योग की वैकल्पिक मुद्राएं और मंत्रों के जाप से मौखिक और दृष्टि संबंधी कुशलता के साथ-साथ ध्यान और जागरूकता को भी बढ़ावा मिलता है.
योग (Yoga) और मेडिटेशन (Meditation) इस चीज को बेहतर तरीके से करने में सफल है. 81 लोगों पर एक ट्रायल किया गया था जिन्हें कुंडलिनी योग और याददाश्त (Memory) की ट्रेनिंग करने को कहा गया.
तनाव से निपटने में योगदान
योग और मेडिटेशन इसके लिए पूरी तरह उपयुक्त हैं क्योंकि वे ऊपर बताए गए मानदंडों को पूरा करते हैं. तंत्रिका तंत्र से जुड़े अध्ययनों से पता चलता है कि मन और शरीर के अभ्यास का बुजुर्ग लोगों की संज्ञानात्मक वृद्धि, विचार प्रक्रिया में सुधार, तनाव से निपटने और उनके व्यवहार में महत्वपूर्ण फायदा देखने को मिलता है. इस बारे में यह देखना अभी बाकी है कि सख्त परीक्षणों में ये लाभ खुद को दोहरा पाएंगे या नहीं चूंकि कई वैकल्पिक थेरेपीज ऐसी भी हैं जो कठोर परीक्षण में सफल साबित नहीं हो पायीं.कुंडलिनी योग और याददाश्त से जुड़ी ट्रेनिंग
हालांकि योग और मेडिटेशन इस चीज को बेहतर तरीके से करने में सफल है. 81 लोगों पर एक ट्रायल किया गया था जिन्हें कुंडलिनी योग और याददाश्त की ट्रेनिंग करने को कहा गया. उसमें यह बात सामने आयी कि वैसे तो कुंडलिनी योग और याददाश्त से जुड़ी ट्रेनिंग दोनों ही स्मृति यानी मेमोरी को बेहतर बनाने में मददगार है लेकिन सिर्फ कुंडलिनी योग ही ऐसा है जिसकी मदद से व्यक्ति के मूड और कामकाज में भी सुधार देखने को मिला. यह डिमेंशिया की रोकथाम में योग के स्पष्ट महत्व को दर्शाता है. कीर्तन क्रिया जिसमें मंत्रों का जाप किया जाता है, यह भी बुजुर्गों के संज्ञान और स्मृति को बेहतर बनाने में प्रभावी है.
योग और मेडिटेशन कैसे काम करता है?
एक्सपर्ट्स के द्वारा यह सुझाव दिया जाता है कि योग की वैकल्पिक मुद्राएं और मंत्रों के जाप से मौखिक और दृष्टि संबंधी कुशलता के साथ-साथ ध्यान और जागरूकता को भी बढ़ावा मिलता है. यह तंत्रिका संचरण (neural transmission) में सुधार करता है और तंत्रिका सर्किट में दीर्घकालिक परिवर्तन का कारण बनता है. योग और मेडिटेशन की मदद से नींद की क्वॉलिटी भी बेहतर होती है और डिप्रेशन के लक्षणों को कंट्रोल करने में भी मदद मिलती है.
आज के समय में तनाव, हमारे जीवन का हिस्सा बन गया है. तनाव, स्ट्रेस हार्मोन कोर्टिसोल के स्तर को बढ़ाता है और सहानुभूति से जुड़ी अतिसक्रियता मस्तिष्क में मौजूद हिप्पोकैम्पल सर्किट (स्मृति स्थल) को नुकसान पहुंचाती है. तनाव की वजह से इन्फ्लेमेशन, ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस, हाइपरटेंशन, नींद में बाधा आना और डायबिटीज जैसी समस्याएं हो सकती हैं और ये सभी फैक्टर्स डिमेंशिया बीमारी के जोखिम कारक हैं.
