा इस मंच से उठाए जाने वाले प्रस्तावों खासकर कश्मीर जैसे मुद्दों पर पाकिस्तान के प्रस्तावों को खारिज करता रहा है। भारत के अस्थाई सदस्य बनने से कोई आसमान नहीं फट पड़ेगा। पाकिस्तान भी सात बार अस्थाई सदस्य रह चुका है।
अमेरिका ने कहा, अमन बहाली और सुरक्षा पर काम करेंगे
अमेरिका ने बयान जारी कर कहा कि हम भारत का गर्मजोशी से स्वागत करते हैं और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सफल चुनाव के लिए बधाई देते हैं। हम अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के मुद्दों पर साथ काम करने के लिए उत्साहित हैं, जो भारत और अमेरिका के बीच सहभागिता की वैश्विक रणनीति है। हम इसे और आगे ले जाना चाहते हैं।
यूएनएसी में भारत की अस्थाई सदस्यता के लिए दुनिया ने समर्थन और सहयोग दिया। मैं उनका आभार प्रकट करता हूं। भारत सभी के सहयोग से अंतरराष्ट्रीय शांति, सुरक्षा और बराबरी के लिए काम करेगा।-नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
भारत के सदस्य चुने जाने पर रूस, फ्रांस समेत चीन ने भी बधाई दी है। लद्दाख में तनातनी के बीच यूएन में चीन के स्थायी मिशन ने ट्वीट कर कहा, भारत के अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को कायम रखने के लिए काम करेंगे। वहीं, रूसी मिशन ने कहा, हम नए सदस्य के साथ काम करने के लिए तैयार हैं।
- आठ साल बाद फिर मिली जिम्मेदारी
भारत आठवीं बार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अस्थाई सदस्य चुना जा रहा है। इसके पहले 1950-51, 1967-68, 1972-73, 1977-78, 1984-85, 1991-92 और 2011-12 में भारत यह जिम्मेदारी निभा चुका है। सुरक्षा परिषद में 15 देश हैं। इनमें पांच स्थायी सदस्य अमेरिका, रूस, फ्रांस, ब्रिटेन और चीन और 10 देशों को अस्थाई सदस्यता दी गई है।
हर साल पांच अस्थायी सदस्य चुने जाते हैं। अस्थाई सदस्यों का कार्यकाल दो साल होता है। 193 सदस्यों वाले संयुक्त राष्ट्र में भारत को जीत के लिए दो-तिहाई यानी 128 देशों के समर्थन की जरूरत थी। सदस्य देश गुप्त मतदान करते हैं। भारत को आठ देशों ने गुप्त मतदान में वोट नहीं दिया, जबकि इस मतदान में 193 सदस्य देशों में से 192 ने भाग लिया था।
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अमेरिका ने कहा, अमन बहाली और सुरक्षा पर काम करेंगे
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