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प्राणायाम के कुछ मुख्य मुद्राएं (इसे क्रमवार करें)
भस्त्रिका, कपाल भाति, बाह्य प्राणायाम, उज्जायी, अनुलोम-विलोम, भ्रामरी, उद्दिथ।
योग के पहले यह जरूर जानें
भस्त्रिका : किसी भी शांत वातावरण में बैठ जाएं। सिद्धासन, पदमासन या वज्रासन जैसे किसी भी सुविधा जनक आसन में बैठें। आंखें बंद करें और थोड़ी देर के लिए शरीर को शिथिल कर लें। हाथों का चिन या ज्ञान मुद्रा में रखें। दोनों नाक से दस बार तेज गति से सांस लें और उसे झटके से छोड़ दें।
फिर यही क्रिया धीमी गति से दस बार करें। इसके बाद दोनों नाक बंद करके क्षमता के हिसाब से सांस को रोकें और छोड़ दें। इसे तीन से पांच मिनट करना चाहिए। सुबह और शाम दो बार इसे कर सकते हैं। ध्यान रहे इसी प्राणायाम को सबसे पहले करना है।
धीरे-धीरे 100-200 बार। बेहतर अभ्यास पर 500 बार तक किया जा सकता है। इसे 5 से 10 मिनट तक किया जा सकता है। इसे करने का सबसे अच्छा समय सुबह का होता है। कपाल भाति करते समय मन शांत रखें और तनाव न लें।
बाह्य प्राणायाम: बाह्य का अर्थ होता है बाहर। एक ऐसा प्राणायाम, जिसमें अभ्यास करते समय सांस को बाहर छोड़ा जाता है। इस क्रिया को करने से पहले किसी समतल जमीन पर चटाई बिछाकर पद्मासन या सुखासन की अवस्था में बैठ जाएं। सबसे पहले मध्यपट को नीचे झुकाएं और फेफड़ों को फूलाने की कोशिश करें।
अब तेजी से अपना सांस छोड़ें और ऐसा करते समय अपने पेट पर थोड़ा जोर दें। धीरे-धीरे अपनी छाती को ठोड़ी से लगाने की कोशिश करें और इसी अवस्था में कुछ देर तक रहें। धीरे-धीरे अपने पेट व मध्यपट को छोड़ें और उन्हें हल्का महसूस होने दें। इस प्रक्रिया को तीन से पांच मिनट तक पांच से सात बार दोहराएं। इसे सुबह और शाम के वक्त कर सकते हैं।
अनुलोम-विलोम: अपने दाहिने या बाएं हाथ के अंगूठे से नाक को एक तरफ से बंद करें, फिर दूसरी तरफ से गहरी व लंबी सांस लें। फिर जिस तरफ से नाक बंद किए हैं, उसे छोड़कर दूसरी तरफ का हिस्सा बंद कर लें। नाक का जो हिस्सा पहले बंद हो, उसी से बाहर की तरफ सांस छोड़ें। इसे 10 से 15 मिनट करना चाहिए। इसे करते हुए मन में ओउम का जाप करना चाहिए।
भ्रामरी: पहले दोनों हाथ कान के पास ले जाएं। दोनों अंगूठे से कान को बंद कर लें। अब हाथों की पहली उंगली को माथे पर लगाएं और बाकी बची उंगलियोें को आंखों पर लगाएं। अपना मुंह बिल्कुल बंद रखें। अपने नाक से सामान्य गति से सांस अंदर लें, फिर नाक से ही मधु-मक्खी जैसी आवाज करते हुए सांसद बाहर निकालें। सांस छोड़ते समय अगर ओउम का जाप किया जाए तो अत्यंत लाभकारी होता है। इस प्राणायाम को लगातार 5 से 10 मिनट तक दोहराएं।
उद्दीथ: इसे ओमकारी जप भी कहा जाता है। सबसे पहले पूर्व की तरफ मुंह करके आसन लें, फिर शरीर को ढीला छोड़ दें। शरीर के किसी भी हिस्से में तनाव नहीं होना चाहिए। अपनी पीठ को भी सीधा रखें। दोनों हाथों की तर्जनी और अंगूठे की नो को जोड़ें।
इसके बाद आंख बंद करके ध्यान केंद्रित करें। सबसे पहले एक बार सांस लें, फिर छोड़ दें। सांस लेते और छोड़ते समय ओउम का उच्चारण करें। ओम की लय के साथ पूरी ध्वनि का जप करें। इस प्रक्रिया को 5 से 11 बार दोहराएं। इसे 5 से 10 मिनट ही करना चाहिए।