मेडिटेशन से तनाव कम होता है
यह देखने में आया है कि ब्रेन के हाइपोथैलमस में विशिष्ट बिंदुओं की उत्तेजना, ब्रेन में तनाव-प्रेरित कोर्टिसोल की वजह से होने वाले नुकसान को कम कर सकती है. साथ ही यह अत्यधिक उत्तेजना के प्रभाव को कम करता है और विश्राम का कारण बनता है, नींद को बढ़ावा देता है और इस तरह से नर्वस सिस्टम की मरम्मत करने में मदद करता है. मेडिटेशन ब्रेन को एक ऐसी स्थिति में डाल देता है जो ऑक्सिडेटिव डैमेज के साथ-साथ नर्व्स में होने वाले इन्फ्लेमेशन को भी कम करता है जिससे ब्रेन को होने वाला नुकसान भी कम होता है.
योग और मेडिटेशन के फायदे और इसे कैसे करें
कीर्तन क्रिया या सक्रिय ध्यान, एसटाइल्कोलाइन जैसे ट्रांसमीटर्स के स्तर को बढ़ाकर न्यूरोट्रांसमीटर के गलत तरीके से काम करने की प्रक्रिया को सही करने में मदद करता है. तो वहीं, योग सिनैप्टिक डिसफंक्शन में सुधार करता है जो डिमेंशिया की एक क्लासिक विशेषता है. लिहाजा इस बारे में रिसर्च डेटा भी मौजूद है कि योग और मेडिटेशन डिमेंशिया के इलाज और रोकथाम में मददगार है.
हम जानते हैं कि चिकित्सीय मदद का डिमेंशिया पर सीमित प्रभाव पड़ता है. वहीं, दूसरी ओर योग और ध्यान आसानी से उपलब्ध है जिसे समुदाय और बड़ी आबादी आसानी से कर सकती है. बीमारी से जुड़ी जो दवाएं आप ले रहे हैं उस पर भी योग या मेडिटेशन का कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है. लिहाजा योग और मेडिटेशन, डिमेंशिया की रोकथाम में मददगार साबित हो सकते हैं. इस आर्टिकल को माइ उपचार के लिए डॉ प्रवीण गुप्ता ने लिखा है जो गुरुग्राम स्थित फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च में न्यूरोलॉजी विभाग के डायरेक्टर और एचओडी हैं. (अधिक जानकारी के लिए हमारा आर्टिकल, डिमेंशिया क्या है, कारण, लक्षण, इलाज के बारे में पढ़ें. न्यूज18 पर स्वास्थ्य संबंधी लेख myUpchar.com द्वारा लिखे जाते हैं. सत्यापित स्वास्थ्य संबंधी खबरों के लिए myUpchar देश का सबसे पहला और बड़ा स्त्रोत है. myUpchar में शोधकर्ता और पत्रकार, डॉक्टरों के साथ मिलकर आपके लिए स्वास्थ्य से जुड़ी सभी जानकारियां लेकर आते हैं.)
अस्वीकरण : इस लेख में दी गयी जानकारी कुछ खास स्वास्थ्य स्थितियों और उनके संभावित उपचार के संबंध में शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए है। यह किसी योग्य और लाइसेंस प्राप्त चिकित्सक द्वारा दी जाने वाली स्वास्थ्य सेवा, जांच, निदान और इलाज का विकल्प नहीं है। यदि आप, आपका बच्चा या कोई करीबी ऐसी किसी स्वास्थ्य समस्या का सामना कर रहा है, जिसके बारे में यहां बताया गया है तो जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें। यहां पर दी गयी जानकारी का उपयोग किसी भी स्वास्थ्य संबंधी समस्या या बीमारी के निदान या उपचार के लिए बिना विशेषज्ञ की सलाह के ना करें। यदि आप ऐसा करते हैं तो ऐसी स्थिति में आपको होने वाले किसी भी तरह से संभावित नुकसान के लिए ना तो myUpchar और ना ही News18 जिम्मेदार होगा।
First published: June 20, 2020, 3:25 PM IST
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