सैंपल लेते स्वास्थ्यकर्मी (फाइल फोटो)
– फोटो : PTI
ख़बर सुनें
सार
- अगर जुलाई तक गंभीर हुआ संक्रमण तो होम आइसोलेशन के मरीजों से नियमों का पालन कराना होगी बड़ी चुनौती।
- निगरानी तय करने के लिए बढ़ेगी नागरिक सुरक्षा बल और स्वयं सेवी संस्थाओं की भूमिका, केंद्र की सहायता लेने पर भी हो सकता है विचार।
विस्तार
लक्षणहीन या माइल्ड कैटेगरी के मरीजों को होम आइसोलेशन का विकल्प चुनने की आजादी तभी दी जाएगी जब उनके पास घर पर न्यूनतम दो कमरे का मकान और टॉयलेट होगा और इस दौरान वे पूरी तरह आइसोलेशन में रह सकेंगे। इस दौरान घर के अन्य सदस्यों के लोगों से शारीरिक दूरी बनाए रखना और क्वारंटीन नियमों का पालन करना अनिवार्य होगा। इस दौरान मरीज के किसी एक करीबी के माध्यम से स्वास्थ्य अधिकारी इनके संपर्क में रहेंगे जिससे उनकी स्थिति बिगड़ते ही उन्हें अस्पतालों में दाखिल कराया जा सकेगा।
बनी चुनौती
लेकिन लगातार बढ़ते मामलों के बीच होम आइसोलेशन वाले मरीजों की संख्या में भी तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। अगर इन सभी लोगों की उचित निगरानी न की गई और होम आइसोलेशन के नियमों का पालन नहीं किया गया तो आशंका है कि इससे दिल्ली के हालात बिगड़ सकते हैं।
यह भी पढ़ें-दिल्ली में इधर-उधर थूकने, मास्क न लगाने पर 680 लोगों पर एफआईआर
जैसा कि दिल्ली सरकार का अनुमान है, अगर जुलाई अंत तक कुल मरीजों की संख्या 5.5 लाख तक पहुंचती है तब भी अभी तक के ट्रेंड के अनुसार लगभग आधे से ज्यादा मरीज लक्षणहीन या माइल्ड कैटेगरी के होंगे। अगर आधे लोग भी होम आइसोलेशन में रहते हैं तो इनकी निगरानी बड़ी चुनौती साबित होने वाली है।
ये है नई चुनौती
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के शीर्ष पदाधिकारी डॉक्टर एसके पोद्दार ने अमर उजाला को बताया कि कम गंभीर मरीजों को होम आइसोलेशन में रखने का दिल्ली सरकार का आइडिया बिलकुल सही है, लेकिन इस दौरान मरीजों के इलाज की उचित व्यवस्था रखना बेहद अनिवार्य है। अगर होम क्वारंटीन में रह रहे लोग नियमों का पालन नहीं करेंगे तो वे गंभीर स्थिति पैदा करेंगे और कोरोना को काबू करने के सभी उपाय बेअसर साबित होंगे।
Discussion about this post