अगर आप प्राणायाम कर रहे हैं और दो तीन मुद्राएं करने के बाद थकान महसूस करते हैं तो आराम नहीं करें। बल्कि सूक्ष्म व्यायाम करें। इससे शरीर आपका गर्म रहेगा।
बरतें यह सावधानी
- प्राणायाम सूर्योदय के पूर्व और सूर्यास्त के बाद ही करें।
- सुबह हवा में आक्सीजन की मात्रा ज्यादा होती है।
- खाली पेट रहना जरूरी है।
- शौच करने के 20 मिनट बाद ही योग करें।
- योग करने के 20 मिनट बाद ही कुछ खाएं।
- व्रजासन को भोजन के बाद भी कर सकते हैं।- हृदय, ब्लडप्रेशर, पेट में गैस के रोगी प्राणायाम धीरे-धीरे करें।
यह भी जानें
पद्मासन : इसमें पंजे को जंघा पर चढ़ाकर बैठना होता है। पहले बाएं पैर और फिर दाहिने पैर को चढ़ाते हैं।
सिंहासन : इसमें बायां पैर नीचे और दाहिना पैर ऊपर रखा जाता है।
सुखासन : इसमें पालथी मारकर बैठा जाता है, लेकिन ध्यान रहे कि रीढ़ की हड्डी सीधी हो।
ज्यादा समय तक योग किया तो होगा नुकसान
पतंजलि योग पीठ योग प्रशिक्षक हरि नारायन धर दुबे योग को खुले स्थान पर करना लाभदायक होता है। दवाओं की तरह योग में भी समय का एक डोज होता है। प्राणायाम की अलग-अलग मुद्राओं के लिए समय तय है। उससे कम करने पर फायदा नहीं होगा और ज्यादा करते हैं तो नुकसान हो सकता है। रोग बढ़ने की संभावना रहती है। बीपी, अल्सर, कोलाइटिस, कोलस्ट्राल आदि के मरीज अगर ज्यादा योग करने लगते हैं तो उन्हें नुकसान होगा। इसलिए योग करने के पहले अच्छी तरह से जानकारी हासिल करना चाहिए।
सार
- प्राणायाम के हैं कुछ नियम, जिन्हें जानना जरूरी
- खाली पेट करें और योग करने के 20 मिनट बाद ही कुछ ग्रहण करें
विस्तार
प्राणायाम के कुछ मुख्य मुद्राएं (इसे क्रमवार करें)
भस्त्रिका, कपाल भाति, बाह्य प्राणायाम, उज्जायी, अनुलोम-विलोम, भ्रामरी, उद्दिथ।
योग के पहले यह जरूर जानें
भस्त्रिका : किसी भी शांत वातावरण में बैठ जाएं। सिद्धासन, पदमासन या वज्रासन जैसे किसी भी सुविधा जनक आसन में बैठें। आंखें बंद करें और थोड़ी देर के लिए शरीर को शिथिल कर लें। हाथों का चिन या ज्ञान मुद्रा में रखें। दोनों नाक से दस बार तेज गति से सांस लें और उसे झटके से छोड़ दें।
फिर यही क्रिया धीमी गति से दस बार करें। इसके बाद दोनों नाक बंद करके क्षमता के हिसाब से सांस को रोकें और छोड़ दें। इसे तीन से पांच मिनट करना चाहिए। सुबह और शाम दो बार इसे कर सकते हैं। ध्यान रहे इसी प्राणायाम को सबसे पहले करना है।
धीरे-धीरे 100-200 बार। बेहतर अभ्यास पर 500 बार तक किया जा सकता है। इसे 5 से 10 मिनट तक किया जा सकता है। इसे करने का सबसे अच्छा समय सुबह का होता है। कपाल भाति करते समय मन शांत रखें और तनाव न लें।
बाह्य प्राणायाम: बाह्य का अर्थ होता है बाहर। एक ऐसा प्राणायाम, जिसमें अभ्यास करते समय सांस को बाहर छोड़ा जाता है। इस क्रिया को करने से पहले किसी समतल जमीन पर चटाई बिछाकर पद्मासन या सुखासन की अवस्था में बैठ जाएं। सबसे पहले मध्यपट को नीचे झुकाएं और फेफड़ों को फूलाने की कोशिश करें।
अब तेजी से अपना सांस छोड़ें और ऐसा करते समय अपने पेट पर थोड़ा जोर दें। धीरे-धीरे अपनी छाती को ठोड़ी से लगाने की कोशिश करें और इसी अवस्था में कुछ देर तक रहें। धीरे-धीरे अपने पेट व मध्यपट को छोड़ें और उन्हें हल्का महसूस होने दें। इस प्रक्रिया को तीन से पांच मिनट तक पांच से सात बार दोहराएं। इसे सुबह और शाम के वक्त कर सकते हैं।
अनुलोम-विलोम: अपने दाहिने या बाएं हाथ के अंगूठे से नाक को एक तरफ से बंद करें, फिर दूसरी तरफ से गहरी व लंबी सांस लें। फिर जिस तरफ से नाक बंद किए हैं, उसे छोड़कर दूसरी तरफ का हिस्सा बंद कर लें। नाक का जो हिस्सा पहले बंद हो, उसी से बाहर की तरफ सांस छोड़ें। इसे 10 से 15 मिनट करना चाहिए। इसे करते हुए मन में ओउम का जाप करना चाहिए।
भ्रामरी: पहले दोनों हाथ कान के पास ले जाएं। दोनों अंगूठे से कान को बंद कर लें। अब हाथों की पहली उंगली को माथे पर लगाएं और बाकी बची उंगलियोें को आंखों पर लगाएं। अपना मुंह बिल्कुल बंद रखें। अपने नाक से सामान्य गति से सांस अंदर लें, फिर नाक से ही मधु-मक्खी जैसी आवाज करते हुए सांसद बाहर निकालें। सांस छोड़ते समय अगर ओउम का जाप किया जाए तो अत्यंत लाभकारी होता है। इस प्राणायाम को लगातार 5 से 10 मिनट तक दोहराएं।
उद्दीथ: इसे ओमकारी जप भी कहा जाता है। सबसे पहले पूर्व की तरफ मुंह करके आसन लें, फिर शरीर को ढीला छोड़ दें। शरीर के किसी भी हिस्से में तनाव नहीं होना चाहिए। अपनी पीठ को भी सीधा रखें। दोनों हाथों की तर्जनी और अंगूठे की नो को जोड़ें।
इसके बाद आंख बंद करके ध्यान केंद्रित करें। सबसे पहले एक बार सांस लें, फिर छोड़ दें। सांस लेते और छोड़ते समय ओउम का उच्चारण करें। ओम की लय के साथ पूरी ध्वनि का जप करें। इस प्रक्रिया को 5 से 11 बार दोहराएं। इसे 5 से 10 मिनट ही करना चाहिए।
आराम न करें, व्यायाम करें
अगर आप प्राणायाम कर रहे हैं और दो तीन मुद्राएं करने के बाद थकान महसूस करते हैं तो आराम नहीं करें। बल्कि सूक्ष्म व्यायाम करें। इससे शरीर आपका गर्म रहेगा।
बरतें यह सावधानी
- प्राणायाम सूर्योदय के पूर्व और सूर्यास्त के बाद ही करें।
- सुबह हवा में आक्सीजन की मात्रा ज्यादा होती है।
- खाली पेट रहना जरूरी है।
- शौच करने के 20 मिनट बाद ही योग करें।
- योग करने के 20 मिनट बाद ही कुछ खाएं।
- व्रजासन को भोजन के बाद भी कर सकते हैं।- हृदय, ब्लडप्रेशर, पेट में गैस के रोगी प्राणायाम धीरे-धीरे करें।
योग के समय आसन का तरीका
यह भी जानें
पद्मासन : इसमें पंजे को जंघा पर चढ़ाकर बैठना होता है। पहले बाएं पैर और फिर दाहिने पैर को चढ़ाते हैं।
सिंहासन : इसमें बायां पैर नीचे और दाहिना पैर ऊपर रखा जाता है।
सुखासन : इसमें पालथी मारकर बैठा जाता है, लेकिन ध्यान रहे कि रीढ़ की हड्डी सीधी हो।
ज्यादा समय तक योग किया तो होगा नुकसान
पतंजलि योग पीठ योग प्रशिक्षक हरि नारायन धर दुबे योग को खुले स्थान पर करना लाभदायक होता है। दवाओं की तरह योग में भी समय का एक डोज होता है। प्राणायाम की अलग-अलग मुद्राओं के लिए समय तय है। उससे कम करने पर फायदा नहीं होगा और ज्यादा करते हैं तो नुकसान हो सकता है। रोग बढ़ने की संभावना रहती है। बीपी, अल्सर, कोलाइटिस, कोलस्ट्राल आदि के मरीज अगर ज्यादा योग करने लगते हैं तो उन्हें नुकसान होगा। इसलिए योग करने के पहले अच्छी तरह से जानकारी हासिल करना चाहिए।
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